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Nischhal Raghuwanshi
Unsplash जिस स्वच्छंद भाव से प्रेम को लिख पाते हैं पुरुष! नहीं लिख पाती हैं स्त्रियां, उन्हें भय रहता है की उनके इस स्वछंद भाव को आपबीती समझ कर उन्हें कलंकित ना कर दे ये समाज... ©Nischhal Raghuwanshi प्रेम का विषय #library #पुरुष #स्त्री #प्रेम #कविता #poems
शब्दवेडा किशोर
White #स्त्री.... शब्दवेडा किशोर अवघाची संसार सुखाचा करीन आनंदे भरीन तिन्ही लोके हे फक्त म्हणायला सोपं असतं.... पण एक स्त्री किती वेळा कशा नाना कळा सोसते अन् आयुष्य कसं हसत जगते हे फक्त तिचं तिलाच कळतं...... ©शब्दवेडा किशोर #स्त्रीत्व
Shivangi Priyaraj
#स्त्री बिक जाती है प्यार के दो बोल से पति के कह देने भर से आज खाने में मजा आ गया #बच्चे जब कहते है मां मुझे समझती है वो दुगने उत्साह से जुट जाती है उनकी पसंद को खोज लाती है #सास जब कहती है मेरी बहू औरो सी नहीं वो अपनी मां को उस दिन भूल जाती है सास से दिल का रिश्ता निभाती है #सच में औरत बहुत सस्ते में बिक जाती है प्यार के दो बोल को तरस जाती है बस खोजती है अपने सम्मान को कभी पति की आंखो में कभी बच्चो के सपनो में ओर कभी रिश्तों ओर अपनो में #वो सब को देख खुश हो लेती है बिना विटामिन खाए जी लेती है सब को मुस्कराया देख खुश हो लेती है उनके खिले चेहरे में खुद को संजो लेती है #औरत को देह से अलग जान पाओगे तो सही मायनों में उसके प्यार को पाओगे वो खुद को मिटा कर भी खुश होती है दर्द झेलकर भी जिंदगी देती है... ©Shivangi Priyaraj
Shivangi Priyaraj
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset #स्त्री बिक जाती है प्यार के दो बोल से पति के कह देने भर से आज खाने में मजा आ गया #बच्चे जब कहते है मां मुझे समझती है वो दुगने उत्साह से जुट जाती है उनकी पसंद को खोज लाती है #सास जब कहती है मेरी बहू औरो सी नहीं वो अपनी मां को उस दिन भूल जाती है सास से दिल का रिश्ता निभाती है #सच में औरत बहुत सस्ते में बिक जाती है प्यार के दो बोल को तरस जाती है बस खोजती है अपने सम्मान को कभी पति की आंखो में कभी बच्चो के सपनो में ओर कभी रिश्तों ओर अपनो में #वो सब को देख खुश हो लेती है बिना विटामिन खाए जी लेती है सब को मुस्कराया देख खुश हो लेती है उनके खिले चेहरे में खुद को संजो लेती है #औरत को देह से अलग जान पाओगे तो सही मायनों में उसके प्यार को पाओगे वो खुद को मिटा कर भी खुश होती है दर्द झेलकर भी जिंदगी देती है... ©Shivangi Priyaraj #SunSet
Shalini Nigam
"विडंबना कहें या स्त्री का दुर्भाग्य" नपुंसक पुरुष हो फिर भी बांझ औरत कहलाती है! ©Shalini Nigam #स्त्री #Nojoto #yqdidi #yqbaba #shayri #writer #Poetry #poem
सूरज
Unsplash अगर आदमी स्त्री को प्रेमिका की नजर से न देखे तो , स्त्री से बेहतर दोस्त इस दुनिया में कोई नहीं ।💓 ©सूरज #स्त्री
Anuradha T Gautam 6280
#पुरुष स्त्री पर बरस पड़ता है, जबकि #स्त्री चाहती है बून्द-बून्द जमा हो उसके तन पर! ♥️♥️♥️ ©Anuradha T Gautam 6280 #पुरुष स्त्री पर बरस पड़ता है, जबकि #स्त्री चाहती है बून्द-बून्द जमा हो उसके तन पर! ♥️♥️♥️
Andy Mann
स्त्री एक क़िताब की तरह होती है जिसे देखते हैं सब अपनी-अपनी ज़रुरतों के हिसाब से... कोई सोचता है उसे एक घटिया और सस्ते उपन्यास की तरह तो कोई घूरता है उत्सुक-सा एक हसीन रङ्गीन चित्रकथा समझ कर ! कुछ पलटते हैं इसके रङ्गीन पन्ने अपना खाली वक़्त गुज़ारने के लिए तो कुछ रख देते हैं घर की लाइब्रेरी में सजा कर किसी बड़े लेखक की कृति की तरह स्टेटस सिम्बल बना कर ! कुछ ऐसे भी हैं जो इसे रद्दी समझ कर पटक देते हैं घर के किसी कोने में तो कुछ बहुत उदार हो कर पूजते हैं मन्दिर में किसी आले में रख कर गीता क़ुरआन बाइबिल जैसे किसी पवित्र ग्रन्थ की तरह ! स्त्री एक क़िताब की तरह होती है जिसे पृष्ठ दर पृष्ठ कभी कोई पढ़ता नही समझता नही आवरण से ले कर अन्तिम पृष्ठ तक, सिर्फ़ देखता है टटोलता है ! और वो रह जाती है अनबांची, अनअभिव्यक्त, अभिशप्त सी ब्याहता हो कर भी कुआंरी सी, विस्तृत हो कर भी सिमटी सी ! छुए तन में एक अनछुआ मन लिए सदा ही !!! ©Andy Mann #स्त्री puja udeshi Sangeet... अदनासा- Ashutosh Mishra Neel
#स्त्री puja udeshi Sangeet... अदनासा- Ashutosh Mishra Neel
read moreअदनासा-
Rishi Ranjan
White कुछ स्त्रियां हौसला होती हैं अपना और अपने परिवार का ऐसा नहीं कि वो टूटती नहीं बिखरती, रोती और बिलखती नहीं पर इन सबसे ऊपर होता है उनका आत्म विश्वास खुद को खुद ही जोड़ने का हुनर हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेने का हुनर अपनी कमजोरियों से लड़कर उन्हें अपनी ताकत बना लेने का हुनर नहीं होती हैं वो फूल सी नाज़ुक कलाइयों की जिसमें चूड़ियां पहनाई जा सके बस पहन कर एक घड़ी ही वह चलती हैं,साथ साथ समय के कोशिश करती हैं कदम से कदम मिला कर चलने की अपनी क्षमता और प्रतिभा से बस सब कुछ पाने का सपना देखती हैं नहीं चाहती वो किसी के ऊपर एक पाई पाई का मोहताज होना बस एक सम्मान और व्यक्तिगत पहचान चाहती हैं अपनी कि उनको लोग पिता और पति के नाम से बढ़ कर भी जाने उनके स्वयं की कार्य,कुशलता और सफ़ल होने की मापन प्रणाली में दर्ज करा सके वो नाम अपना कुछ नहीं चाह होती सिवाय इस के उसे भी समाज में एक पुरुष की तरह बराबरी और सम्मान मिले एक लड़की या एक स्त्री से परे होकर समाज की सफलता और असफलता की परिभाषा से उसे भी देखा और गिना जाए ll ©Rishi Ranjan #sad_shayari Anupriya Vikas Sahni kajal saini Preeti Devi Mr anjali Dancer8544 #Mother #स्त्री
#sad_shayari Anupriya Vikas Sahni kajal saini Preeti Devi Mr anjali Dancer8544 #Mother #स्त्री
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