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Ek villain
मलयालम फिल्म की एक निर्देशक हैं उर्दू गोपाल कृष्ण मलालायम की में नई तरह की फिल्म बनाने को लेकर उनके क्या आती रही है कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं पदम श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित देश-विदेश की फिल्म से जुड़ी संस्थाओं से किसी ना किसी रूप से जुड़े रहे इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार आपातकाल 1975 के दौर में पुणे में कैदी फिल्म टेलीविजन संस्थान के निदेशक रह चुके हैं फिल्म से जुड़ी संस्थाओं में भी रहे हैं यह सब बताने का आशय यह है कि अदूर गोपालकृष्णन की फिल्म से जुड़ी संस्थाओं का लंबा अनुभव है ऐसे में कई बार होता है कि अनुभव की था 30 को लेकर चल रही थी समय के साथ आने वाले बदलाव की आहट नहीं पाता अदूर गोपालकृष्णन के साथ भी यही होता प्रतीत हो रहा है इन दिनों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अलग-अलग विभागों के पुनर्गठन के फैसले की आलोचना कर रहे हैं उन्हें लगता है कि केंद्र सरकार का यह फैसला अनुचित है उनका मानना है कि इन संस्थाओं को वर्तमान स्वरूप में ही काम करने दिया जाए जब वह इस तरह की बात करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि बदलते हुए समय को पहचाना नहीं पा रहे हैं मनोरंजन की दुनिया यह उसके प्रशासन से जुड़े तौर-तरीके अब नहीं रहे उदाहरण पहले हुआ करते थे उदाहरण महामारी के बाद मनोरंजन की दुनिया बदल चुकी है सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत फिल्म से संबंधित कई भाग हैं जिनका गठन उदारीकरण के दौर में हुआ था फिल्म विभाग बाल चरित्र चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के गठन के समय की मांग के अनुसार इन विभागों के दायित्व किए गए थे ©Ek villain #संस्थाओं में सुधार समय की मांग #Love
Ek villain
कॉलेज ड्रेस कोड से संबंधित एक मुद्दे ने कर्नाटक के बाकी हिस्सों में भी विवाद को जन्म दे दिया है तमाम अराजक तत्व धार्मिक परिंदे और विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इस सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई और हिंसा में आग आदि की घटनाओं को अंजाम दिया गया संबंधित घटनाओं की बढ़ती गंभीरता और से जुड़े हिंसा को देखते हैं कर्नाटक सरकार द्वारा 3 दिन की आवश्यकता की घोषणा कर दी गई हम इस पर पूरी बहस के सामने आने वाली भटगांव से बचाते तीन महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देना चाहिए पहला यह कि मामले तो धरने के बीच का नहीं है बल्कि धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा और धार्मिक मान्यताओं के बीच का है जिसे वर्तमान परिस्थिति में संविधान की दृष्टि से देखा ना होगा दूसरा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है तीसरा मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर प्रभाव धार्मिक व्यवस्था पर राजनीतिक तंत्र व्यवस्था स्थापित किया गया था आगे चलकर पॉप या खलीफा के नेता वाली में 2 योगिनी धार्मिक सप्ताह के तहत चलने वाली राज्य व्यवस्था की जगह पर आंशिक क्रांति के सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने लिया तो इस बात पर बल दिया गया है कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से जुड़े लोगों को दबाया नहीं जाना चाहिए अगर यूरोपीय इतिहास को ही देखे तो धर्म और राज्य को लेकर वह अलग अलग प्रयोग भी किए गए हैं जहां कई राज्यों में विवाद पहुंचे और धर्म को महत्व दिया गया है ©Ek villain #शिक्षा संस्थाओं में ड्रेस कोड का मामला #promiseday
#CTK -Funny 0r Die
रुझान आने शुरू हो गये। आप बचे हुए पैसे को डोनेट कर सकते उन संस्थाओं को जो एसिड विक्टिम के लिये काम करती हैं। हमारी अपील है आप भी टुकड़े गैंग
अदनासा-
Suyash
🇮🇳🇮🇳 आज "हिंदी दिवस" है । 🇮🇳 हमारी सरकारों ने हिंदी माध्य्म के छात्रों के लिए रोजगार नहीं पैदा किये । नौकरी के लिए निजी संस्थाओं या उच्च पदों पर अंग्रेजी की अनिवार्यता है । यदि साक्षात्कार के लिए आया उम्मीदवार अंग्रेजी भाषा मे वार्तालाप में सक्षम नही तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है ।। पर मुझे गर्व है कि मैं हिंदी भाषी हूँ अब इसके लिए जो भी हर्जाना भुगतना हो मुझे स्वीकार है ।। 😶😑🙄😞😟 🇮🇳🇮🇳 आज "हिंदी दिवस" है । 🇮🇳 हमारी सरकारों ने हिंदी माध्य्म के छात्रों के लिए रोजगार नहीं पैदा किये । नौकरी के लिए निजी संस्थाओं या उच
Ravendra
vibrant.writer
साहब, सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग करके, तुम, जैसे अभिमन्यु को मार रहे हैं। सावधान रहना! जब हर अच्छा इंसान, पांडवों की तरह नियम त्याग देगा। © Vibrant_writer साहब, तुम्हारा राजनीतिक अहम और दुनिया में अमर रहने की इच्छा भी, तुम्हारे जीते जी मिट्टी में मिलेगी और अश्वत्थामा के जैसे तुम भी भटकोगे। © Vibrant_writer साहब, झूठ की पहरेदारी आम बात नहीं, पर तुम झूठ के सौदागर बने फिरते हो। धृतराष्ट्र की तरह तुम्हारी हर गलती पर, इतिहास तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा। © Vibrant_writer साहब, जिसे तुमने कर्ण जैसा दोस्त समझा है, वह तड़ीपार असल में शकुनी सा चालबाज है। इसे सर पर चढ़ा कर तुमने जो गलती की है, उसे मां भारती को सालों तक झेलना पड़ेगा। © Vibrant_writer साहब, अब तुम दुर्योधन की तरह हो गए हो, जिसे बस किसी भी तरह से सत्ता चाहिए। पर न सत्ता तब दुर्योधन को मिली थी, और न सत्ता अब साहब तुम्हें मिलेगी। #sahab #Election2019 साहब, सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग करके, तुम, जैसे अभिमन्यु को मार रहे हैं। सावधान रहना! जब हर अच्छा इंसान, पांडवों