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Sumit Hansarian

इंग्लिश ग्रामर #जानकारी

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बालोतरा शहर

इंग्लिश ग्रामर #जानकारी

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""Mantu Kumar

इश्किया ग्रामर

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मैं उसे अपने दिल की 
definite article 
समझता रहा 
वो 
दस्तूर जमाने के
grammar
की 
adverb
निकली इश्किया ग्रामर

बालोतरा शहर

इंग्लिश ग्रामर #जानकारी

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Sumit Hansarian

ग्रामर NOUN CLASES BY SUMIT HANSARIAN

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Rohit Choudhary

#mohabbat ग्रामर की टीचर पप्पू से: "पप्पू अब शराब नहीं पीता" "इसमें पप्पू क्या है?" पप्पू: इसमें पप्पू माता रानी का भक्त है और उसने नवरात #Poetry

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ग्रामर की टीचर पप्पू से:

"पप्पू अब शराब नहीं पीता"

"इसमें पप्पू क्या है?"

पप्पू: इसमें पप्पू माता रानी का भक्त है और उसने नवरात्रि का व्रत रखा हुआ है!

©Rohit Choudhary #mohabbat ग्रामर की टीचर पप्पू से:

"पप्पू अब शराब नहीं पीता"

"इसमें पप्पू क्या है?"

पप्पू: इसमें पप्पू माता रानी का भक्त है और उसने नवरात

à D

#mohabbat ग्रामर की टीचर पप्पू से: "पप्पू अब शराब नहीं पीता" "इसमें पप्पू क्या है?" पप्पू: इसमें पप्पू माता रानी का भक्त है और उसने नवरात #Comedy

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ग्रामर की टीचर पप्पू से:

"पप्पू अब शराब नहीं पीता"

"इसमें पप्पू क्या है?"

पप्पू: इसमें पप्पू माता रानी का भक्त है और

 उसने नवरात्रि का व्रत रखा हुआ है!

©Ã D #mohabbat ग्रामर की टीचर पप्पू से:

"पप्पू अब शराब नहीं पीता"

"इसमें पप्पू क्या है?"

पप्पू: इसमें पप्पू माता रानी का भक्त है और उसने नवरात

Shaarang Deepak

Mard honi chahiye (मर्द होनी चाहिए ख़ातून होना चाहिए) Shayari/ Ghazal/ Poem by Janaab Anwar Masood || SOHBAT मर्द होनी चाहिए ख़ातून होना चा #ghazal #Hindi #kavita #शायरी #urdupoetry #urdushayari #viral #Shorts #Reels

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JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज #AdhureVakya

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उलझन इस बात की है कि पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,

JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज

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पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,
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