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Shravan Goud
भाव भक्ति व श्रध्दा से किया कार्य निष्फल नही होता। भाव भक्ति व श्रध्दा से किया कार्य निष्फल नही होता।
NEERAJ SIINGH
कई हसरतें यूँही धुआँ धुआं हो गई " देखा जब खुदको एक अरसे बाद आग खुद में ही बेतरतीब सुलग रही थी " Nusshu begum😤😤 Inspired by your quote.. धूक-शुभ समय में किया कार्य smoking injurious to health.. #smoking #kill #sadagise_mehek_dhaniyak
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I'm not a loser read in caption I'm not a loser हूँ तिनका समंदर का पर खारा नहीं हूँ हैरां हूँ, मगर हारा नहीं हूँ।। दो गुनी रफ़्तार से आई है
Kajal The Poetry Writer
पूरे ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर शक्ति स्वयं इंसान हैं।। क्योंकि इंसान को बनाने में पूरे ब्रम्हांड के सात्विक और तामसिक दोनो तत्वों ने अपना चरम योगदान दिया हैं, ... इंसान... दुनिया की कोई शक्ति इससे ऊपर नहीं, जिस शक्ति के तत्व को इंसान लगातार ध्यान करेगा,, उसी तत्व से जुड़ा पूरा साम्राज्य अपने आप सक्रिय हो जायेगा।। अगर वो ईश्वर को याद करेगा, तो भक्त के वश में भगवान होगा।। यदि उसने किसी से ईर्ष्या की, या गलत तथ्यों पर ध्यानकेंद्रित किया तो उसके अंदर तामसिक शक्तियों स्वतः सक्रिय हो जायेंगी । और उसे पता भी नही लगेगा।। क्योंकि सभी शक्तियां इंसान के माध्यम से अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहती हैं।। इसी कारण इंसान हमेशा फैसलों के दौरान दुविधा का सामना करता हैं। क्योंकि उसके द्वारा किया कार्य ही ये बताता हैं, कि उसके तामसिक तत्व को पुकारा हैं या सात्विक।।। क्योंकि उसके द्वारा लिए गए फैसले पर ही पारलौकिक दुनिया सक्रिय होती हैं।। इसलिए गीता में भी कहा गया हैं। (जैसा कर्म होता वैसा ही फल) ©KAJAL The poetry writer #boat पूरे ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर शक्ति स्वयं इंसान हैं।। क्योंकि इंसान को बनाने में पूरे ब्रम्हांड के सात्विक और तामसिक दोनो तत्वों ने अ
Bhavesh Kumar
द्वंद अन्तर्मन का.. ©B T Rudra हमारी ज़िंदगी सिक्के के दो पेहलूँ के जैसी हैं किसी को बस लुफ्त उठाना होता हैं और उनका जीवन भी बहुत खुशहाल और मजे से कटता हैं.. और किसी की पूर
Poetry with Avdhesh Kanojia
वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है। खैर ये बातवीर लोग केवल फेसबुक पर विरोध जी बातें ही लिख सकते हैं, ज़रूरत मन्दों के लिए कुछ नहीं कर सकते। जिन जेएनयू के वामपंथी छात्रों के समर्थन में वे अपनी कलमें घिसा करते हैं, वे प्रवासी मजदूरों के लिये कुछ नहीं करते दिख रहे और जिन्हें ये संघी, भगवा आतंकी, निक्करधारी आदि कह कह गरियाते रहते हैं वे अपने जीवन को संकट में डालकर उनकी सहायता कर रहे हैं, वह भी किसी की जाति या धर्म पूछे बिना, साथ ही जब से लॉक डाउन हुआ है तब से अभी तक जो गरीब, मजदूर आदि जहाँ कहीं भी हैं, उन्हें भोजन, दवा व रहने आदि की भी व्यवस्था कर हैं। हमारे जिले सहजिला कायर्वाह श्रीमान संजय जी ने तो जब 4 मजदूरों को एक स्थान और बेघर व भूखा देखा व उन्हें अश्रु देखे तो उन्हें अपने दूसरे मकान में रहने को स्थान दिया व भोजनादि की व्यवस्था की। जय माँ भारती ✍️अवधेश कनौजिया© वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी
Poetry with Avdhesh Kanojia
अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सह