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RK SHUKLA
अब कैं राखि लेहु भगवान | हौं अनाथ बैठ्यौ द्रुम-डरिया, पारधि साधे बान | ताकैं डर मैं भाज्यौ चाहत, ऊपर ढुक्यौ सचान | दुहूँ भाँति दुख भयौ आनि यह, कौन उबारे प्रान ? सुमिरत ही अहि डस्यौ पारधी, कर छूट्यौ संधान | सूरदास सर लग्यौ सचानहिं, जय जय कृपानिधान || सूरदास
RK SHUKLA
मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं। जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥ सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं। ह्वै हौं पूत नंद बाबा को , तेरौ सुत न कहैहौं॥ आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं। हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं॥ सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥ सूरदास
manoj kumar jha"Manu"
श्रीकृष्ण भक्ति रसधारा के अक्षय स्रोत प्रेम-माधुर्य की प्रतिकृति हिन्दी साहित्य के सूर्य महाकवि सूरदास जी की पावन जयन्ती पर शत शत नमन सूरदास जी की जयन्ती पर शत नमन
shekhar prasoon
काव्य जगत के आदि सूर्य,भुवन मोहन के चुन-२गुन गाये। नेत्रहीन हो,दर्श पर्स पा,मधुसूदन को हिये बसाये।। नन्द लला, जशुदा के छैया के,कौतुक क्रीड़ा को काव्य बनाये। इन्ही सूर की संगीत विरदावली,भक्तवत्सल ब्रजकुँवर को भाये।। हिन्दी काव्य के सूर्य आदि ब्रज कवि सूरदास जी के जयन्ती पर सादर दण्डवत! सूरदास जयन्ती नमन।
Alok tripathi
प्रभु जी मोरे अवगुन चित न धरौ। इक लोहा पूजा मे राखत इक घर बधिक परौ। पारस भेदभाव न मानत कंचन करत खरौ। ©Alok tripathi सूरदास का आत्मनिवेदन #NojotoRamleela