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राजेश गुप्ता'बादल'
@ मैं बाल मजदूर हूँ @ जी मैं बाल मजदूर हूँ, हाँ मै बाल मजदूर हूँ। शायद आज भी मैं आपके नेह से जो दूर हूँ। तुमने भी अकसर देखा न, देखा छाले वाले नन्हे हाथों को। कानून बहुत गढ़े संसद ने नहीं देखा इन भूखी आँतों को। शौक नहीं मुझे भीे यूँ खटने का पर भूखे मरते नींद न आए रातों को। मगर रीती हो जब खटौटी तो भूल जाना बेहतर है सब बातों को। #hindi #notojo #naikavita @ मैं बाल मजदूर हूँ @ जी मैं बाल मजदूर हूँ, हाँ मै बाल मजदूर हूँ। शायद आज भी मैं आपके नेह से जो दूर हूँ।
#Hindi #notojo #naikavita @ मैं बाल मजदूर हूँ @ जी मैं बाल मजदूर हूँ, हाँ मै बाल मजदूर हूँ। शायद आज भी मैं आपके नेह से जो दूर हूँ।
read moreVikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ हैं वे निम्नानुसार है:- (1) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है । (2) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है । (3) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं । (4) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं । (5) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती । (6) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है । (7) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है (8) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं । जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बैठ कर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ:- (1) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है । (2) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता । (3) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है । (4) हृदय पर भार नहीं पड़ता । (5) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है । (6) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता । (7) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ॥ (8) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती । बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े #समाज
read moreOMG INDIA WORLD
#5LinePoetry . 🕉 *POWER of OM ॐ* *एक घडी, आधी घडी ,* *आधी में पुनि आध।* *तुलसी चरचा राम की ,* *हरै कोटि अपराध।।* 1 घड़ी = 24 मिनट 1/2 घडी़ = 12 मिनट 1/4 घडी़ = 06 मिनट क्या ऐसा हो सकता है कि.. *6 मिनट में किसी साधन से करोडों विकार दूर हो सकते हैं।* उत्तर है-- *हाँ,* हो सकते हैं। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि.... सिर्फ 6 मिनट *ऊँ* का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं , जो दवा से भी इतनी जल्दी ठीक नहीं होते। 👉 छः मिनट *ऊँ* का उच्चारण करने से.. मस्तिष्क में विषेश वाइब्रेशन (कम्पन) होता है., और ऑक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है। 👉 कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं , स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है , स्मरण शक्ति बढती है..। 👉लगातार सुबह शाम 6 मिनट *ॐ* के तीन माह तक उच्चारण से , रक्त संचार संतुलित होता है , और रक्त में *ऑक्सीजन लेबल* बढता है। *रक्त चाप, हृदय रोग, कोलस्ट्रोल* जैसे रोग ठीक हो जाते हैं..। 👉 मात्र 2 सप्ताह दोनों समय *ॐ* के उच्चारण से , *घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी* जैसे रोग दूर होते हैं। 👉 कंठ में विशेष कंपन होता है। *मांसपेशियों को शक्ति* मिलती है। *👉 थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है ,* और स्वर दोष दूर होने लगते हैं। 👉 एक माह तक दिन में तीन बार , 6 मिनट तक *ॐ* के उच्चारण से , *पाचन तन्त्र, लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है ,* और डाइजेशन सही होता है। सैकडौं *उदर रोग* दूर होते हैं। 👉 उच्च स्तर का प्राणायाम होता है , और फेफड़ों में विशेष कंपन होता है। *फेफड़े मजबूत* होते हैं , *स्वसनतंत्र की शक्ति* बढती है , *6 माह में अस्थमा, राजयक्ष्मा (T.B.)* जैसे रोगों में लाभ होता है। 👉 आयु बढती है। ये सारे रिसर्च (शोध) विश्व स्तर के वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं। *जरूरत है छः मिनट रोज करने की..।* नोट :- *ॐ का उच्चारण लम्बे स्वर में करें।।* 🕉 ©OMG INDIA WORLD . 🕉 *POWER of OM ॐ* *एक घडी, आधी घडी ,* *आधी में पुनि आध।* *तुलसी चरचा राम की ,*
. 🕉 *POWER of OM ॐ* *एक घडी, आधी घडी ,* *आधी में पुनि आध।* *तुलसी चरचा राम की ,* #विचार #5LinePoetry
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