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Neha Pathak
रंगबिरंगी होली की सभी को शुभकामनाएं 🙏🙏लाल, पीली नीली और गुलाबी, थोड़ी नारंगी रंगों से गालों पर स्पर्श और बड़ों के पैरों पर लगाकर ढ़ेर सारे आशिर्वाद प्राप्त करने की तिथि आई है, ये होली है यारों कड़वाहट और नफ़रत को प्रेम में बदलने की बारी आई है यारों. Happy वाला होली सभी को. 🎉🎉 ★ऋतु ये बसन्ती आई★ धरती माँ ये झूम के बोली मस्त मगन हो घूम के बोली चली पवन पुरवाई रे कैसी ऋतु ये बसन्ती आई। रंग बिरंगे फूल खिले हैं
विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
इश्क़ झूठा, एक दर्द है ये सच, हमें धोखा देकर चला जाता है अक्सर। पर फिर भी हम खो जाते हैं उसमें, इसे छोड़कर जीना हमें नहीं आता कहीं। जो था इश्क़, अब बस एक कल्पना है, हमारे दिल में ये दर्द हमेशा ज़िंदा है। कोई क्या जाने इस इश्क़ के अंदर, जो दिल का हाल बदल देता है अदा से नज़र। इश्क़ के झूठ में मत खो जाना, सच्चे प्यार को हमेशा साथ रखना। दिल से उठे हर एहसास को देखो, इस इश्क़ के झूठ में फिर कभी मत फसो। जिंदगी के साथ इसे सीख जाओ, इश्क़ के झूठे सपनों को तुम भूल जाओ। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) जागो रे रे........
Ek villain
फागुन में होली का पर्व अभी दो दिन पूर्व संपन्न हुआ है मगर इस मौसम का रंग तो चैत मास तक महसूस किया जाता है स्वाधीनता की 50वीं सालगिरह के अवसर पर हम संगठित रूप से संबंध कुछ ऐसे सज्जनों को अवलोकन कर सकते हैं जिनके कारण भारतीय पर्व और अनुष्ठान की व्यापकता का जयघोष होता राय संगीत विद्वान और उनकी चोली तैयार करने में सिद्धांत पर इरादे वाले सारे लोग संग्रह के मंत्र की ऊंची अटरिया रंगभरी समय यादव के जाने वाले यह संगठन लोकगीत के विभिन्न विधाओं में ऐसा प्रतिदिन है जिसमें सारे हमारे उत्तर प्रदेश के विभिन्न मांगलिक अवसरों के गीतों का समय क्वेश्चन और संकलन दिख जाता है जिनके स्वर लिपियां भी साथ में दर्ज की गई है देखने वाली बात यह भी है कि पूर्व में इस तरह के ढेरों संकल्पम बनते रहे हैं जिनसे रामनरेश त्रिपाठी की कविता को मोदी विद्यानिवास मिश्रा के चंदन चेक तथा विद्या बिंदु सिंह का ढोलक रानी मेरी नींद उठाया यू सिमरन किए जा सकते हैं ऊंची अटरिया रंगभरी जब पहली बार 1970 में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अभिनय से प्रकाशित हुई थी तब की भूमिका लिखते हुए जयदेव सिंह ने उचित ही लक्ष्य किया था कि काव्य की दृष्टि से सहज स्वभाव की धारा इन लोक गीतों पर पर हुई है वह अनुपम है स्वर और ले की दृष्टि से भी यह गीत बहुत ही मनमोहक है इन गीतों में हमारे अभिजात संगीत की बीज का भी दर्शन होता है ©Ek villain #बृज में हरी हो रही मचाई #Holi
SHAYAR (RK)
ज़िन्दगी पर भारी, कोरोना ने मचाई ऐसी तबाही मज़दूर को मज़दूर न कहा जाए,तो बेहतर होगा उसका धर्म भी बता दिया जाए,तो बेहतर होगा अभी तक न अल्लाह आया,न राम अाए बचाने को इंसानियत और शर्मसार हो जाए,तो बेहतर होगा किसे ठहराओगे इनकी मौत का ज़िम्मेदार ? इसे खुदकुशी बता दिया जाए,तो बेहतर होगा हो रही पैसों की बारिश सत्ता की ओर से अब लाशों को न गिना जाए,तो बेहतर होगा क्या चुकाओगे तुम उसी मौत की कीमत ? एक नई सड़क बना दी जाए,तो बेहतर होगा ख़ामोशी ही एक अकेला रास्ता है उसका कौंन सुनेगा उसकी ? मर ही जाए, तो बेहतर होगा ज़िन्दगी पर भारी, कोरोना ने मचाई ऐसी तबाही
manoj kumar jha"Manu"
कोरोना कोरोना रे कोरोना कोरोना रे मत दुनिया में मौत फैला रे। इस दुनिया को छोड़ के जा रे।। कोरोना कोरोना रे.......... कहाँ से तू आया , कहाँ जायेगा तू, मौत बन के कब तक ऐसे छायेगा तू।। जहर बनके जिन्दगी को रहा तू निगल, जिन्दगी में गया है जब से तू मिल।। कोरोना कोरोना रे.......... बरसने लगी हैं आँखे भी अब तो, डरने लगी हैं साँसे भी अब तो।। चारों ओर तेरा ही शोर मच रहा, हे विधाता! ऐसा क्यों भाग्य रच रहा।। कोरोना कोरोना रे............. मेरा भारत फिर भी न मानेगा हार, कोरोना ही यहाँ पर मानेगा हार। देह से दूरी बना, मन को पास लाओ, संयम का परिचय दे "मनु"कोरोना को हराओ।। कोरोना कोरोना रे.......... कोरोना कोरोना रे (मेघा रे मेघा रे फिल्मी गीत)
kishor kumar deshmukh
आई रे आई रे होली देखो रंग उड़ाने आई चेहरे पर मुस्कान लेके खुशियों की सौगात लेके रंगों की बौछार लेके आई रे आई रे होली | ©kishor kumar deshmukh आई रे आई रे होली #holi2021