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सूर्यप्रताप स्वतंत्र
दुनिया समझ रही उसे, जितना अभी ग़लत उतने तो यार हैं यहाँ, हम तुम सभी ग़लत। जिसने दिया है आपको, सारा समय सही। कैसे करेगा आपका, पैसा कभी ग़लत। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Time #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White है अपना ही पकाया सब, जिसे मै खा नहीं सकती। लिखे जो गीत ग़ज़लें हैं ,उन्हें मैं गा नहीं सकती। समंदर भी मुझे हासिल, मगर किस काम का मेरे। मै उस दरिया पे मरती हूँ, जिसे मै पा नहीं सकती। ये दुनिया की हकीकत है, सभी को सब नहीं हासिल। मै तुझपे मर भी जाऊँ पर, तुझे मै भा नहीं सकती। मेरा रिश्ता है यूँ तुझसे, किसी सबरी का राघव से। जिसे मै पा तो सकती हूँ, मगर अपना नहीं सकती। मुझे जिस मोड़ पर अबके, खड़ा करके गया है वो। कहीं भी आ नहीं सकती, कहीं भी जा नहीं सकती। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #goodnightimage #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
Village Life कहीं दिलों में गाँव गली या किसी मकाँ में। कैसी भी हो आग बुझाई जा सकती है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #villagelife #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White उसको भी तो कार चाहिए। जिसके घर तक सड़क न जाती। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #car #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White थोड़ा बहुत अगर बोलोगे, तो इसका अंदाज़ा होगा। कौन कहाँ पर जाग रहा है, कौन कहाँ पर सोता है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Sad_Status #कविता_संगम kavita ranjan दिनेश कुशभुवनपुरी सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
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ram lala ayodhya mandir यहाँ हमसे नही उठती, ज़रा सी शाम की पीड़ा। उन्हें पूछो उठाते हैं, जो आठो याम की पीड़ा। सनातन धर्म की पीड़ा, या' हो घनश्याम की पीड़ा। नहीं समझी किसी ने भी, हमारे राम की पीड़ा। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #ramlalaayodhyamandir #कविता_संगम सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' Dheeraj Srivastava दिनेश कुशभुवनपुरी Entrance examination poetry lovers
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green-leaves लोग पुराने साल नया है। अश्क़ नहीं रुमाल नया है। किया सवाल पुराना है पर। जिसने किया सवाल नया है। लाख कमाल हुए हैं लेकिन। ऐसा हुआ कमाल नया है। दुनिया बहुत पुरानी है तू। अपनी चाल सँभाल नया है। अब फ्यूचर की प्लानिंग कर ले। आने को जंजाल नया है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #GreenLeaves #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
New Year 2025 नए वर्ष में प्रेम से, ऐसे करो प्रवेश। सभी बुराई त्याग दो, गढो नया संदेश। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Newyear2025 #कविता_संगम दिनेश कुशभुवनपुरी kavita ranjan सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
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New Year 2024-25 माँग रहे हम क्षमा अंत में, कभी बने यदि दुःख का कारण। हमीं तुम्हारे कल के सुख दुःख, हमीं बनेंगे आज निवारण। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #NewYear2024-25 #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White मिले न ये आसान गुसाईं। मुश्किल है पहचान गुसाईं। दोनों तरफ़ बिछी हैं लाशें। जीवन है शमशान गुसाईं। हमने उसको चोर बताया। जिसका है सम्मान गुसाईं उतना ही अच्छा है क्या वो। जितना उसका ज्ञान गुसाईं। जिसको धन की भूख नहीं है। वो सच्चा धनवान गुसाईं। राम राम करके मर जाना। ऐसा हो गुणगान गुसाईं। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #love_shayari #कविता_संगम