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Anita Saini
"प्रेम वो "प्रांजल पुष्प" है जिसके पुंकेसर पृथ्वी, प्रकृति, प्राणी एवं पुण्याचरणं बचाकर रखे हुए हैं,, "प्रेम वो "प्रांजल पुष्प" है जिसके पुंकेसर पृथ्वी, प्रकृति, प्राणी एवं पुण्याचरणं बचाकर रखे हुए हैं,, Hello Resties! ❤️ Collab on this #
Unconditiona L💓ve😉
(◔‿◔) (◔‿◔) My SCOOBY ❤ dear, yourHeart has always been worsh- iping me I know your feelingsand heart are very pu re,very vast filled with infi. loveand respect for everyone your wordsand thoughts have been very pure and inspirational for me, I have always I have found you close to your heart, Your love and affection have always been the reason for this innocent child to be happy Your heart is too pious , lovable ,You smell like flowers in the spring,You sway like a peacock in the rains,yo -ur Innocent face is the idol of humanity.Naive and sweet, very beautiful.When I see yourface, my mind becomes happy.I got a priceless gift from God as a boon.your body is soft and pretty thought, your mind is so beautiful.Love is reflected in the eyes, its Lord resides in the heart stay happy in the devotional thoughts of Shiva lotsof love And care ♡‿♡ \ m u h c. 🍭 \😊 / 🎽 | | Respected to You DOOBY dear ❤ ❤It's Shirley 👑❤☺️__ओं प्यारी स्कूबी डूबी जी... सोंचा था आपके लिए एक प्यारी सी डॉगी🐩🐶🐕 बनाऊं,, लेकिन देखिये,, समय ही नहीं मिल पाते प्यारी __
डॉ.अजय कुमार मिश्र
प्रांजल प्रांजल प्रति प्रति प्रेरित। प्रखर प्रखरता प्रमुदित प्रमुदित।। प्रथित प्रेय प्रभुता प्रभु प्रातः । प्रणति प्रणम्य प्रभाकर प्रीति।। ------------------ स्वरचित डॉ. अजय कुमार मिश्र ©डॉ.अजय मिश्र प्रांजल-प्रीति #waiting
DIL
ना ही हमें हुस्न चाहिए, ना ही हुस्न-ए परी चाहिए। सुनो प्यार से सब रावण कहते हैं, बस मुझे तो मेरी मंदोदरी चाहिए। लेखक-दिलीप कुमार प्रजापति ©DIL दिलीप कुमार प्रजापति "प्रांजल" #Dussehra2020
Deeksha Kushwaha
vinay tiwari pranjal
डॉ.अजय कुमार मिश्र
आज मेरे छोटे सुपुत्र प्रांजल मिश्र का जन्म दिन है। आप सभी से शुभाशीष की अपेक्षा एवं चिरंजीवी होने के आशीर्वाद की कामना से आप सभी को सादर प्र
Suraj kumar
यश के ऊचे अधियारें में, चमक रहे नव युग तारे, वो रुके नहीं जो थके नहीं, साहिल से चढ़कर खींचे तारे (pranjal patil)। सदियों से अज्ञान अंधेरा, धर्म जाति मतभेद रहे। इन सबको अब दूर करे, और खुशियों से हम भरपूर्ण रहे। सतयुग त्रेता द्वापर बीते, कलयुग भी अब बीत रहे। बेटी बोझ नहीं होगी, मिलकर हम सब वचन करे। जहां दे रहे पुण्य सभी को, वीरो के बलिदान अमर रहे। अग्रदूत बन जाए देश, जो अनुपम स्वर्ण विधान रहे। भारत मां के वीर सपूतों की, इच्छाशक्ति महान रहे। दुश्मन भी थर्रा जाए, जब दिल में हिंदुस्तान रहे। नई चेतना नई सोच से, जीवन सबके बदल रहे। नव युग है अब नए दौर में, मिल कर के हम साथ रहे। जले ज्योति जो जीवन के मन में, जीवन भर यूं ही जली रहे। तन्मय तिमिर ना आने पाए, ज्योतिर्मय जीवन बना रहे। तन्मय तिमिर ना आने पाए ज्योतिर्मय जीवन बना रहे। - सूरज कुमार देश की पहली महिला नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर को समर्पित (प्रांजल पाटिल) "यश के ऊंचे अंधियारे में चमक रहे नवयुग तारे............
कलम क्रांति
#OpenPoetry ________________________________ मुलाकात की होंठों पर खुशी........... ________________________________ read full poem below👇 मुलाकात की होंठों पर खुशी, बिछड़ने की आंखों में नमी रहती है। तुम कभी साथ नही रही मगर, हमेशा ही तुम्हारी कमी रहती है।।