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vibha $ingh
घूमती हूं दर-बदर मगर आवारा नहीं हूं मैं,, हालात की मारी हुई हूं पर बेचारी नहीं हूं मैं,, हंस मत ऐ जिंदगी मुझे गिरता हुआ देख कर,, फिर संभल जाऊंगी अभी हारी नहीं हूं मैं..v$ ©vibha $ingh #Freedom quotes silence quotes quotes on life life quotes quotes on friendship...#v$
Arun
ভালোবাসা এমন একটা জিনিস যা ভাবলে শেষ হয়না আর না ভাবলে ঘুম হয়না প্রিয়জন কাছে থাকলে বুঝা যায়না আর দূরে গেলে মন মানে না ©Arun #Freedom
Arun
পৃথিবীতে ভালবাসার অধিকার সবারই আছে! কিন্তু পাওয়ার ভাগ্য টা সবার নেই ©Arun #Freedom
new lifestyle new lifestyle
हंसकर जीना ही दस्तूर है जिंदगी का, एक यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का ©new lifestyle new lifestyle #Freedom
' मुसाफ़िर '
कोई मुकाम नहीं जिसे पा लूं इक रोज ये ताउम्र का सफर है मेरा, मै तो महज एक पत्ता हूं इसकी शाख पर ये तो पूरा शजर है मेरा| और इन नदियों,पहाड़ों रेतीले मैदानों से वाकिफ हूं मेरी गलियों की तरह ...... एक उम्र गुजरी है इस धरती पर ये भारत देश नहीं.... घर है मेरा|| ©' मुसाफ़िर ' #India #RepublicDay #Freedom #Indian #bharat #Shayari #Quotes
Muskan Vishwakarma
अजीब सी बेताबी है तेरे बिना, रह भी लेते है और रहा भी नही जाता…..!!! ©Muskan Vishwakarma #Freedom hindi shayari shayari on love love shayari
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read moreKanika Lakhara
New Year 2024-25 Oh! YES New years comes and goes & will be NO Matter. Matter is... Am I content? Am I Independent? Am I feeling "The best" i feel? 💕🌼 ©Kanika Lakhara #NewYear2024-25 # True meaning of new year# freedom# Life lesson
#Newyear2024-25 # True meaning of new year# freedom# Life lesson
read moreVIMALESH YADAV
White टाइम्स ऑफ इंडिया की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ कमाने वाला अखबार बन गया। ©VIMALESH YADAV times of India #sad_quotes #vimaleshyadav
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