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Sabir Khan
हर प्रतिकार की संज्ञा ऐसी होती है, जैसे बंजर जमीन पर नई कोपलें आ रही हों। प्रतिकार
Swati Mishra
तुम्हे बहुत घुटन हो रही न , कदम बाहर निकलने को बिदक रहे न, मन व्यथित और आँखें व्याकुल हो रही न, पर अपने किये का फल तो मिलता ही है,इसका तो हम सबको ज्ञान है ही न, तो जब चंद रुपयो में बेबस और मूक जीवो को निहारने जाते थे, उनकी बेबसी को उनकी आज्ञाकारिता का आकार देकर आते थे। नही चुभती थी तब तुम्हे उन वानरों की चुप्पी, लोहे के दरवाजों से चिपके उनके बदन और आस में बंधी उनकी नजर न। चमड़े की जड़ को अनदेखा कर ,उन्हें पैरों और कमर में बांधकर, दिवारों पे सजाते थे न, सजीव को मार के अपना भोजम बना आसीन सुख पाते थे न, वो भी तुम्हारी तरह इश्वर की अप्रतिम रचना है , भूल जाते थे न, दरवाजे पे गुहार लगाते कुत्तों व गाय को दो रोटी को तरसाते थे न। तो बस प्रकृति अपना प्रतीकार ले रही , तुम्हे पूरा तो नही बस थोड़ा बर्बाद कर रही, तुम्हे धीमी गति से आगाह कर रही, दया और दान को अपनाने की गुहार कर रही। प्रतिकार
S. M. Jha
एस एम झा अध्यक्ष:"सरोकार"सिविल सोसाइटी #सरोकार करेंगे प्रतिकार
Umrain Ahmed (Akhtar)
सिला = बदला ; प्रतिकार Reward
Anjali Jain
हमेशा से होता आया है, संसार ने गलत करने वाले को इतना बुरा नहीं कहा, जितना गलत का प्रतिकार करने वाले को बुरा कहा!! ©अंजलि जैन #गलत का प्रतिकार#२०.१०.२०
प्रकाश साळवी
तु ही !! ***** किती सोसलेस प्रतिकार तु ही तरी घेतली नाहिस माघार तु ही ** घडता घडविता मोडलेस किती खरा म्हणावा तुजला कुंभार तु ही ** कसे उपकार फेडू सांग आयुष्या आहेस जीवनाचा शिल्पकार तु ही ** दाव एकदातरी खरे रूप देवा तुझे म्हणे निर्गुण, निराकार साकार तु ही ** किती सोसणार अजून बलात्कार हे कर तुझ्या अस्रांचा भडिमार तु ही ** जगी तुला म्हणतात चांगला रे किती बघ कसे एकदा देऊन नकार तु ही ** चांगले वाईट हा तर मनाचा खेळ आहे तु मनाचा विकार अन् झंकार तु ही ** प्रकाश साळवी बदलापूर - ठाणे मोबा. 9158256054 किती सोसलेस प्रतिकार तु ही
Ek villain
कॉमेडी महामारी गब्बर को अभी थमा ही नहीं हर थोड़े अंतराल पर रूप बदलकर प्रकट होने वाली गैस चालान बीमारी ने हमारे जीवन चर्या को बुरी तरह प्रभावित किया जीवन के सभी रंग धुंधले से हो गए हैं अब मेल मिलाप के स्वाभाविक मानवीय रूचि बाधित सी हुई है इस कठिन समय में वसंत का फिर से आना उमंग कि नहीं को पहले फूट जाती है मानव कठिनाइयों को बस करने की कोई विधि हाथ लगी हो जीवन की दौड़ के कई राह मिल गई हो पर क्या वसंत इतना है क्या और इस बारे का औसत कोविड-19 मारी मानव समुदाय को कुछ कह रहा है हमें सुननी होगी यह आवाज को भिन्न महामारी ने वैसे तो हमें निर्णय को नुकसान पहुंचाया है पर इसे सीख को कभी प्रत्यक्ष कर दिया है जीवन को संतुलित ढंग से जीना है स्वभाविक लाभ है मेडिकल विज्ञान की शब्दवाणी में जिस न्यू मिनट ही कहा जाता है वह वास्तव में मानसिक और शारीरिक क्षमता के मेल का ही प्रतिनिधि शब्द है प्रसंता के बिना स्वास्थ्य कैसा वसंत भी तो इसे मानसिक प्रश्न का सूचक है उसका संरचना और इसमें उम्मीद की सुरक्षा कैसे प्राप्त होगी तो वही प्रकृति के संदेश को सुनते हुए अतिशय उपभोग और विलास के प्रतिकार करते हुए मूलभूत स्वभाविक जीवन जीते हुए वसंत विहार में स्वाभाविक मान खुशी के सहार में प्रवेश करता है प्राकृतिक संतुलन का अद्भुत दृश्य सोचता है वसंत भारत के भौगोलिक स्थिति का नाम के बीच आता है 120 निर्माता करता हुआ जहां ©Ek villain #कठिन समय का प्रतिकार #proposeday
Rajesh Raana
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