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❤mayavi❤
hai badal chaye avi aasman me hai avi aaya ek tufan mere jahan me kuch gum thi , kuch chup thi kayi sawalon me uljhi thi lakin jawab ek v na thi the log magrur apni zindagi me koi na tha wahan jo ginta mujhe apno me thi dekhti rhi uss aasman se tapkti har ek boond ko.... tha wo din v aisa bilkul murkh jaisa (1 april) ye murkh me thi jo umeed kisi or se ki thi thamne lagi thi ab ye zindagi rukne lagi thi sansein meri jaise atrangi bs jane lagi thi mai kahi ab iss duniya se dur socha fir mai v ho jaongi khud me magrur lakin tham liya hath mere kuch doston ne or jaga gye mujhe bade pyaar se unki sharato ne. ©❤mayavi❤ #murkh
❤mayavi❤
hai badal chaye avi aasman me hai avi aaya ek tufan mere jahan me kuch gum thi , kuch chup thi kayi sawalon me uljhi thi lakin jawab ek v na thi the log magrur apni zindagi me koi na tha wahan jo ginta mujhe apno me thi dekhti rhi uss aasman se tapkti har ek boond ko.... tha wo din v aisa bilkul murkh jaisa (1 april) ye murkh me thi jo umeed kisi or se ki thi thamne lagi thi ab ye zindagi rukne lagi thi sansein meri jaise atrangi bs jane lagi thi mai kahi ab iss duniya se dur socha fir mai v ho jaongi khud me magrur lakin tham liya hath mere kuch doston ne or jaga gye mujhe bade pyaar se unki sharato ne. #murkh
satyam gupta
Are nasamajh kisi ki sabrr ko murkhta na samjho , varna baadal kab keher bnkr tutte hai iska andajA ghar tbaha hone k bad hi hota hai... baqt se samhalna accha hai murkh insan nasamajh murkh apradhi..
nasamajh murkh apradhi..
read moreALok kumar
मूर्ख राजा और चतुर मंत्री D 👉🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰👉👉😀😂😂😂 एक समय की बात है दियत्स नाम की नगरी एक नदी किनारे बसी हुई थी। वहां का राजा बहुत ही मूर्ख और सनकी था। एक दिन राजा अपने मंत्री के साथ संध्या के समय नदी के किनारे टहल रहा था। तभी उसने मंत्री से पूछा, “मंत्री बताओ यह नदी किस दिशा की ओर और कहाँ बहकर जाती है?” “महाराज, यह पूर्व दिशा की ओर बहती है और पूर्व की ओर स्तिथ देशो में बहकर समुन्द्र में मिल जाती है।”, मंत्री ने उत्तर दिया। यह सुनकर राजा बोला, “यह नदी हमारी है, और इसका पानी भी हमारा है, क्या पूर्व में स्तिथ देश इस नदी के पानी का उपयोग करते हैं।” “जी, महाराज, जब नदी उधर बहती है तो करते ही होंगे।”, मंत्री ने उत्तर दिया। इस पर राजा बोला,”जाओ नदी पर दीवार बनवा दो, और सारा का सारा पानी रोक दो, हम नहीं चाहते है की पूर्व दिशा में स्तिथ देशों को पानी दिया जाये।” “लेकिन, महाराज इससे हमे ही नुकसान होगा।”, मंत्री ने उत्तर दिया। “नुकसान! कैसा नुकसान? नुकसान तो हमारा हो रहा है, हमारा पानी पूरब के देश मुफ्त में ले रहे हैं। और तुम कहते हो की नुक्सान हमारा ही होगा? मेरी आज्ञा का शीघ्र से शीघ्र पालन करो।”, राजा गुस्से में बोला। मंत्री तुरंत कारीगरों को बुला लाया और नदी पर दीवार बनाने के काम शुरू करवा दिया। कुछ ही दिनों में दीवार बन कर तैयार हो गयी। राजा बहुत खुश हुआ। पर उसकी मूर्खता की वजह से कुछ समय बाद नदी का पानी शहर के घरों में घुसने लगा। लोग अपनी परेशानी लेकर मंत्री के पास आये। मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया की वह सब कुछ ठीक कर देगा। मंत्री ने एक योज़ना बनाई । महल में एक घंटा बजाने वाला आदमी रहता था। वह हर घंटे पर समय के अनुसार घंटा बजा देता था, जिससे सभी को समय का पता चल जाता था। मंत्री ने उस आदमी को आदेश दिया की वह आज रात को जितना समय हो उसका दोगुना घंटा बजाये। आदमी ने ऐसा ही किया; जब रात के तीन बजे तो उसने 6 बार घंटा बजाया, जिसका अर्थ था कि सुबह के 6 बज गए हैं। घंटा बजते ही सभी लोग उठ गए। राजा भी उठ गया और बाहर आ गया। वहा पर मंत्री मौजूद था, राजा ने मंत्री से पूछा, “मंत्री अभी तक सुबह नहीं हुई है क्या? और सूरज अभी तक निकला क्यों नहीं है?” मंत्री ने उत्तर दिया, “महाराज सुबह तो हो चुकी है,परन्तु सूरज नहीं निकला है, क्योंकि सूरज पूरब की ओर से निकलता है, शायद पूरब के देशों ने सूरज को रोक दिया है क्योंकि हमने उनका पानी रोक दिया था, इसीलिए अब हमारे राज्य में कभी सूरज नहीं निकलेगा।” राजा बहुत चिंतित हुआ और बोला,”क्या अब कभी भी हमारे देश में सूरज नहीं निकलेगा ? हम सब अन्धकार में कैसे रहेंगे? इसका उपाय बताओ मंत्री?” “महाराज, यदि आप नदी का पानी छोड़ दें, तो शायद वे भी सूरज छोड़ देंगे।”, मंत्री ने उत्तर दिया। राजा ने तुरंत मंत्री को हुक्म दिया की वह नदी पर बनाई गयी दीवार को तुड़वाए। मंत्री ने राजा की आज्ञा का पालन किया और कारीगरों को आदेश दिया कि दीवार को तोड़ दिया जाये। कारीगरों ने दीवार तोड़ दी। और जैसे ही दिवार टूटी सचमुच सूर्योदय का समय हो चुका था, और दिव्यमान सूरज चारों तरफ अपनी लालिमा बिखेर रहा था! सूरज को उगता देख राजा बहुत खुश हुआ और मंत्री को इनाम दिया और कहा,”तुम्हारी वजह से आज हम फिर सूरज को देख पाये है। अब हमारे राज्य में कभी अँधेरा नहीं रहेगा।” मंत्री ने मासूम सा मुँह बनाकर जवाब दिया, “महाराज, यह तो मेरा फ़र्ज़ था।” ©ALok kumar murkh Raja #parent #Kahaniyaan
murkh Raja #parent #Kahaniyaan #प्रेरक
read moreStranger
pyaar bht hasin tha hmara pyaar sbse hasin , sbse alg , sabse judah , wo khte h na aisa pyaar jo hmesha amar rhta hai , waisa tha hmara pyaaar . lekin kisi ne hume ye ni btaya ki AMAR hone k liye zaan dena parta hai sbse alg sbse hasin tha hmara pyaar
sbse alg sbse hasin tha hmara pyaar
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