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Mohan Sardarshahari

हवा भी मचल जाती है #कामुकता

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Vivek Upadhyay

पत्ते भी हवा देते है

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हुस्न वाले खुद वफा का शिला देते है
हर मोड़ पे एक जख्म नया देते है
ऐ दोस्त इस जहाँ में कोई अपना नही
जब आग लगती है
 तो पत्ते भी हवा देते ही पत्ते भी हवा देते है

@mahi

#हवा::: फिर भी बहती जाती है।

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लेखक ओझा

चली हवा घटा भी लहराई है.. #Love

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SHANU KI सरगम

हवा भी #शायरी

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🌹🌹
तपन ये धूप की  ऐसे  जला मुझको नहीं सकती।
कदम ये उठ गया मुश्किल थमा अब तो नहीं सकती।
जला विश्वास का दीपक रखा अपनी हथेली पर,
हवा या तेज आंधी भी बुझा इसको नहीं सकती।

©SHANU  KI सरगम हवा भी

M S GUPTA

हवा भी हमारी कदम चुमती है साहेब

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दोस्तों को पढ़ने मे देर करी मैंने 
वरना हवा भी हमारी कदम चुमती है साहेब हवा भी हमारी कदम चुमती है साहेब

Shravan Goud

आजकल तो हवा भी डराने लगी है।

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 आजकल तो हवा भी डराने लगी है।  आजकल तो हवा भी डराने लगी है।

Vikas Ghatal

सुना है हवा के साथ रेट भी उडती है

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सुना है हवा के साथ साथ रेत भी उडती हैं 
कही दुर किसी किनारे लग जाती हैं 
किनारे बनते हैं  लोग आते हैं 
वही बैठ कर सागर की लहरे समेटे 
ढलता सुरज याद रेह जाता है 
उसी रेत में छोड जाते उनके निशान
सुना है हवा साथ साथ  रेत भी उडती है सुना है हवा के साथ रेट भी उडती है

pramod malakar

#हवा भी धूं-धूं कर जल रही है #कविता

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हवा भी धूं -धूं कर जल रही है
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सारे जहां में आग लगा दिया है तुमने,
हवा  भी  जल  रही  है  धूं - धूं करके।
निराकार  में  आत्मा  का  जो  घर  है,
वह  भी रो  रहा  है  आंखों  में  आंसू  भर के।
नहीं धरती पवित्र, नहीं ब्रह्मांड पवित्र बचा है,
चिंतित है अब वह भी जिसने दुनिया रचा है।
भविष्य को अपने दांव पर लगा दिया है तुमने,
सारे जहां  में आग लगा  दिया है  तुमने।
वेशभूषा पर चकाचौंध नजर है  तुम्हारी,
बन बैठे  हो मन और  दिल के व्यापारी।
प्रत्येक   सच  को   दफना   रहे  हो  तुम,
मकर जाल जैसे सपने सजा रहे हो तुम।
खुद  को  महान  समझ कर रहे हो भूल,
परेशान   मन  और  रहते  हो  व्याकुल।
अपने तकदीर को भगवान मान लिया है तुमने,
सारे   जहां   में  आग   लगा  दिया   है   तुमने।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
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©pramod malakar #हवा भी धूं-धूं कर जल रही है

Amit Raaz

हवा भी छाया भी #lovebeat #शायरी

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