"आज भी तुम जब भी सजती समवर्ती हो, हुबहू लगती हो आसमान में सजे उस चांद की तरह।
हां यह उम्र बीत चली है तुम्हें चाहते हुए, और तुम आज भी बेखबर #Shayari
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Anjali Singhal
"होता अगर वश में हमारे,
दिल ना करते हम तेरे हवाले;
तेरी ही बातें तेरी ही आरज़ू,
करने लगा बेख़्याली में ख़ुद से ही गुफ्तगू।
कब तक रहते हम इस #Poetry#स्वरचितरचना#AnjaliSinghal