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theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_quotes हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मे

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White कहाँ हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती,
जो मेरे दिल की बेचैनी में, सांसों को जीवन देती।

कहाँ हो तुम?
कैसे तुम्हें आवाज़ दूँ, जो आकर इस तन्हाई को मिटाती,
जो मेरे सूने लम्हों को, उम्मीदों से रंग देती।

कहाँ हो तुम?
कितना कुछ कहना था तुझसे, जो मेरे ख्वाबों को हकीकत बनाती,
तुम होती, तो मैं पूरा होता, अगर तुम मेरे साथ होती।

कहाँ हो तुम?
तुम्हारी गैरमौजूदगी में सब अधूरा सा लगता है,
जो इस वीराने दिल को, फिर से धड़कन देती,
जो मेरे टूटे अरमानों को नई रौशनी देती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे साथ होकर इस अधूरे इश्क़ को पूरा करती,
जो मेरे वीरान सफर को, मोहब्बत का नया गीत गाती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 

 हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मे

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहा

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White रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं,
कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी रुस्वाई से भरी रातें थीं,
तो कहीं जुदाई के आँसू बहाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी उम्मीदों का सूरज उग जाए,
कभी बगैर चाँद आसमान सुना हो जाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी सपनों को बहार मिली,
कभी उम्मीदों पर सितारे गिरे।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी पलकों पे मुस्कानें बिखरीं,
कभी दिलों पे ग़मों के छाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी खुशियों का झरना बहा,
कभी ख़ामोशियाँ गूंजीं यहाँ।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी सर्द हवाओं में आग जली,
कभी गर्मी में बर्फ़ पिघली।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहा

theABHAYSINGH_BIPIN

#boat तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

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तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है।

अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी,
तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं।
बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर,
मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है।

उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा,
मेरे सूखे होठों को हंसी दी है।
पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा,
तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #boat 

तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए, हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए। खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की

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उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए,
हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए।

खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू,
जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए।

आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए,
जो कभी नहीं कहा, वही सच्चाई अब उजागर हो जाए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए,
हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए।

खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की

बेजुबान शायर shivkumar

बुरे वक़्त मे ये सोचकर संभल जाती हु के रब है मेरे साथ, मगर कभी कभी कुछ यादों से बिखर जाती हु, अब उन बिखरे जज़्बातों को लेकर कहाँ जाऊँ

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बुरे वक़्त मे ये सोचकर संभल जाती हु के
रब है मेरे साथ, मगर 
कभी कभी कुछ यादो से बिखर जाती हु, 
अब उन बिखरे जज़्बातों को लेकर कहाँ जाऊँ मै

जानती हु के कोई हमेशा के लिए साथ नहीं रहता,
ना ही कोई हमेशा साथ देता है,
फिर भी पता नहीं क्यों सबसे उमीदें रहती 
अब उन उम्मीदों को लेकर कहाँ जाऊँ मै

जो अपने नहीं हैं उनके दिए जख्म भूल जाती हु,
अपनों के दिए ज़ख्मो पर मुस्कुराहटो का महरम लगाती हु 
मगर कभी कभी ये आँखें साथ नहीं देती 
अब इन भीगी पलकों को लेकर कहाँ जाऊँ मै

©बेजुबान शायर shivkumar बुरे वक़्त मे ये सोचकर #संभल  जाती हु के
रब है मेरे साथ, मगर 
कभी कभी कुछ #यादों  से बिखर जाती हु, 
अब उन बिखरे #जज़्बातों   को लेकर कहाँ जाऊँ

नवनीत ठाकुर

#आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस

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आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें,
इस अन्याय के जहान को खत्म करें।

ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा,
हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा।
इंसाफ का सूरज अब उगाना होगा,
नई क्रांति का परचम लहराना होगा।

हर साजिश का पर्दाफाश करना होगा,
हर अन्याय को जड़ से उखाड़ना होगा।
आओ उम्मीदों की मशाल जलाएं,
इस सियाह दौर को रौशन बनाएं।

©नवनीत ठाकुर #आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें,
इस अन्याय के जहान को खत्म करें।

ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा,
हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा।
इंस

N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} ना मेने रहना, ना मेरे खयाल नू रहना, ना मन रहना, ना मतलब रहना, ना मेरी बातें रहनी, ना उम्मीदों ने रहना, न

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
ना मेने रहना, ना मेरे खयाल नू
रहना, ना मन रहना, ना मतलब
रहना, ना मेरी बातें रहनी, ना
उम्मीदों ने रहना, ना मेरा प्यार
रहना, ना अपना पन रहना,
ना पराया रहना, है ठाकुर
तू सच्चा तेरा प्यार सच्चा,
जूठा जग जूठा संसार एक
तू सच्चा एक तेरा प्यार सच्चा,
तू मेनू  चरना दे नाल रखी बस
यही विनती मेरी राधे महारानी,
मेरी तो सब कुछ तु ही है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।
N S Yadav GoldMine

©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey}
ना मेने रहना, ना मेरे खयाल नू
रहना, ना मन रहना, ना मतलब
रहना, ना मेरी बातें रहनी, ना
उम्मीदों ने रहना, न

Jitendra Giri Hindu

"संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स

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