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Stories related to कारसेवकों पर गोली कब चली थी

दीक्षा गुणवंत

ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस

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ये बारिश का मौसम,
ये मौसम की तन्हाई।
तू पास ना आ सका मेरे,
पर तेरी यादें चली आईं।।

तन्हा तन्हा मैं यहां,
तेरे दूर होने की ये रुसवाई।
मैं बस अकेली बैठी थी यहां,
जाने क्यूं तेरी यादें चली आईं।।


-लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"




















.

©दीक्षा गुणवंत ये बारिश का मौसम,
ये मौसम की तन्हाई।
तू पास ना आ सका मेरे,
पर तेरी यादें चली आईं।।

तन्हा तन्हा मैं यहां,
तेरे दूर होने की ये रुसवाई।
मैं बस

- Arun Aarya

#पहले तो नहीं थी

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क्या सिर्फ़ वही ज़िंदगी है
पहले तो नहीं थी ,

फिर मुझें क्यों ये बेचैनी है
पहले तो नहीं थी !

अब उसके किस्से सुन
रहा हूँ सबके साथ ,,

यही मेरी दास्ताँ-ए-दुःखभरी है
पहले तो नहीं थी..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #पहले तो नहीं थी

gaTTubaba

#Thinking बस एक जेब ली थी भरने को ज़िंदगी निकल गई पर काम पूरा न हुआ

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White बस एक जेब ली थी भरने को 
ज़िंदगी निकल गई पर काम पूरा न हुआ

©gaTTubaba #Thinking बस एक जेब ली थी भरने को 
ज़िंदगी निकल गई पर काम पूरा न हुआ

jaiveer singh

#love_shayari ठीक थी

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White  दूर के दीदार की वो बेबसी ही ठीक थी।
यू बिछड़ने से भली तु अजनबी
 ही ठीक थी।।....
मिल तो सकते थे तुझे बाकी 
दुनिया की तरह।।.... 
अपनेपन के दर्द से बेगानी ठीक थी।
आज बरसों बाद तेरे बसल 
में दिल को लगा....
इश्क सेहरा ठीक था वह तीसनगी ठीक थी।
इम्तिहानो में घिरे हैं क्या मिला मरकर हमें
जैसी कट रही थी जिंदगी ठीक थी।।...

©Jaiveer Singh #love_shayari ठीक थी

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#कब

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White ज़िन्दगी  पूछती  है  ज़िन्दगी  जियोगे  कब।
स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब।
ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में -
आसमाँ  पर  उड़ानें सपनों की  भरोगे  कब।

आप खुद  से बताओ  यार अब  मिलोगे कब।
क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब।
पालते हो  क्यूँ  दिल में  ग़म  उदास  रहते  हो-
रंग  जीवन में अपने खुशियों की  भरोगे  कब।

जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब।
दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब।
कुछ  नहीं  मिलता  है औरों  के लिए जीने से-
हो चुके  सब  के  बहुत अपने बता  होगे कब।

रिपुदमन झा 'पिनाकी' 
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब

Himanshu Prajapati

#love_shayari हंस के बात करती थी, हर बात पर मजाक करती थी, किसी से नहीं डरती थी, बस ऐसे ही सबको ठगती थी..! #36gyan #hpstrange अनमोल विचार

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White हंस के बात करती थी,
हर बात पर मजाक करती थी, 
किसी से नहीं डरती थी, 
बस ऐसे ही सबको ठगती थी..!

©Himanshu Prajapati #love_shayari हंस के बात करती थी,
हर बात पर मजाक करती थी, 
किसी से नहीं डरती थी, 
बस ऐसे ही सबको ठगती थी..!
#36gyan #hpstrange  अनमोल विचार

theABHAYSINGH_BIPIN

दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़

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दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे।

वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने,
सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे?
जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया,
आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे।

लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर,
आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे।
रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है,
आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे।

प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं,
खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे।
वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है,
आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर

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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर दर्द के पीछे कोई बात होती है,
हर खामोशी में एक आवाज़ होती है।
पलकों के साए से कब तक छिपोगे,
दिल की पुकार से कब तक बचोगे।

प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक,
खुद से दूरी का फसाना कब तक।
वक्त की इस रेत पर नाम लिखो,
एक बार प्यार से अपनी राह चुनो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 

वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर

Parasram Arora

कब?

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Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?

SANTU KUMAR

#love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤

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White एक तुम ही तो जानती थी मुझे,

मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?..

❤️❤️🙏🙏❤️❤️

©SANTU KUMAR #love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे,

मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?..

🖤
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