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Md Aslam
White आत्म-सम्मान वह दर्पण है जो आपको आपकी सच्चाई दिखाता है, इसे कभी फीका न पड़ने दें... ©Md Aslam #आत्म-सम्मान वह दर्पण है जो आपको आपकी सच्चाई दिखाता है, इसे कभी फीका न पड़ने दें...
#आत्म-सम्मान वह दर्पण है जो आपको आपकी सच्चाई दिखाता है, इसे कभी फीका न पड़ने दें... #मोटिवेशनल
read moreअज्ञात
तुमसे मिलना था इसलिये संवरना था मगर ये क्या..! दर्पण में जब ख़ुद को देखा उसमें तुम नज़र आये..!! चौंककर जब दर्पण से पूछा हमनें- ये क्या माजरा है नादाँ दर्पण..!! बोला यही तो है तुम्हारा सच्चा समर्पण..!! दर्पण हूँ..!, झूठ ना बताऊंगा..!! जो तुझमें देखूंगा वही तो दिखाऊंगा..!! अब तुझमें तू है कहां तेरे तो रोम रोम में वही समाया है..!! जिससे मिलने को तूने ख़ुद को सजाया है..!! दर्पण की बात सुन मैं मदहोश हो गया..!! दर्पण मुझे देखकर बोल गया.. !! -प्रीत रंग जो रंग गयो, पुनि ना रंग कोउ भाय प्रियतम सारा जग भयो पिय बिन कछु न सुहाय.. ©अज्ञात #दर्पण
Ranjit Kumar
#दर्पण में मुख और संसार में सुख। Kiຮhori (ᵔᴥᵔ) Ravi Ranjan Kumar Kausik Priyanshi Andy Mann Mili Saha Anshu writer Sm@rty divi p@ndey भ #Motivational
read moreDevesh Dixit
दर्पण (दोहे) दूजों को दर्पण दिखा, आती है मुस्कान। खुद की बारी में वही, मुंँह फेरे इंसान।। खुद ही दर्पण देख ले, मिल जाती पहचान। देख बुराई आप में, क्या पाता इंसान।। उसको जो भी सुख लगे, हो न कभी संतोष। खुद को ही देखे नहीं, ढूँढे सब में दोष।। कहते हैं सज्जन सभी, बाँटों सब में प्यार। दर्पण को छोड़ो वहीं, मिलती खुशी अपार।। दर्पण का उपयोग जो, लेना वो ही काम। रूप निहारो जो करो, है ये ही पैगाम।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #दर्पण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दर्पण (दोहे) दूजों को दर्पण दिखा, आती है मुस्कान। खुद की बारी में वही, मुंँह फेरे इंसान।। ख
#दर्पण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दर्पण (दोहे) दूजों को दर्पण दिखा, आती है मुस्कान। खुद की बारी में वही, मुंँह फेरे इंसान।। ख #Poetry #sandiprohila
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White एक पुरानी कहानी है एक था खरगोश एक था कछुआ दोनों में हो गया रेस का जसवा खरगोश और कछुआ के बीच में प्रतियोगिता हो गई कि कौन पहले आता है आगे कछुआ का चला था धीरे और खरगोश था तेज दौड़ने में कछुआ चला धीरे-धीरे खरगोश दौड़ के सोचा कि हम तो बहुत तेज दौड़ते हैं हम चाहे थोड़ा आराम कर ले फिर भी प्रथम स्थान पर हम ही आएंगे खरगोश की यह सोचने उसे रेस के प्रतियोगिता में हार का सामना करना पड़ा और वह अंत में बहुत फुट-फुट के रोने लगा की कछुआ धीरे चलने वाला मेरी तेज रफ्तार से होने के बाद भी वह प्रतियोगिता जीत गया और मैं हार गया जीवन में दो चीज बहुत महत्वपूर्ण है या तो जीत या तो हार प्रथम स्थान और हार यह दोनों जिंदगी के दो पहलू हैं लेकिन व्यक्ति को हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए एक न एक दिन सफलता सबको मिलती है सीखना और सीखाना यह सिलसिला जिंदगी भर चलते रहता है जब तक आपकी सांसे चलती है यह सिलसिला चलते रहता है 🙏🙏 ©person #Hope racing competition दौड़ प्रतियोगिता
Vishal Kushwaha
गोदी मीडिया और राजनीत! मेरी कलम से राजनीति का दर्पण part - 4 @vishalkushwaham @dhruvrathee @NarendraModi @MyGovIndia @shubhankarmi #कविता #शायरी #चुनाव #berojgari #rajniti #youth #rahulgandhi #amitsah #cruption
read moreबेजुबान शायर shivkumar
" तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ वैसी ही रखी हैँ ,, वह चाय का कप और हिसाब की किताब, बिस्तर के सरआने पर बिलकुल वैसी ही अधूरी रखी हैँ ,, जहाँ बिताए थे कुछ पल बैठकर साथ अब वहां धूल चढ़ी है, जहाँ चलते थे दो कदम साथ वहां अब दूब बढ़ गयी है ,, तेरे जाने के बाद से वह हमारी तस्वीर अब अधूरी रह गयी है, रंग सब सूख गए हैँ और तस्वीर में रंग की जगह खाली रह गयी है ,, तेरे गिटार के तार अब टूट गए हैँ तेरी आधी पढ़ी कहानी की किताब अभी वहीँ पड़ी है, उन गीतों का क्या होगा जिसकी धुन अभी आधी बनी है ,, घर की चाबी अभी भी उस दराज़ में तेरे छल्ले के साथ मैंने रखी है, वह पर्दे जो जो लगाए थे कमरों में रंग भरने उन पर अभी कुछ धूल चढ़ी है ,, वह कमरा जहाँ बिताए थे पल यादगार, वीरान हो गया है, वह कंघा, वह आइना, अभी भी तेरे टूटे बाल, तेरी बिंदिया के निशान खोज रहा है ,, वह कमरे की खिड़की अभी भी आधी खुली है, कुछ छनी धूप वहां से झाँक रही है ,, वह खुश्क़ चादर अपनी अब भी कोने में पड़ी है, तेरी टूटी हुईं चूड़ियाँ भी मैंने वहीँ सहेज कर रखी है ,, ~शिवकुमार बर्मन ✍🥀 ©Shivkumar #aaina #आइना #दर्पण #Nojoto #nojotohindi #कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
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