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■▬▬▬▬▬🌋🔥🌋▬▬▬▬▬■ 🦁 लोगों के ब्लड गुप में (+) और (-) आता है, और हमारे ब्लड गुप में Attitude आता है..!😎 ■▬▬▬▬▬🌋🦁🌋▬▬▬▬▬■ ©अनुज सिंह SCAIC ■▬▬▬▬▬🌋🔥🌋▬▬▬▬▬■ 🦁 लोगों के ब्लड गुप में (+) ओर (-) आता है, और हमारे ब्लड गुप में Attitude आता है..!😎 ■▬▬▬▬▬🌋🦁🌋▬▬▬▬▬■ #Ring Rank Namele
Sawan_Haryana
Sawan_Haryana
लोगों के ब्लड गुप में (+) और (-) आता है, पर हमारे ब्लड ग्रुप में Attitude आता है। लोगों के ब्लड गुप में (+) और (-) आता है, पर हमारे ब्लड ग्रुप में Attitude आता है।
Rabindra Kumar Ram
" मैं और तुम जो करते गुप-चुप सी बातें , कहीं हम मुहब्बत तो ना कर बैठेगे ऐसे में , अभी तो हाल फिलहाल सिर्फ बातें ही हो रही है , जाने किस बात पे किस बात से मुहब्बत कर बैठे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मैं और तुम जो करते गुप-चुप सी बातें , कहीं हम मुहब्बत तो ना कर बैठेगे ऐसे में , अभी तो हाल फिलहाल सिर्फ बातें ही हो रही है , जाने किस बात
Rabindra Kumar Ram
" मैं और तुम जो करते गुप-चुप सी बातें , कहीं हम मुहब्बत तो ना कर बैठेगे ऐसे में , अभी तो हाल फिलहाल सिर्फ बातें ही हो रही है , जाने किस बात पे किस बात से मुहब्बत कर बैठे . " --- रबिन्द्र राम " मैं और तुम जो करते गुप-चुप सी बातें , कहीं हम मुहब्बत तो ना कर बैठेगे ऐसे में , अभी तो हाल फिलहाल सिर्फ बातें ही हो रही है , जाने किस बात
Himanshu Chaturvedi
झुकी निगाहें ...होटों पे मुस्कुराहट लबों से गुप-चुप....दिल में है आहट ये इशारे तेरे क्या खूब हैं जान-ए-जां आंखों में मस्ती....चेहरे पे खिलखिलाहट झुकी निगाहें ...होटों पे मुस्कुराहट लबों से गुप-चुप....दिल में है आहट ये इशारे तेरे क्या खूब हैं जान-ए-जां आंखों में मस्ती....चेहरे पे खिलख
The creativity of Anil Rathore
बाँध रखी है सब्र की सीमा, सब कुछ सहना सीख लिया l खामोशी के शोर को सुनकर, गुप-चुप रहना सीख लिया ll कोई नहीं लगता अब ऐसा, जिससे दिल का हाल कहूँ मैं, मन में कोई बात हुई तो, मन से कहना सीख लिया ll कब तक तैर के पार मैं करता, दरिया में उठती लहरों को, हार मान कर तूफानों से, लहरों संग बहना सीख लिया ll ख्वाबों की मंजिल ठहरी थी, तकदीर के कच्चे धागों पर, उम्मीदों को छोड़ के सारी, ख्वाबों संग ढहना सीख लिया ll बाँध रखी है सब्र की सीमा, सब कुछ सहना सीख लिया l खामोशी के शोर को सुनकर, गुप-चुप रहना सीख लिया ll #Selfwritten..✍️ ©Anil_kr93 बाँध रखी है सब्र की सीमा, सब कुछ सहना सीख लिया l खामोशी के शोर को सुनकर, गुप-चुप रहना सीख लिया ll कोई नहीं लगता अब ऐसा, जिससे दिल का ह
अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'
प्रेमी उवाच- गुप चुप गुप चुप बैठे हो क्यों,बोलो आखिर बात है क्या? हम नैन बिछाए बैठे प्रतिपल, मत पूछों दिन-रात है क्या? इतने दिन के बाद हमारा मिलन हुआ है मुश्किल से, पहले तुम ही बोल दो प्रियतम,इसमें शह या मात है क्या? प्रेमिका उवाच- अब तो तुमने बोल दिया प्रिय, उत्तर देना बाकी है। तुम चतुराई से बात कह दिया, मर्यादा भी ढाकी है। इतनी बात समझ लो साजन मैं तेरी थी तेरी हूँ, ये छोटे-मोटे झगड़े भी तो, गहरे प्यार की झांकी है। अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज (पूर्णत:मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित) उपर्युक्त पंक्तियों से संबंधित एक लघु कथा डिस्क्रिप्शन में पढ़ें! मित्रों! इश्क़ प्यार मोहब्ब़त जैसे शब्द कानों में पड़ते ही एक जिज्ञासा रूपी तरंग मन में दौड़ जाती है। हम सोचते हैं कि आखिर यह प्रेम है क्या?