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Sangeeta Kalbhor
White श्रीराम , श्रीराम कहने से.. चले ना कलम श्रीराम पर तो कलम तोड़ देनी चाहिए मुँह में ना हो नाम श्रीराम तो मुँह मोड़ देना चाहिए आँधी आये आये तुफान या कोई बवंड़र क्यूँ ना आये श्रीराम जी का नाम जपने से सारे संकट दूर भाग जाये मर्यादाओं में जीना हो तो शिश झुकाओ श्रीराम के आगे भाई भाई में जहाँ प्रेम है दुश्मन दुम दबाकर भागे अपनेपन के जहाँ खिलते है पुष्प श्रीराम ऐसी श्रद्धा है जिसने भी पुजा की श्रीराम की मिटी उसकी द्विधा है नाम जपो श्रीरामजी का अनंत पुण्य मिल जायेंगे श्रीराम ,श्रीराम कहने से हिंदू , हिंदू से मिल पायेंगे..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #ramnavmi श्रीराम , श्रीराम कहने से.. चले ना कलम श्रीराम पर तो कलम तोड़ देनी चाहिए मुँह में ना हो नाम श्रीराम तो मुँह मोड़ देना चाहिए आँधी आ
Sangeeta Kalbhor
Beautiful Moon Night खामोशी से प्यार करना उतना आसान नही है खुद के जितना इन्सान औरों से परेशान नही है मन में होते है कई प्रश्न जवाब कहाँ मिल पाता है सुख दुःख है एक झौका कायम थोड़ी ना रहता है दिल लगाकर दिल में बसनेवाले बसेरा कही और भी करते है नाजूक होती है साँसों की ड़ोर एक ही झटके में श्वास हरते है जी नही करना चाहिए छोटा भलेही टूटना पड़े अंदर से आशा की किरण आ ही जाती है तलाशे अपने आपको गर प्यार से खामोशी से प्यार करना अपनेआप में बड़ी उपलब्धी है हरा नही कोई पाता उसे चाहे आये कितनी भी बड़ी आँधी है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #beautifulmoon खामोशी से प्यार करना उतना आसान नही है खुद के जितना इन्सान औरों से परेशान नही है मन में होते है कई प्रश्न जवाब कहाँ मिल पाता
Jack Sparrow
White युँ गुजरता है तु बगल से बेखबर हुए के, आँधी से गुजरके मेरे टुकडे रह जाते है। मैं उलझ जाता हु खयालों में तेरे अक्सर, और सारे जरूरी काम पडे रह जाते है। Ct.JackOcean ©Jack Sparrow #आँधी
Yashpal singh gusain badal'
ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई । सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले । उसके ही हाथ कत्ल जिन्दगी निकल गई । आब-ए-हयात पी के भी न बच सका यहाँ । माटी का बना था सो माटी में मिल गई । नाज है किस बात का किसका गुरूर है । अच्छे-अच्छों की यहाँ हवा निकल गई । थामे थे जिसको भींच के दिल के करीब से । हाथों से वो प्यार की डोरी फिसल गई । "बादल" गलत उठे थे कदम राह-ए-शौक में, फिर सँभालते-संभालते जिन्दगी निकल गई।। ©Yashpal singh gusain badal' #retro ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के र