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Vikash Sancheti
I am delighted because अंधेरे को मिटना होगा, रोशन ये शमा होगा। ढलती सांझ के बाद सवेरा फिर होना है
लेखक ओझा
वो सांझ ढले की पर्दे में हया जीत गई इसी जुमले में और मुक्कमल कुछ न हुआ ऐसे घुट–घुट कर जीने में ।। ©लेखक ओझा वो सांझ ढले
@_Kailash_kumar_4455
मेनें तुझे जब भी चाहा बडी शिद्दत्त से चाहा के तेरे जाने के बाद मेने किसी से दिल नही लगाया . मुझे आज भी याद है वो मेरी जिन्दगी की सबसे किमती सवेरा जब तुने मेरा मुहँ चुमकर मुझे जगाया था फिर वो सवेरा मेरी जिन्दगी मे कभी मुड कर नही आया . ©Kailash Bhardwaj वो सवेरा #ishq
Shashank Rastogi
दुनिया का हर अंधेरा कभी ना कभी रौशन होता है हर उदासी भरी रात के बाद एक उज्जवल सवेरा होता है रात और सवेरा #रात #सवेरा
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एक रोज का सवेरा सवेरा सा लगा । लेकिन उस रोज का सवेरा अपना सा ना लगा ।आखिर उस सवेरे में क्या था किससे पूछे ऐसा क्यों था? शायद मेरे अंदर का छुपा हुआ सक्स जानता था की वैसा क्यों है फिर दिल ने सोचा क्यों सोचना ।वह कैसा सवेरा था। वो जिसमे अपना सा ना लगा क्यों अपने अंदर रखना? आखिर उसके बारे में क्यों सोचना फ़िर अचानक खुद को आईने में देखा और अपने अंदर के सकश से जानने की कोशिश की तो पता चला। कि उसका उत्तर सिर्फ मेरे पास ही है फिर मैंने उसका उत्तर ढूंढना बिल्कुल भी खुद के लिए सही नहीं समझा। मैंने उस उत्तर को खुद के अंदर ही खो दिया फिर मैंने जाना कि कभी-कभी कुछ सवालों के जवाब सवाल से भी बहुत बड़े राज को लेकर आते हैं और इस राज को उस राज के अंदर ही दफन कर दिया क्योंकि किसी राज को दूसरे राज की जरूरत नहीं होती। उसे ना तो कोई पूरा कर सकता है और ना ही कोई अधूरा कर सकता है।।। ©Ritik Raj वो सवेरा सवाल और राज।। #Dil__ki__Aawaz #Savera #Raj BIKASH SINGH
Author Harsh Ranjan
हवा में तैरते सत्य को मैंने पन्ने पर रख दिया, पन्ना आदतवश हर सड़क, गली, नुक्कड़ उसे पेश कर आया। लोगों को लगता है कि एक तमंचा लेकर घर से निकला आज़ाद पागल था, एक बम फेंककर फांसी चढ़ते युवा सनकी थे, डेढ़ किलो के दिमाग में किताबें भरकर पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आते लोग व्यसनी थे। अनपढ़ देश मे कागज़-कलम दयनीय हैं खासकर कि तब जब देश में दर्जन भर लिपियाँ हो! कुछ लोग आज भी मानते हैं कि कागज़ और आवाजें बहुत कुछ कर सकती हैं। जिन्हें कुछ की काबिलियत नहीं वो सरकारी कर्मचारी बन गए। जो कुछ कर नहीं सकते वो प्रशासनिक अधिकारी बन गए, जिन्हें बाधाएं डालने की आदत है वो सतर्कता में चले गए, और हर मुँहचोर, सवालों से कई लेवेल ऊपर जाने के लिए नेता या मनोरंजन खोर बन गए। देश चुनौती के चु से परेशान नहीं है यहाँ दुख कुछ और है! ये जो मुंह अंधेरे हाथ में टोर्च लिए मुर्गे की आवाज में बांग देते हो, हमें पता है सवेरा और सूर्य कहीं और है। सवेरा कहीं और है
Author Harsh Ranjan
हवा में तैरते सत्य को मैंने पन्ने पर रख दिया, पन्ना आदतवश हर सड़क, गली, नुक्कड़ उसे पेश कर आया। लोगों को लगता है कि एक तमंचा लेकर घर से निकला आज़ाद पागल था, एक बम फेंककर फांसी चढ़ते युवा सनकी थे, डेढ़ किलो के दिमाग में किताबें भरकर पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आते लोग व्यसनी थे। अनपढ़ देश मे कागज़-कलम दयनीय हैं खासकर कि तब जब देश में दर्जन भर लिपियाँ हो! कुछ लोग आज भी मानते हैं कि कागज़ और आवाजें बहुत कुछ कर सकती हैं। जिन्हें कुछ की काबिलियत नहीं वो सरकारी कर्मचारी बन गए। जो कुछ कर नहीं सकते वो प्रशासनिक अधिकारी बन गए, जिन्हें बाधाएं डालने की आदत है वो सतर्कता में चले गए, और हर मुँहचोर, सवालों से कई लेवेल ऊपर जाने के लिए नेता या मनोरंजन खोर बन गए। देश चुनौती के चु से परेशान नहीं है यहाँ दुख कुछ और है! ये जो मुंह अंधेरे हाथ में टोर्च लिए मुर्गे की आवाज में बांग देते हो, हमें पता है सवेरा और सूर्य कहीं और है। सवेरा कहीं और है