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ANIL KUMAR
घर से भागो तो संभल कर भागो रांझे हमने कटघरे में बदलती हीर को देखा है ©ANIL KUMAR हीर को बदलते देखा है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हीर छन्द आप मिले, फूल खिले, देख रहे नैन है । पास रहो, बात करो , आज बड़ा चैन है ।। आप बनें ,साथ रहे , आप ही करार हो । आप बिना , नींद कहा , मेरे सरकार हो ।। रंग उड़े, फाग चले , झूम रहा आज है । संग रहूँ , प्रेम करूँ, दिल पे तो राज है ।। प्यास बुझे , आस जगे, दिल में मधुमास हो । देख पिया , आज जिया , छूता आकाश हो ।। १३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हीर छन्द आप मिले, फूल खिले, देख रहे नैन है । पास रहो, बात करो , आज बड़ा चैन है ।। आप बनें ,साथ रहे , आप ही करार हो ।
aditi the writer
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई सद्दो नी मैनूँ धीदो राँझा हीर ना आखो कोई राँझा मैं विच्च मैं रांझे विच्च होर ख़याल ना कोई मैं नहीं उह आप है आपनी आप करे दिल-जोई राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई हथ खूंडी मेरे अग्गे मंगू मोढे भूरा लोई 'बुल्ल्हा' हीर सलेटी वेखो कित्थे जा खलोई राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई सद्दो नी मैनूँ धीदो राँझा हीर ना आखो को बुल्ले शाह ©aditi the writer #हीर रांझा Niaz (Harf) R Jain shraddha.meera 13ra__Rao
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- इस चमन को गुलाब कर दूँगा । आईना मैं ख़राब कर दूँगा ।।१ आज उसको मैं बनाकर दुल्हन । इक हँसीं माहताब कर दूँगा ।।२ हीर फीकी लगे सभी को फिर । तुमको ऐसा नायाब कर दूँगा ।।३ भूल तुमको कभी नहीं सकते । पर वफ़ा ये बेनकाब कर दूँगा ।।४ दर्द देते रहो मुझे हमदम । शाम ढ़लते हिसाब कर दूँगा ।।५ प्यास अब भी न बुझ सकी तो मैं । आज पानी शराब कर दूँगा ।।६ होश उड़ जायेंगे सभी के फिर । जब तुम्हें कामयाब कर दूँगा ।।७ जानता हूँ नहीं मिलोगे तुम । पर तेरा इंतख़ाब कर लूँगा ।।८ ज़िन्दगी चार दिन प्रखर की है । पर इसे लाजवाब कर दूँगा ।।९ २२/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- इस चमन को गुलाब कर दूँगा । आईना मैं ख़राब कर दूँगा ।।१ आज उसको मैं बनाकर दुल्हन ।
ਸੀਰਿਯਸ jatt
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- साजन माँग अपनी संवारे , रूप अपना निखारे भाए मन साजन के , घूंघटा उठाइये । खन-खन चूड़ी बोले , दिल धीरे-धीरे डोले , कहते क्या है साजन , हमें भी बताइये । प्रीति ये अमर रहे , जीवन सफल रहे , आप जब संग संग , जीवन बिताइये । इतनी सी न बात है , जीवन यह खास है , आप यूँ न दिल मेरा , ऐसे तो चुराइये ।।१ संग रहते साजन , प्यारा सा यह आँगन , बच्चों की है किलकारी , खुशियाँ मनाइये । साजन का प्यार यह , सूरत शृंगार यह , दिल उनका जीत ले , पलक न उठाइये । कभी बोले हीर है तू , कभी बोले नीर है तू , अंतस की प्यास को तू , मेरी बुझाइये । यही आज आस बाकी , रहे अब स्वास बाकी , संग तेरे जीवन का , आनंद उठाइये ।।२ ०७/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- साजन माँग अपनी संवारे , रूप अपना निखारे भाए मन साजन के , घूंघटा उठाइये ।
AnuWrites@बेबाकबातें
#सजनवा आज दिखे #गंभीर , लगता है ले लिया उड़ता #तीर । मैंने कितना ही समझाया , #पड़ोसन मतलब से है #हीर । जरा सा हंसकर वो बोली , उठाकर दे दी अपनी #खीर । आज #आलम यह आ पहुंचा , कह रही नाम करो #जागीर..! 😁😁😁 ©AnuWrites@बेबाकबोल #सजनवा आज दिखे #गंभीर , लगता है ले लिया उड़ता #तीर । मैंने कितना ही समझाया , #पड़ोसन मतलब से है #हीर । जरा सा हंसकर वो बोली , उठाकर दे दी अ