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Poetry-Meri Diary Se
White हों गई हैँ अब आदत तन्हा अकेले जीने की, तेरी महफ़िलो की अब ज़रूरत नहीं हैँ! सांसे भी अब मेरी हैँ रूह भी मेरी, तेरा अब कोई भी दावेदारी मुझपे नहीं हैँ! ©Poetry-Meri Diary Se #sad_shayari हों गई हैँ आदत@#
!! Akash Maurya!!
#Mr.India
मेरी सुबह भी आप हों, मेरी शाम भी आप, मेरे जीवन का हर क्षण आप हों, मेरे प्यारे महादेव मेरे जीवन का निर्माण आप हों, मैं तो आपमें मिलना चाहता हूं, मेरा निर्वाण आप हों...!!! ©#Mr.India मेरी सुबह भी आप हों, मेरी शाम भी आप, मेरे जीवन का हर क्षण आप हों, मेरे प्यारे महादेव मेरे जीवन का निर्माण आप हों, मैं तो आपमें मिलना चाहता ह
MमtA Maया
मैं थक गई हूँ ज़िंदगी से लड़-लड़ के अब रहम कर दे या कब्र दे तेरी मर्ज़ी ©MमtA Maया बहुत हों गया अब नहीं
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद । हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।। छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल । नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।। तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग । दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।। उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग । अबके फिगुन मीत मिलेंगे.... अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। ०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके ,
Divya Raj Tomar
मैनें एक दोस्त को फोन किया और कहा कि यह मेरा नया नंबर है, सेव कर लेना। उसने बहुत अच्छा जवाब दिया और मेरी आँखों से आँसू निकल आए उसने कहा तेरी आवाज़ मैंने सेव कर रखा है। नंबर तुम चाहे कितने भी बदल लो, मुझे कोई भी फर्क नहीं पड़ता दोस्त। मैं तुझे तेरी आवाज़ से ही पहचान लूंगा। ये सुन के मुझे हरिवंश राय बच्चन जी की बहुत ही सुन्दर कविता याद आ गई "अगर बिकी तेरी दोस्ती तो, पहले खरीददार हम होंगे। तुझे ख़बर ना होगी तेरी कीमत, पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे| दोस्त साथ हों तो रोने में भी शान है। दोस्त ना हो तो महफिल भी शमशान है। "सारा खेल दोस्ती का हे ए मेरे दोस्त, वरना.. जनाजा और बारात एक ही समान है। ©Divya Raj Tomar "अगर बिकी तेरी दोस्ती तो, पहले खरीददार हम होंगे। तुझे ख़बर ना होगी तेरी कीमत, पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे| #Friend #Friend #Friendshi
हिमांशु Kulshreshtha
अजीब सी चुभन है दिल में टुकड़े टुकड़े हो रहा हूँ मैं तुम्हें जो हमारी ज़रूरत नहीं हम ख़ुश है अपनी ख़ुदी में मेहरबानी की ज़रूरत नहीं तुम्हें क्यूँ लगता बस तुम्हीं तुम हो हम भी हम हैं, ये भी ग़लत तो नहीं ©हिमांशु Kulshreshtha हम भी हम हैं...