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Raunak (Srijan)
जो एक आस दबी थी मन में उसे आज भी सीने से लगा के बैठा हूं। मैं आसमानी छत के तले अपना आशियां बना के बैठा हूं। अपनी मंज़िल को चला तो था मगर अब एक चौरस्ते पर आ के बैठा हूं। जाने किस ओर ले जाएगा ये सफ़र मंज़िल का रस्ता भुला के बैठा हूं। घर तो कब का छूट चुका मेरा फिर भी उस ओर नज़रें बिछा के बैठा हूं। शायद अपना कोई नज़र आ जाए खुद को ये ढांढस बंधा के बैठा हूं। खुद पर पूरा विश्वास है मुझे खुद ही को ये भरोसा दिला के बैठा हूं। मैं आसमानी छत के तले अपना आशियां बना के बैठा हूं। #आसमानीछत
नि:शब्द अमित शर्मा
उन्हें ख़ुद पर फक्र है की किताब में इंसानियत लिखी है मगर , जलते घरों की दीवारों पे और लूटती आबरू के फटे आँचल पे हमने उनकी " इंसानियत " पढ़ी है ©निःशब्द अमित शर्मा #आसमानीकिताब
Pushkar Sahu
आसमां भी कुछ बोल रहा हैँ टूटे हुए दिलो को जोड़ रहा हैँ #आसमानी_प्यार #YourQuoteAndMine Collaborating with Raj Bala
Manmohan Dheer
जो भी बड़ा सा है उसे आसमानी कह दो जब छोटे लोग पूछेंगे तो उन्हें भी डराएंगे आसमानी
Mohan Sardarshahari
खोए तो वैसे ही रहते हैं तेरे ख्यालों में आज तेरा आसमानी लिबास देख तुझे ढूंढ रहा हूं आशाओं के गगन में।। ©Mohan Sardarshahari आसमानी आंचल
Parasram Arora
इतना आसान भी नहीं हैँ इन चाँद तारो का गरूर तोडना औऱ इस तमतमाए सूरज की ं भट्ठी की तपन को कम कर पाना फिर भी कोशिश हो रही हैँ j सेटेलाइटो को अंतरिक्शो मे भेज कर आसमानी परतो को छिद्रित करके आसमानी परते
Shishpal Chauhan
"आसमानी बिजली" बिजली कड़के, अंधेरी रात में दिल जोर जोर से धड़के। अकेलापन सहा न जाए, पीया जी की याद बहुत आए, बेकरारी मन में बढ़ती जाए। जब जब काली घटाएं छाए, जवानी मेरी छटपटाए। आसमानी बिजली कलेजा चीर जाती है, आंखों ही आंखों में दिन की तरह रात बीत जाती है। चेहरे की रौनक गायब हो जाती है, मायूसी दिल में छा जाती है। ये गरजते बादल दिल को बेचैन कर जाते हैं, तडफ़ को और बढ़ाते हैं। तन्हाइयों में बहुत सताते हैं, जब गहरे नीले बादल छाते हैं। एस. पी. ©Shishpal Chauhan # आसमानी बिजली
Hilal Hathravi
बहते हुए दरिया की रवानी है तू, भुलाई न जा सकने वाली कहानी तू। खिलती हुई कलियों का बचपन है, दहकते हुए शोलों की जवानी है तू। न कहूँ तो पढ़ ले आंखों से भी, कहने लगूँ तो लगे है के दीवानी है तू। शबनम की बूंद है गुलाब के होंठो पर बिखरी हुई, सहरा पे गिरता है अब्र का पानी है तू। ज़मीं वाले कैसे पाएंगे के तुझको, ख़ल्क़ कहती है की आसमानी है तू। ~हिलाल हथ'रवी . ©Hilal Hathravi #lonely #आसमानी #जवानी