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अपनी कुंडली से जानिए धन प्राप्ति के योग *1. जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली मे पंचमेश पंचम मे हो, नवमेश नवम मे हो, एकादशेष एकादश मे हो तो उसको बंपर लाॅटरी का इनाम मिलता है, और वह विदेश भी जाता है ।* *2. जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली मे द्वितियेश द्वितीय भाव मे हो पंचम मे शुक्र हो वह भी लाॅटरी का इनाम जीतता है ।* *3. जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली मे पंचमेश पंचम एवं सप्तमेश सप्तम मे हो वह अवश्य ही सट्टा लगाता है और जीतता है ।* *4. जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली मे पंचमेश एवं सप्तमेष एक साथ केंद्र या त्रिकोण भाव मे हो तो पक्का कौन बनेगा कडोरपति जैसा इनाम जीतता है ।* *5. जिस व्यक्ति के कुंडली मे शुक्र ऊँच्च का बारहवे हो तो पक्का अचानक खूब धन प्राप्त कर उधोगपति बनता है ।* *(अंबानी, डालमिया, बिरला)* *6. जिस व्यक्ति की कुंडली मे दशमेष एकादश मे पंचमेश पंचम मे एवं नवमेश दशम मे हो तो भाग्यकृपा से अचानक बहुत धन प्राप्त होता है । आदमी हवाई यात्रा से व्यापार करता है ।* *7. जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली मे बुध स्वराशि या ऊच्च का होकर केंद्र मे हो वह ऊच्चपद पाकर विदेश मे गुप्त धन निवेश कर , सट्टा भी लगाकर बहुँत धन प्राप्त करता है ।* *8. जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली मे शुक्र लग्न मे स्वराशि मे हो, बुध द्वितीय मे स्वराशि मे हो, शनि नवम मे स्वराशि मे हो तो बहुत कष्टकारी जीवन जीता है, अचानक करोडपति बन जाता है, बहुत नाम कमाता है ।* *9. जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली मे शुक्र स्वराशि का बारहवे हो एवं बुध स्वराशि का लग्न मे हो, दशम मे गुरू स्वराशि मे हो तो भाग्यवश रूपया बहुत हाथ लगता है । अत्यंत धनी बन जाता है, मुफ्त मे मकान-जमीन-वाहन भी हाथ लगता है ।* *10. जिस व्यक्ति के जन्मकुंडली मे पंचमेश बुध पंचम मे, शनि दशम मे स्वराशि मे हो एवं मंगल सप्तम मे स्वराशिस्थ हो तो वह व्यक्ति बचपन से युवावस्था तक एक एक रोटी के लिए तरसता है, मगर युवावस्था आते ही लक्ष्मी और कुबेर दोनो उसके दोनो हाथो पर आकर कृपा बरसाते है, अचानक अरबपति बन जाता है वह व्यक्ति ।* ©FBAEC अपनी कुंडली से जानिए धन प्राप्ति के योग
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कुंडली में आईपीएस आईएएस का योग आइएएस और आइपीएस के योग प्रतियोगी और उच्च पदों की परीक्षा में सफलता हेतु सर्वप्रथम पूरी तरह से उस परीक्षा में सफल होने के लिए दृढ़ण निश्चयी होना, पराक्रमी और अत्यंत बुद्धिमान होने के साथ-साथ जातक की कुंडली में लग्न, षष्ठ और दशम भाव का बली होना और इनके भावेशों का शक्तिशाली होना अत्यंत आवश्यक है। यह तृतीय भाव, भावेश व कुंडली में उत्तम स्थान पर प्रतिष्ठित होना भी महत्वपूर्ण है। प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिए जातक की जन्म कुंडली में सबसे पहले लग्न का बली व शक्तिशाली होने के साथ-साथ लग्नेश का उत्तम स्थान पर होना अति आवश्यक है। उसके बाद जातक के कर्म के भाव को देखा जाता है जो कि दशम भाव है। इस भाव के आवेश की प्रबलता से जाना जाता है कि जातक का व्यवसाय क्या होगा और वह उसमे कितना सफल होगा। जिन भावों के स्वामी दशम में होते हैं, उन्हें भी पर्याप्त बल मिल जाता है। यदि जातक की जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होकर दशम भाव में बैठे या दशम भाव में सभी शुभ ग्रह हों और दशम भाव का स्वामी बली होकर अपनी या अपनी मित्र राशि में होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है और उसका भाग्य राजा के समान होता है। उसकी रूचि धर्म-कर्म में होती है तथा वह यशी होता है। नभसि शुभखगे वा तत्पतौ केन्द्रकोणे, बलिनि निजगृहोच्चे कर्मगे लग्नपे वा। महित पृथुयशा: स्याद्धर्म कर्म प्रवृत्ति: नृपति सदृशभाग्यं दीर्घामायुश्च तस्य।| सबले कर्मभावेशे स्वोच्चे स्वांशे स्वराशिशे जातस्तातसुखोनादयो यशस्वी शुभकर्मकृत।| दशमेश सबल हो, अपनी राशि, उच्च राशि अथवा अपने ही नवांश में होने पर जातक पिता का सुख पाने वाला तथा यशस्वी एवं शुभ कर्म करने वाला होता है। स्वस्वाभिमाना वीक्षित: संयुतो वा बुधेन वाचस्पतिना प्रदिष्ट:। स एव राशि बलवान् किल स्वाच्छेषैर्यदा दृष्ट युता न चात्र।| जो राशि अपने स्वामी से दृष्ट हो या युक्त हो अथवा बुध व गुरु से दृष्ट हो, वह लग्न राशि निश्चित रूप से बलवान होती है। इसके आलावा स्वस्वामी बुध गुरु के अतिरिक्त अन्य ग्रहों से दृष्ट अथवा युक्त हो तो निर्बल होता है। यदि जन्मकुंडली के लग्न व दशम भाव में सूर्य का प्रभुत्व हो तो जातक राजनेता या राजपत्रित अधिकारी और मंगल का प्रभुत्व हो तो जातक के पुलिस या सेना उच्च पद पर आसीन होने के संकेत मिलते हैं। इन भावों में अन्य अच्छे योग जातक के जीवन में यश कीर्ति व शक्ति और लक्ष्मी की प्राप्ति होने का संकेत देते हैं। बलि लग्नेश तथा शक्तिशाली दशमेश यदि लग्न व दशम भाव में हो तो जातक उच्च पद पर आसीन होता है। गुरु का प्रभाव भी यश एवं कीर्ति तथा शुभ कर्म करने वाले लोगों पर देखा जाता है। अधिकतर उच्च पदों पर कार्यरत जातकों की कुंडली में बुध आदित्य योग जरूर होता है। जातक के उच्च पद पर आसीन होना उसकी जन्म कुंडली के छठे भाव पर भी बहुत हद तक निर्भर करती है। छठे भाव पर भी बृहस्पति की दृष्टि अथवा उपस्थिति होना भी जातक के सफल होने का संकेत देती है। यदि दशम भाव पर छठे भाव और भावेश का प्रभाव अच्छा है तो जातक के शत्रु परास्त होंगे तथा सेवक स्वामीभक्त होंगे। दशम भाव की 6,7,9,12 वें भाव पर अर्गला होती हैं जिनके द्वारा दुश्मन, नौकर वैभव तथा निद्रा प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए चाणक्य ने कहा है कि जिस राजा के कर्मचारी वफादार होते हैं, उसे कभी परास्त नहीं किया जा सकता। नई नौकरी की शुरुआत देखने के लिए पंचम भाव की पड़ताल की जाती है। पंचम भाव जातक की योग्यता, शक्ति और सम्मान और राज्य की योग्यता के कारण को दर्शाता है। यह पूर्ण उच्च शिक्षा का भी भाव है। एकादश प्रथम, द्वितीय और अष्टम की दशम भाव पर अर्गला होती है। अत: यह भाव भी महत्वपूर्ण है। पंचम भाव दशम से आठवां होने के कारण कार्य का प्रारम्भ तथा उसकी अवधि को प्रभावित करता है। कुंडली के दशम भाव में कोई भी गृह उत्तम फल देने में स्वतंत्र होता है, लेकिन कुंडली के नवांश और दशमांश कुंडली का भी लग्न कुंडली की भांति सभी तरह के योगों की अच्छी तरह पड़ताल करने पर ही पूर्णतया फल-कथन किया जाना चाहिए। आर्थिक त्रिकोण 2, 6, 10 वें भाव पर निर्भर करता है। अत: इनका प्रभाव अवश्य ही महत्वपूर्ण होता है। ©FBAEC क्या आपकी कुंडली में आईपीएस और आईएएस बनने का योग है
BIKASH RANJAN
विज्ञान ने हमको कंप्यूटर दिया कि कम समय में ज्यादा काम किया जाए और भारतीय लोग पहले कुंडली देखने लगे। आज भी अखबार में पहले लोग राशि देखने लगे जाते हैं। समझ मे नहीं आता कि इतने करोड़ों लोगों की एक जैसे भाग्य कैसे हो सकता हे। यहां कुंडली से भाग्य चलता हे , कुंडली से दिल जुड़ता हे और जिंदगी भी चलता हे। कुंडली
BIKASH RANJAN
विज्ञान ने हमको कंप्यूटर दिया कि कम समय में ज्यादा काम किया जाए और भारतीय लोग पहले कुंडली देखने लगे। आज भी अखबार में पहले लोग राशि देखने लगे जाते हैं। समझ मे नहीं आता कि इतने करोड़ों लोगों की एक जैसे भाग्य कैसे हो सकता हे। यहां कुंडली से भाग्य चलता हे , कुंडली से दिल जुड़ता हे और जिंदगी भी चलता हे। कुंडली
Mohan Sardarshahari
सृष्टि से ही बातें खुद से ही मुलाकातें स्वयं की तलाश में हूं उदासी को तवज्जो ना दूं खुशी पर भी अटल हूं योग के पटल पर हूं।। ©Mohan Sardarshahari योग के पटल पर
Arora PR
ज़ब किसी भविष्य बक्ता ने एक दिन मेरी जन्म कुंडली देख कर मेरे बचे झूचे दिनों का ज़िक्र किया तो मै भयभीत हो गया था . और वो भय मुझ पर इतना हावी हो गया कि मै रात. आधीरात मे उठकर भी अपने दिलपर हाथ रख कर अपनी साँसों और धड़कनो को खंगालता रहा .. और ज़ब लगता सब व्यवस्थित रूप सेचल रहा हैँ और मै अभी भी और लोगो की तरह बाक़यदा जी रहा हूँ तो चाय की सांस लेने लगता हूँ ©Arora PR जन्म कुंडली
कवि प्रभात
मैं नफ़रत उनसे करूँ, काम से जिनको काम वरना आगे आके भी, न कोई दुआ, सलाम न कोई दुआ सलाम, निकल ऐसे ये जाते जैसे परिचित में हमें, वो बिल्कुल न पाते कह शर्मा कविराय, रक्खें न इनसे रिश्ता रक्खे जो उम्र भर ,चक्र में इनके पिसता ©प्रभात शर्मा कुंडली #friends