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Ravishankar Nishad

मोर माटी के दाई दुर्गा का तोला मानव दाई #भक्ति

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Kamal Chandra yadav banda

हर बारिश में नाचने की jumbedari मोर क्यू लेगा #विचार

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Himanshu Prajapati

#Holi जैसे दूरदर्शन पर आज भी देखनें में अच्छा लगता है रंगोली, वैसे ही त्योहारों में मजेदार होता है रंग से भरी होली..! #विचार

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जैसे दूरदर्शन पर आज भी 
देखनें में अच्छा लगता है रंगोली,
वैसे ही त्योहारों में मजेदार होता है
रंग से भरी होली..!

©Himanshu Prajapati #Holi जैसे दूरदर्शन पर आज भी 
देखनें में अच्छा लगता है रंगोली,
वैसे ही त्योहारों में मजेदार होता है
रंग से भरी होली..!

Ravishankar Nishad

मोर फोटो गैलरी देखिए कैसे लगा बतुओ #ज़िन्दगी

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DM

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अहर्निश छन्द  आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  । #कविता

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अहर्निश छन्द 

आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।

१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 


आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली ।

क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।

वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अहर्निश छन्द  आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  । अब कैसी दूर #कविता

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अहर्निश छन्द 

आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।

१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 

आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूर

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अहर्निश छन्द  आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  । #कविता

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अहर्निश छन्द 

आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।


१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 


आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।

क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।

वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।

Ravishankar Nishad

अमरैया आज रा ताई मोर चंदा गोरी मैं तोर चाकुर वो #लव

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Ravishankar Nishad

छत्तीसगढ़ भाषा मैं दाई के मोर अचरा के छईंहा,दद के मया अपार । इंखरे सेवा कर ले रे संगी,हो जाही तोर बेड़ा पार।। #प्रेरक

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