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Alok Vishwakarma "आर्ष"
सुन मेरा गान ज्वलित होती हृदयन की बाती, प्रिय कर आह्वान अमित विनयन तव सीप खिले है अंतर में झर झर बूँद-बूँद प्रियतम की स्वाति, लिख दूँ व्याख्यान प्रकट मन्थन मन मीत मिले है #मनमीत #ज्वलन #विरह #सीप #दीप #vrindasays #लौ #alokstates
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी समय मुट्ठी से फिसल रहा है न्याय का दीपक बुझ रहा है अंध व्यवस्था का चलन बढ़ रहा है कथनी करनी से युवा मन सिसक रहा है पटरी पर ना दिखती अब जिंदगी विद्रोह का आक्रोश पनप रहा है कर्णधारों पर ना कोई एजेंडा भविष्य का भारत अंधकार मय दिख रहा है धर्म का चोला पहनकर लूट का कारोबार खूब चल रहा है संसद में आवारागर्दी बयानों की लोकतंत्र का जनाजा निकल रहा है ज्वलन्त सवालों के, कोई सरोकार नही वोट का खेल खेलकर कर मर्यादा भंग कर दुर्योजन का कद बढ़ रहा है अराजकता के माहौल से संसदीय मख़ौल उड़ रहा है हाथ सबके बांधकर एक तरफा सब कुछ चल रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #PhisaltaSamay ज्वलन्त सवालो के कोई सरोकार नही #nojotohindi
Anita Mishra
दोहा । झुलसी सारी ये धरा,सूखे सारे फूल। माली देखो रो रहा,हृदय चुभ रहे शूल।। अनीता मिश्रा सिद्धि। पटना। आज के ये ज्वलन्त मुद्दा है। शुभ-सँध्या आप सभी को।
Alok Vishwakarma "आर्ष"
प्रेम तो समास है, चेतन चिर श्वास है । #OpenForCollab प्रेम तो आत्मदीप का ज्वलन है, हममें हमारा चिरन्तन मिलन है । #alokstates Much Love.. 💝😇💝 #दीप #yqdidi
arvind Jain
Prerit Modi सफ़र
शे'र- आग जलती है दिल के समंदर में जब जब तू दूर मुझसे होती है शबनम सी दरख़्शाँ आ बैठती है दिल में जब जब पास तू होती है शबनम- ओस की बूंद दरख़्शाँ- चमक हर शाम एक आग सी जलती है दिल में मेरे जुगलबंदी करती हैं "आईए जुगलबंदी करें इस ज्वलनशील छवि व अग्निमयी वाक्य
#maxicandragon
कल हर किरदार बखूब चमक रहे थे वहाँ........ वो बेहतर से बेहतरी कर रहे थे वहीं....... वो कहने को अपने जलकुकडे ज्वलनशील पदार्थ से धधक रहे थे गुरूर घमंड पुराना पडा रहा होगा अंदर उनके कहीं मन के कोनों में चमक नई चुभन दे रही थी उन्हें तो क्या करते, कुसमुसा रहे थे जो "मैं " था छुपा अंदर कहीं क्यों नहीं टटोल रहे थे वो "अहम्" में फंसे पडे आज भी और हम थे कि तेरे "मैं "को "हम" कर रहे थे #हम_और_अहम् #Sadharanmanushya ©#maxicandragon कल हर किरदार बखूब चमक रहे थे वहाँ........ वो बेहतर से बेहतरी कर रहे थे वहीं....... वो कहने को अपने जलकुकडे ज्वलनशील पदार्थ से धधक रहे थे
संवेदिता "सायबा"
Krishnadasi Sanatani