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King Of Qeen
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अदनासा-
N S Yadav GoldMine
White रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्षत्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 19-37 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📙 रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्षत्रिय-धर्म से गिर जाता, इसलिये मैंने यह काम किया था। माता गान्धारी ! आपको मुझमें दोष की आशड्bका नहीं करनी चाहिये। पहले जब हम लोगों ने काई अपराध नहीं किया था, उस समय हम पर अत्याचार करने वाले अपने पुत्रों-को तो आपने रोका नही; फिर इस समय आप क्यों मुझ पर दोषा रोपण करती है. 📙 गान्धार्युवाच गान्धारी बोलीं—बेटा ! तुम अपराजित वीर हो। तुमने इन बूढ़े महाराज के सौ पुत्रों को मारते समय किसी एक को भी, जिसने बहुत थोड़ा अपराध किया था, क्यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? तात ! हम दोनों बूढ़े हुए। हमारा राज्य भी तुमने छीन लिया। ऐसी दशा में हमारी एक ही संतान को—हम दो अन्धों के लिये एक ही लाठी के सहारे को तुमने क्यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? 📙 तात ! तुम मेरे सारे पुत्रों के लिये यमराज बन गये। यदि तुम धर्म का आचरण करते और मेरा एक पुत्र भी शेष रह जाता तो मुझे इतना दु:ख नहीं होता। वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं-राजन्! भीमसेन से ऐसा कहकर अपने पुत्रों और पौत्रों और पौत्रों के वध से पीडित हुई गान्धारी ने कुपित होकर पूछा—कहॉ है वह राज युधिष्ठिर। 📙 यह सुनकर महाराज युधिष्ठिर कॉंपते हुए हाथ जोड़े उनके सामने आये और बड़ी मीठी वाणी में बोले—देवि ! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर मैं हूँ। पृथ्वी भर के राजाओं का नाश कराने में मैं ही हेतु हूँ, इसलिये शाप के योग्य हूँ। 📙 आप मुझे शाप दे दीजिये। मैं अपने सुह्रदों का द्रोही और अविवकी हूँ। वैसे-वैसे श्रेष्ठ सुह्रदों का वधकर के अब मुझे जीवन, राज्य अथवा धनसे कोई प्रयोजन नहीं है’। जब निकट आकर डरे हुए राजा युधिष्ठर ने, ऐसी बातें कहीं, तब गान्धारी देवी जोर-जोर से सॉंस खींचती हुई सिसकने लगीं। वे मुँह से कुछ बोल न सकीं। राजा युधिष्ठिर शरीर को झुकाकर गान्धारी के चरणों पर गिर जाना चाहते थे। 📙 इतने ही में धर्म को जानने वाली दूर-दर्शिनी देवी गान्धारी ने पट्टी के भीतर से ही राजा युधिष्ठिर के पैरों की अगुलियों के अग्रभाग देख लिये। इतने ही से राजा के नख काले पड़ गये। इसके पहले उनके नख बड़े ही सुन्दर और दर्शनीय थे। उनकी यह अवस्था देख अर्जुन भगवान् श्रीकृष्ण के पीछे जाकर छिप गये। 📙 भारत ! उन्हें इस प्रकार इधर-उधर छिपने की चेष्टा करते देख गान्धारी का क्रोध उतर गया और उन्होंने उन सबको स्नेहमयी माता के समान सान्त्वना दी। फिर उनकी आज्ञा ले चौड़ी छाती वाले सभी पाण्ड वन एक साथ वीर जननी माता कुन्ती के पास गये। कुन्ती देवी दीर्घकाल के बाद अपने पुत्रों को देखकर उनके कष्टों का स्मरण करके करुणाbमें डूब गयीं और आचल से मुँह ढककर ऑंसू बहाने लगीं। 📙 पुत्रों सहित ऑंसू बहाकर उन्होंने उनके शरीरों पर बारबार दृष्टिपात किया। वे सभी अस्त्र-शस्त्रों की चोट से घायल हो रहे थे। बारी-बारी से पुत्रों के शरीर पर बारंबार हाथ फेरती हुई कुन्ती दु:खसे आतुर हो उस द्रौपदी के लिय शोक करने लगी, जिसके सभी पुत्र मारे गये थे। इतने में ही उन्होंने देखा कि द्रौपदी पास ही पृथ्वी पर गिरकर रो रही है। 📙 द्रौपद्युवाच द्रौपदी बोली-आयें ! अभिमन्यु सहित वे आपके सभी पौत्र कहॉं चले गये ? वे दीर्घकाल के बाद आयी हुई आज आप तपस्विनी देवी को देखकर आपके निकट क्यों नहीं आ रहे हैं ? अपने पुत्रों से हीन होकर अब इस राज्य से हमें क्या कार्य है ? ©N S Yadav GoldMine #GoodMorning रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्षत्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Rad
Shivkumar
जिसकी पूजा नवरात्रि के ,पांचवें दिन होती है । जिसके समान ,सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं है ।। कमल आसन पर विराजती, सिंह जिनकी सवारी है। होंठों पर मृदुल मुस्कान , अदम्य साहसी नारी है ।। माता पार्वती ने धारण , वो पांचवां रुप मां का किया । पुत्र स्कंद को शिक्षित करने हेतु , स्कंदमाता बनी ।। तारकासुर के अत्याचारों से , जब जग त्रस्त हुआ । इंद्रादिक देवगण स्वर्ग छोड़े , उससे परास्त हुए ।। उसे शिवपुत्र के हाथों वध का , उनको वरदान मिला था । तब शिवपुत्र के रूप में , अवतार स्कंद का हुआ ।। उसी स्कंद को शिक्षित करने हेतु आई स्कंदमाता । अति सौम्य,अति शक्तिशाली , अति दयालु माता है ।। श्वेत वस्त्र, श्वेत भोग , स्कंदमाता को अति प्रिय है । स्कंदमाता की नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा करें ।। हर विपदा दूर होगी , हर मुश्किलें परास्त होगी । मां अपने भक्तों को सदा , आश्वस्त करती है ।। ©Shivkumar #navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं
N S Yadav GoldMine
इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bolo Ji Radhey Radhey} सांवेर के उलटे हनुमानजी :- 🏯 भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। 🏯 सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हनुमानजी की उलटी मूर्ति स्थापित है। और इसी वजह से यह मंदिर उलटे हनुमान के नाम से मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है। 👈 पौराणिक कथा :- 🏯 यहाँ के लोग एक पौराणिक कथा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था, तब अहिरावण ने एक चाल चली. उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे,तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले जाता है। जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हडकंप मच जाता है। सभी इस बात से विचलित हो जाते हैं। 🏯 इस पर हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुँच जाते हैं और वहां पर अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं तथा श्री राम एवं लक्ष्मण जी के प्राँणों की रक्षा करते हैं। उन्हें पाताल से निकाल कर सुरक्षित बाहर ले आते हैं। 🏯 ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहाँ से हनुमानजी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था। जहाँ से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे। उस समय हनुमान जी के पाँव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है। 🏯 साँवेर के उलटे हनुमान मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी, शिव-पार्वती की मूर्तियाँ हैं। मंगलवार को हनुमानजी को चौला भी चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि तीन मंगलवार, पाँच मंगलवार यहाँ दर्शन करने से जीवन में आई कठिन से कठिन विपदा दूर हो जाती है। कहते हैं भक्ति में तर्क के बजाय आस्था का महत्व अधिक होता है। यहाँ प्रतिष्ठित मूर्ति अत्यन्त चमत्कारी मानी जाती है। यहाँ कई संतों की समाधियाँ हैं। सन् 1200 तक का इतिहास यहाँ मिलता है। 🏯 उलटे हनुमान मंदिर परिसर में पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के पेड़ हैं। यहाँ वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास रहता है। मंदिर के आसपास के वृक्षों पर तोतों के कई झुंड हैं। इस बारे में एक दंतकथा भी प्रचलित है। तोता ब्राह्मण का अवतार माना जाता है। हनुमानजी ने भी तुलसीदासजी के लिए तोते का रूप धारण कर उन्हें भी श्रीराम के दर्शन कराए थे। 🏯 नगर के साँवरे क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध पाताल विजय हनुमानन की उलटी प्रतिमा स्थापित है। यहां ऐसी हनुमानजी की दुर्लभ प्रतिमा है जो बहुत ही कम देखने को मिलती है। लोकप्रिय और पुरातन मंदिर होने के कारण हनुमानजी के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धा रखने वाले लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और रामभक्त हनुमानजी उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। 👉 Rao Sahab N S Yadav... ©N S Yadav GoldMine #mahashivaratri इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bolo Ji Radhey Radhey} सांवेर