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Shivkumar barman
जब मैं तेरे ऊपर कोई एक गजल लिखूंगा तब तेरे होठों को एक कमल लिखूंगा लिखूंगा जब मैं इस बेबसी का आलम तेरी आंखों को मैं सागर लिखूंगा पूछेंगे लोग जब मुझसे मेरी जन्नत के बारे मैं तब मैं तेरी बाहों में लेटना लिखूंगा लिखूंगा तुझे मैं इस जहां की शहजादी खुद को यहां का नवाब लिखूंगा..... RTमजबूरी कहीं है डर कहीं हैं, बेबसी का आलम हर कहीं हैं, अजब बड़ा है दस्तूर ए इश्क दर्द कहीं है, असर कहीं हैं, परिंदे हैं हम इस आसमां के शाम कहीं हैं, सहर कहीं हैं, भटक रहे यहां कितने राही मंजिल कहीं है सफर कहीं हैं, नहीं खबर मुझको अपनी मैं कहीं हूं, घर कहीं हैं, सोच में सबकी फर्क बहुत हैं, इशारे कहीं है नजर कहीं हैं, ✍️ SHIVAM 🙏 ©Shivkumar barman एक बार तुम्हें कस कर गले लगाना है.. और तुम्हे यु महसूस कर लेना है सदा के लिए तुम्हारी छुअन को... और फिर कभी किसी और को तुम्हारे करीब नहीं
एक बार तुम्हें कस कर गले लगाना है.. और तुम्हे यु महसूस कर लेना है सदा के लिए तुम्हारी छुअन को... और फिर कभी किसी और को तुम्हारे करीब नहीं
read moreF M POETRY
Unsplash आप आ जाओ मेरे पास अभी.. दिल ये होगा न फिर उदास कभी.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #दिल ये होगा न फिर उदास कभी....
#दिल ये होगा न फिर उदास कभी....
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White सोचता हूँ कभी कभी क्या तुम मेरा इश्क़ थीं या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत पसन्द करना किसी को मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा क्यों होता है ऐसा… हर बार बेवफ़ा समझ कर सोचता हूँ तुम से दूर जाने को तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो कैसे हो तुम, जो कहा करते थे आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर गूंजने लगती है मेरे भीतर धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है मानो दिल फटने को हो हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में एक शोर, जो डराने लगता है मुझे हर बार, हर रात मुझे जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म ©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....
सोचता हूँ कभी कभी....
read moreMahesh Patel
Unsplash सहेली .... कभी-कभी हम यूं ही मुस्कुराया करते... कभी-कभी तुम्हारी बातों को यूं ही सुन लिया करते हैं.. कभी-कभी समझ में भी नहीं आता कि हम तुमसे यूं ही मिला करते हैं.. लाला... ©Mahesh Patel सहेली... कभी-कभी..लाला..
सहेली... कभी-कभी..लाला..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कभी कभी तलब में इज़ाफ़ा भी कर देती हैं महरूमियाँ एहसास प्यास का बढ़ जाता है सहरा देख कर ©हिमांशु Kulshreshtha कभी कभी...
कभी कभी...
read moreDivuu.writes
White कभी कभी यूंही सोचती हूं इतना भी क्या गलत किया था जो इतने यारों से धोखा खाया? इतनी भी क्या दूरी थी जो कोई अपना होकर भी पास न आया?? क्या मिला दिल साफ रख के जब आखिर में खुद को अकेला ही पाया?? कभी कभी यूँही सोचती हूं ए खुदा तूने कोई खुद सा क्यों ना बनाया?? क्यों मेरी बारी पर ही तूने हर किस्से में दर्द सुनाया? ©Divuu.writes #good_night कभी कभी
#good_night कभी कभी
read moreRakesh frnds4ever
White #ये_रौनकें :- #रोने के कारण बनती जा रही हैं ये #उजाले ये रोशनी मुझमें #अंधकार भरते जा रहे हैं ये जगमगाहटें ,,,,,,,,,जग की मार काटें खा गई मेरे तन मन के अंदर की सब आहटें ये #चकाचौंध लाए जा रही है मुझमें केवल और केवल #मौन """,,,,,,हमको किसके ग़म ने मारा ये कहानी फिर कभी ,,,,,""" कोई नहीं इस जूठे जग में अपना ,, शामिल है मेरे कत्ल में सभी,,... ©Rakesh frnds4ever #ये _रौनकें :- #रोने के कारण बनती जा रही हैं ये #उजाले ये रोशनी मुझमें #अंधकार भरते जा रहे हैं ये जगमगाहटें ,,,,,,,,,जग की मार काटें खा
Nurul Shabd
कभी-कभी, सबसे खूबसूरत एहसास वो होते हैं जो बिना किसी शब्द के होते हैं; बस एक अदृश्य बंधन, जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है। दिल का हर ज़ख्म एक कहानी बुनता है, और जब हम उन कहानियों को साझा करते हैं, तो हम न सिर्फ अपने दर्द को समझते हैं, बल्कि एक दूसरे की खुशियों में भी शामिल होते हैं। ©Nurul Shabd #कभी -कभी,
#कभी -कभी,
read moreRakesh frnds4ever
White ये रौनकें :- रोने के कारण बनती जा रही हैं ये उजाले,,,,,,,, ये रोशनी मुझमें अंधकार भरते जा रहे हैं ये जगमगाहटें ,,,,,,,,,जग की मार काटें खा गई मेरे तन मन के अंदर की सब आहटें ये चकाचौंध लाए जा रही है मुझमें केवल और केवल मौन ,,,, """,,,,,,,हमको किसके ग़म ने मारा ये कहानी फिर कभी,,,,,""" ,,,,,,,, कोई नहीं जूठे जग में अपना शामिल हैं मेरे कत्ल में सभी,,.. ©Rakesh frnds4ever #ये_रौनकें :- #रोने के कारण बनती जा रही हैं ये #उजाले ,,,,,,,, ये रोशनी मुझमें #अंधकार भरते जा रहे हैं ये जगमगाहटें ,,,,,,,,,जग की मार
#ये_रौनकें :- #रोने के कारण बनती जा रही हैं ये #उजाले ,,,,,,,, ये रोशनी मुझमें #अंधकार भरते जा रहे हैं ये जगमगाहटें ,,,,,,,,,जग की मार
read moreनवनीत ठाकुर
White मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं। जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता नहीं। उसकी हंसी में है मेरे होश और बेहोशी का हर लम्हा छुपा, मैं देखूँ उसे, वो हंस दे, तो दिल उसका तोड़ पाता नहीं। उसकी खुशबू में जैसे मय का हर कतरा घुला हो, उसकी रूह से उठता है वो नशा, जो कभी उतर पाता नहीं। ©Navneet Thakur # मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं, जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न
# मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं, जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न
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