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Sanjeev Jha

थोड़ी तो ऐंठन साथ रख चलना पड़ेगा
डोरी ही तो गहरी खाई सीधे पार कराती है

©SANJEEV JHA #ऐंठन #खाई

#LIFETUNNEL

Anamika

दिल ,दिमाग 
 की जद्दोजहद में,
उभर जाती
उम्र भर 
की ऐंठन.. #दिल#दिमाग
#ऐंठन 
#यूंहीएकख्याल 
#योरकोट

Anokhi

#Kahawatein#रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गया। #nojotovideo

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Kautilya

#happykarwachauth ऐंठन क्यों होती है? ऐंठन विशेष रूप से पैर, उंगलियों और पिंडलियों की मांसपेशियों में आम है। शारीरिक रूप से, ऐंठन परिसंच #जानकारी

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Adv.Pramod@Basti

जरा सी #तारीफ में #ऐंठन सी आ जाये तो #यारों समझ लेना #खुद की #कमाई नहीं जी। #विचार

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Gurudeen Verma

शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #लेखक

Andy Mann

Sabir Khan

लेखक #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz लिखने वाले समाज के रचयिता हैं, 

समाज लिखने वालों से ही चलता है। 

अब लिखने वाले ही स्वयं सोच लें कि

उनको समाज कैसा बनाना है। लेखक

Shikha Dubey

लेखक

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लेखक

अपने भीतर उमड़े शैलाबों में डूब कर उभरता है
तब जा कर वो कुछ लिख पाता है

देर तलक वो खुद से लड़ता है
तब जा कर वो एक मुकाम पाता है

कालिख (स्याही) से कुछ लिखता है 
तब कहीं जा कर इतिहास पन्नों पर छपता है 

शब्दों से संग्राम में कुछ चुन कर लाता है 
तब जा कर उन्हें ,कुछ तहजीब , कुछ तरीके से 
कतार में लगाता है 

फिर कतार में लगे शब्दों को पन्नों पर बिठाता है
तब कहीं जा कर वो लोगों के 
दिलों को छू पाता है लेखक

Sabir Khan

लेखक #OpenPoetry

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#OpenPoetry लिखने वाला चाहे जैसा भी हो,
 उसके लेख को पढ़ें-भाव को पढ़ें,
उसकी लेखनी की प्रशंसा करें।
आपकी प्रशंसा में वो सामर्थ्य है
 जो कि लेखक का जीवन बदलने
 के लिये काफ़ी है।
.....भावार्थ यह है कि किसी की निजी
 जिंदगी पर टिप्पणी न करते हुए
 उसके अच्छे कार्य की प्रशंसा करें,
 उसका जीवन परिवर्तन निश्चित है। लेखक
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