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अदनासा-
Deepak Ghazipuri
पत्रकारिता सिसक रही है, अंधियारा मुंह खोल रहा है, सच अब गूंगा बन बैठा है, झूठ मंच पर बोल रहा है। वो जिसके ईमान की सबको कसमें खिला रही थी दुनिया, उसको देखा नोटों की गड्डी से ख़ुद को तौल रहा है। ©Deepak Ghazipuri #पत्रकारिता #मुक्तक #रुबाई #True_line #todayquotes
अदनासा-
जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° नागरिक चुनाव आयोग को देखो, एकतरफा विकट हठयोग चला है, सत्ता से योग तो हो गया, परंतु विपक्ष से वियोग है, तो लोकतंत्र अयोग्य होगा ही, भ्रमित होते है अपने लोग, इसलिए नारों का उपयोग, सत्ता के दुरूपयोग के लिए है, तभी तो प्रयोग ४०० पार होगा, अजीब संयोग है यह, परंतु कोई संजोग नही, सांप्रदायिक द्वेष का रोग है, लोकतंत्र निरोग भला कैसे होगा ? परंतु कोई अभियोग नही चलेगा, तेरा-मेरा करने से हमलोग बनेगा ? राजधर्म का पता नही ? परंतु राजा योग तो बना है। ©अदनासा- #चुनाव #आयोग #अयोग्य #सत्ता #बेलगाम #पत्रकारिता #चाटूकार #विपक्ष #अनाथ #अदनासा
अदनासा-
अदनासा-
शुद्ध, श्वेत एवं सत्य पत्र जनता के लिए, जनता द्वारा, मात्र जन हित में। महान लोकतंत्र (Democracy) की सबसे महत्वपूर्ण रीढ़ (Foundation) हमारा संविधान (Constitution) है, परंतु हमारे इस संविधान को मजबूत बनाने हेतु, इन चतुर्थ (Fourth) स्तंभों (Pillars) का सशक्त होना भी अतिआवश्यक है, जो सौभाग्य से अनगिनत उतार चढ़ाव के बावजूद भी अब तक खड़ा है। परंतु प्रश्न है आख़िर कब तक ? हमारे लोकतंत्र का प्रथम स्तंभ है कार्यकारणी (Executive), द्वितीय स्तंभ है विधायिका (Legislature), तृतीय स्तंभ है न्यायपालिका (Judiciary) मगर यह जो चतुर्थ स्तंभ है, वह भले ही संविधान से जुड़ा हुआ ना हो, परंतु चतुर्थ स्तंभ का महत्व, संविधान के अन्य स्तंभों में इसलिए आवश्यक है कि यह किसी भी सत्ता को निरंकुश होने नही देती, इनके कड़वे सवाल ही हर सत्ता के लिए लगाम का कार्य करती है, वह है पत्रकारिता (Journalism) जो अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वैसे वर्तमान की वास्तविकता यह है कि यहां तो पत्रकारिता ही सत्ता के साथ बेलगाम हो चुकी है, वो चैनल निजी है, परंतु यह भी धीरे-धीरे पूर्णतया सरकारी होते जा रहे है या यूं कहें कि दरबारी हो चुकी है, कहने का उद्देश्य यह की चतुर्थ स्तंभ की स्थिति दयनीय एवं चिंताजनक है, साथ ही जो प्रथम एवं द्वितीय स्तंभ है वह भी लगभग सत्ता के चरणों में नतमस्तक है। वर्तमान में हमारे लोकतंत्र के पास मात्र तृतीय स्तंभ ही है जो अब तक सरकार की जवाबदेही तय कर रही है, मुझे यह कहने में कोई भय या दबाव बिल्कुल नही है, इसलिए मैं यह कह सकता हूं कि, हमारे महान लोकतंत्र एवं महान संविधान की नींव, इज्ज़त, लाज, मान, सम्मान एवं सुरक्षा मात्र तृतीय स्तंभ न्यायपालिका पर ही निर्भर है। अच्छा लगे तो अपना लो अपना समझो बुरा लगे भी तो ठुकरा दो बेगाना समझो ©अदनासा- #हिंदी #लोकतंत्र #संविधान #कार्यकारणी #विधायिका #न्यायपालिका #पत्रकारिता #Instagram #Facebook #अदनासा