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Anil gupta
A short story गिलास की वजन की कहानी एक प्रोफेसर ने अपने छात्रों को एक गिलास पानी दिखाया और पूछा, "इस गिलास का वजन कितना है?" छात्रों ने जवाब दिया कि यह 200 से 500 ग्राम के बीच हो सकता है। प्रोफेसर ने जवाब दिया, "गिलास का वजन महत्वपूर्ण नहीं है। जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि आप इसे कितना समय तक पकड़ते हैं। अगर मैं इसे एक मिनट के लिए पकड़ता हूं, तो यह हल्का लगेगा। अगर मैं इसे एक घंटे तक पकड़ता हूं, तो मेरा हाथ दुखने लगेगा। अगर मैं इसे पूरे दिन पकड़ता हूं, तो हाथ सुन्न हो जाएगा। गिलास का वजन नहीं बदलता, लेकिन जितना अधिक समय आप इसे पकड़ेंगे, उतना अधिक यह भारी महसूस होगा।" फिर उन्होंने कहा, "जिंदगी की परेशानियाँ भी इस गिलास की तरह हैं। कुछ देर के लिए इन पर विचार करें, तो कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर आप इन्हें और अधिक समय तक सोचते हैं, तो ये दर्द देने लगती हैं। और अगर आप इन्हें पूरे दिन सोचते हैं, तो आप बिल्कुल थक जाते हैं। इसलिए कभी भी इस गिलास को नीचे रख दें।" सीख: अपने तनाव और चिंताओं को कुछ समय के लिए छोड़ दें, ताकि वे आपके जीवन को न तोड़ सकें। ©Anil gupta(Storyteller) #story motivational story in hindi
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read more–Muku2001
की ये वक्त भी न जाने कितना बदलाव ले आया वो सुकून सी बचपन वाली मुस्कुराहट में बहुत ही जल्द ठहराव ले आया की न जानें क्यों अब वो हर खुशी बचपन वाली मुस्कुराहट नहीं लाती क्योंकि अब हर किसी के चेहरे पर वो दिखावटी मुस्कान जो आती, की अब तलाशता हु मैं हर उन पलो को जो बीना स्वार्थसी वो हसी ले आए परेशानसी इस जिंदगी में वो सुकून भरी मुस्कान ले आए ! ©–Muku2001 #childhood_memories #Quote #Smile #Happy #muku2001 #Zindagi #Life #बचपन #Childhood #story quotes on life life quotes in hindi quotes
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read moreWriter Mamta Ambedkar
गद्दारों के शहर में दिल की बात कहे भी तो, किससे कहे, यहां सब गद्दार हैं। चेहरे पर मुस्कान, दिल में खंजर, हर कोई छल-कपट का साकार है। बातों में मलहम, हाथों में नमक, दिखावटी अपनापन हर ओर है। दर्द पूछते हैं, सहला के, फिर घावों को चीरने का जोर है। यहां सच की आवाज़ दबा दी जाती, झूठ के सिक्के खनकते हैं। अपनों के बीच भी परायापन, दिलों में फासले पलते हैं। तो किससे कहें ये दिल की बात, कौन सुनेगा हमारी पुकार? इस अंधेरे में ढूंढ़ रहे रोशनी, जहां हर रिश्ता एक व्यापार। पर दिल है कि उम्मीद नहीं छोड़ता, शायद कहीं कोई अपना भी हो। जो मलहम भी लगाए, सहलाए, और नमक के घावों से बचाए। ©Writer Mamta Ambedkar #Childhood
Avinash Jha
वात्सल्य का स्पर्श जब मुस्काए किलकारी बन, भर दे घर आंगन की चहल-पहल। छोटे हाथों की छुअन से, झूम उठे सारा घर-आलय। नन्हें कदमों की वो आहट, जैसे सुबह का पहला किरण। माँ के आंचल में छुप जाए, पिता के कंधों पर वो सुमिरण। उनकी हँसी का संगीत सुन, दीवारें भी गुनगुनाने लगतीं। खिलौनों की मीठी बातें, हर कोना दर्पण बन जातीं। नटखट शैतानी में छिपा, जीवन का अनमोल ज्ञान। हर बिखरी चीज़ में झलकता, स्नेह का अनुपम सम्मान। माँ के हाथों से खाए निवाले, स्वाद बन जाते हैं अमृत। पिता की उँगली पकड़कर चले, हर सफर लगता है सरल। वो छोटे-छोटे सवाल, जैसे गूंजें नदियों के सुर। उनकी जिज्ञासा से सीखें, हर पल का अद्भुत मर्म। इस वात्सल्य की सुगंध से, महक उठे हर आशियाना। एक बच्चे की मासूमियत से, सजता है सारा जमाना। ©Avinash Jha #Childhood
Pappu Kumar Suman
White एकता की ताकत किसी गाँव में एक बूढ़ा किसान रहता था। उसके चार बेटे थे, लेकिन वे हमेशा आपस में झगड़ते रहते थे। किसान अपने बेटों की इस आदत से बहुत परेशान था। उसने उन्हें कई बार समझाया, पर वे नहीं माने। एक दिन किसान ने एक योजना बनाई। उसने अपने चारों बेटों को बुलाया और उन्हें लकड़ियों का एक गट्ठर दिया। उसने कहा, "इस गट्ठर को तोड़कर दिखाओ।" चारों बेटों ने बारी-बारी से कोशिश की, लेकिन कोई भी उस गट्ठर को तोड़ नहीं पाया। फिर किसान ने गट्ठर की रस्सी खोल दी और लकड़ियों को अलग-अलग कर दिया। उसने कहा, "अब एक-एक लकड़ी तोड़कर दिखाओ।" इस बार सभी बेटों ने आसानी से लकड़ियाँ तोड़ दीं। किसान मुस्कुराते हुए बोला, "देखो, जब तुम सब एक साथ रहते हो, तो तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता। लेकिन अगर तुम अलग-अलग हो जाओगे, तो दुश्मन तुम्हें आसानी से हरा देगा।" इस कहानी से बेटों को अपनी गलती का एहसास हुआ, और उन्होंने मिल-जुलकर रहने की कसम खाई। शिक्षा: एकता में ताकत होती है। ©Carrier Point ambikapur #story
#कहेंगे ना...
दुनियां की सबसे बड़ी त्रासदी है, बच्चों से उसका बचपन छीन लेना। ©#कहेंगे ना... childhood
childhood
read moreDear ma'am
बचपन में सबसे अधिक पूछा गया एक सवाल: बड़े होकर क्या बनना है? अब जाकर जवाब मिल रहा है, कि फिर से ही बच्चा बनना है। फर्क बस इतना है. एक बचपन का जमाना होता था, जब खुशियों का जमाना था चाहत होती चांद को पाने की, मगर अब दिल केवल भावना नाम की तितली का दीवाना है क्यों की दिल तो बच्चा है जी Happy Children’s Day! ©Dear ma'am #Childhood