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New 'mahabharat जाना' Quotes, Status, Photo, Video

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meri_lekhni_12

आना जाना ♥️

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Unsplash मुझको तेरा आना जाना  अच्छा लगता था,
हर पल तेरा साथ निभाना अच्छा लगता था।

चुपके से आकर जब तू हंस देता था मुझ पर,
तेरा यूँ दिल को बहलाना अच्छा लगता था।

तेरी बातें, तेरी यादें, तेरे शिकवे ग़म,
हर लम्हा तेरा आजमाना अच्छा लगता था।

रूठ के जाना, फिर खुद ही लौट के आना,
तेरा हर अंदाज़ पुराना अच्छा लगता था।

अब तन्हा है पूनम यादें महका करती हैं,
बीता हर एक वो अफसाना अच्छा लगता था।

©meri_lekhni_12 आना जाना ♥️

Urmeela Raikwar (parihar)

#Newyear2025 आना जाना

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New Year 2025 क्या लाया था
क्या ले जायेगा, 
जैसे वो आया था 
क्या तू भी जायेगा. 

Urmee ki Diary

©Urmeela Raikwar (parihar) #Newyear2025 आना जाना

seema patidar

तुम मुझसे पूछो...... जाना जरूरी है क्या .....?

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रुकना तो तब अच्छा लगेगा न
जब मैं तुमसे कहूं की.......
मुझे जाना है 
और तुम मुझसे पूछो......
जाना जरूरी है क्या....?

©seema patidar तुम मुझसे पूछो......
जाना जरूरी है क्या .....?

अनिल कसेर "उजाला"

घर जाना है।

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- Arun Aarya

#lovelife #भूल जाना

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Unsplash मेरे ख़ुश होने पर तुम्हारे उदासी का आना !

अगर  है  यही  दोस्ती , तो  मुझें भूल  जाना..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #lovelife #भूल जाना

F M POETRY

#newyearresolutions ज़िन्दगी यूँही गुज़र जाना है...

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New Year Resolutions क्या नया और क्या पुराना है..

जिंदगी यूँही गुज़र जाना है..

यूसुफ़ आर खान..

©F M POETRY #newyearresolutions ज़िन्दगी यूँही गुज़र जाना है...

M͓̽o͓̽h͓̽i͓̽TRo͓̽c͓̽k͓̽ f͓̽4͓̽4͓̽

तेरा यू जाना #HeartTouching #heartbroken

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तेरा यू जाना

मेरी जान ना 

लेले यार



self write

©【M】【o】【H】【i】【T】【R】【o】【C】【k】【F44] तेरा यू जाना 

#HeartTouching #heartbroken

SATYANJAY CHATURVEDI

NOTHING

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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