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vksrivastav
Unsplash क्या नया और क्या पुराना है छोड़ो जाने भी दो ज़माना है ज़िंदगी के तमाम लम्हों से चार पल खुशियों का चुराना है ©Vk srivastav क्या नया और क्या पुराना है #Quotes #Shayari #Trending #viral #poem #vksrivastav
पूर्वार्थ
White फेक फेमिनिज्म की आधुनिकता" जहाँ पुरुष अपनी पैंट की,मात्र चैन खुली रह जाने पर लज्जा में झुक जाते हैं, वहीं कुछ स्त्रियाँ अपनी छाती, पीठ, जांघ और कमरदिखाकर गर्व से कहती हैं— "सिर्फ तुम्हारी सोच गंदी है।" आधुनिकता का जो झूठा आवरण ओढ़ लिया है कुछ ने, उसके पीछे छिपी है फेक फेमिनिज्म की तस्वीर, जिसमें स्वतंत्रता का अर्थ है केवल शरीर को प्रदर्शित करना, न कि विचारों की आजादी या स्वाभिमान की समझ। कहती हैं वे, "तुम्हारी नजरें गंदी हैं," पर क्या यह सच है या सिर्फ समाज को दोष देने का एक और बहाना? क्योंकि अगर सच में समानता होती, तो ये आचरण खुद पर भी लागू होता, ना कि केवल पुरुषों पर। क्या आधुनिकता का मतलब सिर्फ इतना है कि कपड़े कम हों, और विचारों की गहराई खो जाए? क्या नारी का अस्तित्व सिर्फ उसके शरीर के खुलेपन में सिमट गया है, या उसकी असली ताकत उसके विचारों की ऊँचाई में है? फेक फेमिनिज्म की आड़ में कुछ ने भुला दी है अपनी पहचान, अपनी संस्कृति, अपनी मर्यादा, और वो गरिमा जो असली नारीत्व की पहचान थी। सच की खोज में खोया गया है सम्मान, और सिर्फ उंगलियाँ उठाने का खेल रह गया है। अगर सच्ची स्वतंत्रता चाहिए, तो शरीर नहीं, विचारों को मुक्त करो, अपनी असली ताकत को पहचानो, क्योंकि नारी केवल शरीर नहीं, वो एक सोच है, एक शक्ति है, जो दुनिया को बदल सकती है। आधुनिकता के नाम पर जो फेक फेमिनिज्म की लहर चली है, उससे निकलकर खुद को सच में स्वतंत्र करो, ताकि समाज को दोष देने से पहले खुद को देख सको। यही असली नारीत्व है, यही सच्ची आधुनिकता है। ©पूर्वार्थ #फेमिनिज्म
हिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
read moreParasram Arora
White धर्म! आखिर ये धर्म है क्या? मैंने तो सिर्फ जीवन को ही जाना है जीवन के अलावा मैंने किसी को नहीं जाना है. और मेरी दृष्टि मे जीवन का अर्थ है. खेत हल कुवा और लहल्हाती फसल जीवन का अर्थ है पत्नी बच्चे और सुखद सफल दाम्पत्य ©Parasram Arora आखिर ये धर्म है क्या?
आखिर ये धर्म है क्या?
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
प्रेम क्या है..? मन की व्यथा जब कहनी ना पड़े, तन की पीड़ा जब बतानी ना पड़े, आँसू गिरे तो किसी की हथेली नर्म कर दे, निगाहें उठे तो गुस्सा शांत कर दे, मन जब उस मुकाम पर किसी के कंधे पर सर रख कर मुस्कुराए और आँखें भीग जाए, वो एहसास वो मुकाम प्रेम है..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay #Nojoto
प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay
read moreनवनीत ठाकुर
वो शौक, वो जोश, वो किस्से पुराने, सब दब गए हैं वक्त के तहखाने में। अब तो जाम भी लगता है बेअसर सा, ना वो तासीर है, ना वो दीवाने में। मस्ती थी कभी खुद को भुलाने में, अब ग़म छुपते हैं हंसने के बहाने में। खुशबू थी कभी हर बहार के तराने में, अब वो यादें भी उलझीं हैं अफसाने में। जिंदगी के रंग अब स्याह लगने लगे, जैसे खुशियां कहीं खो गईं इस ज़माने में। सवाल हजारों हैं दिल के आईने में, बस धुंधली तस्वीर सी फसाने में। गुज़री हुई बातों की सदा आती है, जैसे कोई पुकार हो वीराने में। जो मिल ना सके, वो याद बहुत आते हैं, ना जाने क्या जादू है बेगाने में। ©नवनीत ठाकुर ना क्या जादू है बेगाने में
ना क्या जादू है बेगाने में
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