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संवेदिता "सायबा"
मनोज मानव
संवेदिता "सायबा"
Life Like गर्दिश में सम्भलने का हुनर सीख रहें हैं। हम वक्त बदलने का हुनर सीख रहें हैं। उतका गये है खेल-ए-सियासी से दरअसल। हम जंग-ए-रियासत में बसर सीख रहें हैं। रुकने नहीं देता हमें दुश्वारियों में वो। एक नाम तेरा लेके ज़फ़र सीख रहें हैं। चेहरे पे मुखौटा नहीं आता है लगाना। आईने से अब ज़ौक़-ए-नज़र सीख रहें हैं। #WORLD POETRY DAY ©संवेदिता "सायबा" #World_Poetry_Day #samvedita #Poetry #Gazal #Shayari #Lifelike Niaz (Harf) "सीमा"अमन सिंह Pyare ji उत्कर्ष शुक्ल UK कवि आलोक मिश्र "दीप
संवेदिता "सायबा"
मन के सागर में ज़रा डुबकी लगाकर देखिए। ग़म भुलाकर देखिए, कुछ मुस्कुराकर देखिए। कौन अपना हम है किसके तोलना अब छोड़ दो। जलते ज़ख्मों पर ज़रा मरहम लगाकर देखिए। ©संवेदिता "सायबा" #loversday #Nostalgia #Nojoto #nojotohindi #Poetry #Shayari #nojotofilms #gazal Mukesh Poonia Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Gautam Ni
संवेदिता "सायबा"
संवेदिता "सायबा"
तूने तो मुझे ऐ मह-ए-लक़ा दीवाना बना कर लूट लिया। उस रूप-ए-मुनव्वर का हमदम परवाना बना कर लूट लिया।। रुख़ से घूँघट सरका के सनम, सूरत अपनी दिखला के सनम। मय दीद की मुझको पिला के सनम मस्ताना बनाकर लूट लिया।। दिखला के झलक बस एक नज़र, खुद आके बसे दिल के अन्दर। गाया मेरा दिल ऐ रश्क़-ए-क़मर बुतखाना बना कर लूट लिया।। जानाँ तेरी महफ़िल में आकर, हम लुट गए तुमको कुछ है ख़बर। एक ज़ाम मोहब्बत का देकर रिंदाना बना कर लूट लिया।। कभी अपना बनाकर लूट लिया, पहलू में अपने बुला के मुझे। अब फुरक़त में तड़पा के मुझे बेगाना बनाकर लूट लिया।। कहती 'सायबा' हम कह देंगे, महशर में पकड़कर दामाँ तेरा। क्यूँ दिल मेरा तूने अपना काशाना बनाकर लूट लिया।। ©संवेदिता "सायबा" #girlfriendproposeday #darbaredil #NojotoKingQueen #nojotoshayari #loveshayari #samvedita #sayeba પ્રાશુ RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित
संवेदिता "सायबा"
प्यार के नाम से धड़कन में हुआ ऐसा असर। वो तो चुपचाप धड़कता था लिये दिल में बसर। ख़्वाब जैसी थी मोहब्बत हसीं औ 'र नाज़ुक। नींद टूटी भी मगर बाकी रहा थोड़ा कसर। ©संवेदिता "सायबा" #HappyRoseDay #darbaredil #NojotoKingQueen Niaz (Harf) RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' Devraj उत्कर्ष शुक्ल UK Mukesh Poonia
संवेदिता "सायबा"
26 jan republic day देश हमारा देश हमारा सबसे प्यारा कहते हिन्दुस्तान हैं। नमन कोटिश: नमन करूँ मैं भारत माता महान हैं। भोर सुगंधित, भाव सुगंधित, पवन सुगंधित तान हैं। जिसकी मिट्टी हैं माँ का आँचल, मेरा भगवान हैं। हँसते हुए सपूत तेरे करते न्यौछावर प्राण हैं। प्रेम की परिभाषा गाथाएं वीरों के बलिदान हैं। मंगल, मन्नू, वीर शिवाजी, राजदेव, सुख मान हैं। अगणित योद्धाओं की महिमा, हृदय सहित गुणगान हैं। प्रथम निवेदन अरि तुमसे, रुक जाओ तो कल्याण हैं। आत्म समर्पण करो अन्यथा, होना नष्ट विधान हैं। भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी का करो पतन आह्वान हैं। श्रद्धा, स्नेह, त्याग, अपनापन भारत का परिधान हैं। विस्मृत ना होने पाए भारत माँ के अभिमान हैं। पावन गंगा-जमुना हैं पावन ऋषियों का ज्ञान हैं। राष्ट्र सदा सर्वोत्तम हमको, राष्ट्र हितों का भान हैं। नमन धरा हैं, नमन गगन हैं,नमन राष्ट्र बलवान हैं। ©संवेदिता "सायबा" #26janrepublicday उत्कर्ष शुक्ल UK Gautam પ્રાશુ Adarsh Thakur Niaz (Harf) Devraj Amit Bharti Shrivastav RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' shivom
संवेदिता "सायबा"
शीर्षक - माँ हे माँ! तुम निर्मल-कोमल हो, इसका तात्पर्य नहीं, अबला। है सहन-शक्ति तुझमें इतना, नवजीवन करती सृजन देख! माँ! तुम मेरी श्रद्धा हो! हो त्याग सरलता की मूरत, हे जननी! हम सब तेरे ऋणी, करती न्योछावर अंग देख! कैसे निर्धारित करें कोई, हो 'मातृ दिवस' बस क्यों एक दिन? मेरे तो प्रतिदिन तेरे माँ, मुझ पर वारे हर रंग देख! ममता के आँचल से हे माँ! इस जग से हमें बचाते हो, माँ बना रहे आशीष तेरा, सर्वस्व समर्पित चरण देख! हमने तुझको प्रतिदिन देखा, जीवन की चक्की में पिसते! बस एक दिन तुझे समर्पित हो, क्यों समझे ना जन मन देख! माँ तुझ पर वारूँ हर एक पल, जब तक चलती है श्वास मेरी! हे माँ मैं तुझसे अलग नहीं, तेरी प्रतिछाया है तन-मन देख! हे माँ तुम पर मैं लिख दूँ क्या, रचना तुमने तो मेरी की! हर नारी में तुम विद्यमान, इस रचनाकार का संग देख! ©संवेदिता "सायबा" शीर्षक - माँ हे माँ! तुम निर्मल-कोमल हो, इसका तात्पर्य नहीं, अबला। है सहन-शक्ति तुझमें इतना, नवजीवन करती सृजन देख! माँ! तुम मेरी श्रद्धा ह
संवेदिता "सायबा"
सोए न याद में तेरी हमदम तमाम रात। लब पर थी चश्म आह थी पूनम तमाम रात।। दिल को सुकून दिलाया था ले ले के तेरा नाम। उठता था दर्द दिल में थम-थम तमाम रात।। इतनी न ताब थी की पुकारू मैं आपको। पाना था एक सकून का आलम तमाम रात।। उस बेबसी में और न था कुछ मुझे ख़याल। लेना था नाम तेरा मरते दम तमाम रात।। बिस्तर पर ग़म के क्या कहूं क्या अपना हाल था। घुट घुट के रह गया यह मेरा दम तमाम रात।। 'सायबा' ने चाहा लाख न पहलू में आए तुम। उम्मीद करती रह गई मातम तमाम रात।। संवेदिता 💐🙏 13/01/2023 ©संवेदिता "सायबा" #sunrisesunset Niaz (Harf) Kumar Shaurya Yuvika Shekhawat "सीमा"अमन सिंह उत्कर्ष शुक्ल UK Gautam Madhusudan Shrivastava Rakhee ki kalam se