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Arora PR

बुद्धत्व #विचार

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Balram Bathra

स्वयं में,
स्वयं को.,
पा लेना ही
‘बुद्धत्व’ है..

©Balram Bathra #बुद्धत्व

Parasram Arora

बुद्धत्व.... #जानकारी

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बुद्ध  तो  है  वहां
नही है जहाँ राग  द्वेष  का धुआँ
बुद्ध  है वहाँ
केवल समता है जहाँ
यदि तुम  देख सको तो
दिखाई देगा  तुम्हे  बुद्ध  वहां

©Parasram Arora बुद्धत्व....

Parasram Arora

बुद्धत्व.2 #जानकारी

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जहाँ प्यार है  करुंणा है  मैत्री है क्षमा है
अभाव  है क्रोध का   हिंसा का 
घृणा का साम्राज्य  नही है जहाँ
हिंसा  प्रति हिंसा व अहंकार  भी  नही  बुद्ध
यदि तुम देखसको तो
दिखाई देगा  तुम्हे बुद्ध  वहाँ

©Parasram Arora बुद्धत्व.2

Meenakshi Sen

#BudhhaPurnima बुद्धत्व #विचार

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जहां अंतर मन स्वतन्त्र है,
जहां मन निर्द्वन्द है,
जहां मन, वाणी, कर्म समान है, बस
वहीं बुद्ध और बुद्ध का ज्ञान है।

©Meenakshi Sen #BudhhaPurnima बुद्धत्व

Parasram Arora

बुद्धत्व और रूदन

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किसी भी  आदमी का आंकलन करने  के लिए  जरूरी नहीं  ये जानना  वो कहा जन्मा  कब जन्मा  किस घर मे जन्मा ...... ... बल्कि  इस बात मे है क़ि  पैदा होते ही वो रोया  था या नहीं. क्योंकि  ऊसे  पैदा होने वाले दिन से  लेकर  मृत्युवाले दिन तक   रोते रहना है ये भी संभव   है  क़ि  ये रूदन  का  सतत  अभ्यास  उसे किसी दिन  बुद्धत्व  के दिव्यलोक तक   पहुंचा दे...... बुद्धत्व  और रूदन

Shravan Goud

बुद्धत्व को प्राप्त होने के लिए आपको सर्व प्रथम जीवन के प्रति आपको दृष्टा होना होगा।

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बुद्धत्व को प्राप्त होने के लिए आपको सर्व प्रथम 
जीवन के प्रति आपको दृष्टा होना होगा। बुद्धत्व को प्राप्त होने के लिए आपको सर्व प्रथम 
जीवन के प्रति आपको दृष्टा होना होगा।

Pragya Amrit

#स्त्री का बुद्धत्व क्यों दफन??

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ऐ बुद्ध तू पुरुष था,
छोड़ चला सुप्त ही,
शिशु औऱ भार्या को।
ऐ बुद्ध तू होता स्त्री,
छोड़ पाता गृह कही ,
शिशु और पति को।
ऐ बुद्ध तूने ज्ञान पाया,
मोक्ष पाया,यश भी पाया,
आत्मा को कर सका तू उन्नत,
पूछती मैं खुद से
क्यों बुद्ध सिर्फ हो सकता -
तू पुरूष, क्यों न स्त्री?
जीने पाएगी वो बनकर बुद्ध फिर
ये जगत जीने न देगा-
कुत्सित नजर,कटु बाड़ो से
होगी व्यथित,
बन गया तू बुद्ध तो ये न समझ-
स्त्री कई घुट घुट के मरती...
लांघ न पाती है चौखट-
छोड़ शिशु और पति को,
वो मर्यादा का उल्लंघन करती।
तू बुद्ध न बन सोच तू सिद्ध है,
तू बस एक पुरूष।
वरना हर घर में एक स्त्री ,
बुद्ध सी बसती है।
बस दर्द ये वो तेरे जैसे 
कहां निकलती है।। #स्त्री का बुद्धत्व क्यों दफन??

गौरव देव शर्मा

बुद्ध और बुद्धत्व कृत :- गौरव देव शर्मा

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'मनु' poetry -ek-khayaal

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