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New गले में कुछ फसना Quotes, Status, Photo, Video

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Dr. Bhagwan Sahay Meena

मैं बहुत कुछ खोकर गाँव से.. बहुत कुछ पाने आया हूँ शहर में...

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BG BHAIYAJI

#love_shayari तकलीफें तो लाखों हैं जिंदगी में मगर तेरा यूं गले लगाकर फिक्र करना एक सुकून सा दे जाता है

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White तकलीफें तो लाखों हैं जिंदगी में मगर तेरा यूं गले लगाकर फिक्र करना एक सुकून सा दे जाता है

©BG BHAIYAJI #love_shayari तकलीफें तो लाखों हैं जिंदगी में मगर तेरा यूं गले लगाकर फिक्र करना एक सुकून सा दे जाता है

Praveen Jain "पल्लव"

#lung_cancer निभाने के लिये गले लगाइये

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White पल्लव की डायरी
तकाजा उम्रों का है
दिलो में गहराई लाइये
आकर्षक दो दिनों का है
बाजार प्यार का ना गर्माइये
फूल गुलदस्ते प्रपोज खूब करो
मगर अश्लीलता फैलाकर
दोष चरित्र को मत लगाइये
प्रेम समर्पण माँगता है
जीवन साथी चुनकर फूल खिलाइये
बहकावे के सब यार है यहाँ
अपनाने का होश तो जगाइये
प्यार को दिखावे के लिये नही 
निभाने के लिये गले लगाइये
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #lung_cancer निभाने के लिये गले लगाइये

Mahesh Patel

सहेली... गले लगा लेती.. लाला...

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सहेली......
 उसकी एक आदत खूब थी..
मैं जब भी उससे  मिलता था..
मुझे गले लगा लेती थी..
ऐसा भी क्या था मुझ में.
मैं जब भी दूर रहता था..
आंखों में आंसू भर लेती थी...
उसकी एक आदत खूब थी..
ना चाहते हुए भी वह मुझे मिल लेती थी..
लाला...

©Mahesh Patel सहेली... गले लगा लेती.. लाला...

tripathi

#Thinking कभी कभी कुछ पाने से ज्यादा कुछ खो देने में संतोष होता है जैसे कुछ लोग कुछ सपने और वो🥹🥹 आज का विचार

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White कभी कभी कुछ पाने से 
ज्यादा कुछ खो देने में संतोष 
होता है जैसे कुछ लोग कुछ सपने
 और वो🥹🥹

©Rishu singh #Thinking कभी कभी कुछ पाने से 
ज्यादा कुछ खो देने में संतोष 
होता है जैसे कुछ लोग कुछ सपने
 और वो🥹🥹 आज का विचार

Sushma

#Ladki शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो इतनी आँखें गिरी जमीं पर कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ

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Unsplash शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ कॉलर में अटकी थी
कुछ उलझी थी बालों में
गर्दन के पीछे चिपकी मिली
कुछ उंगलियों में पोरों में, कुछ नशीली कुछ रसीली
कोई बेशर्मी से भरी हुई
ये आंखें ऐसी क्यों हैं? उनकी हमारी सी आंखें
पर इतना अंतर क्यों है?
मैं रोज़ प्रार्थना करती हूँ
कुछ न चिपका मिले मुझ पर
जैसी मैं सुबह जाती हूँ घर से ,
वैसे साफ सुथरी आऊं वापस
मगर ऐसा हो पाता नहीं
बोझ उठाये नजरों का हरदम
चलते रहना नियति है मेरी, शायद।

©Sushma #Ladki  शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ

unique writer

मन में बहुत कुछ था

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Poet Kuldeep Singh Ruhela

#lovelife में बेरोजगार होके तेरी महफिल में आया हूं कुछ नाश्ता वास्ता करवा देना में मोहब्बत का पैगाम लाया हूँ

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Unsplash में बेरोजगार होके 
 तेरी महफिल में आया हूं 
कुछ नाश्ता वास्ता करवा देना
 में मोहब्बत का पैगाम लाया हूँ

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #lovelife में बेरोजगार होके 
 तेरी महफिल में आया हूं 
कुछ नाश्ता वास्ता करवा देना
 में मोहब्बत का पैगाम लाया हूँ

RAMLALIT NIRALA

दुनिया में सब कुछ बिक सकता है पर प्यार नहीं

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BROKENBOY

#Exploration कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं

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कुछ शो पीस,
कुछ निराशा के मोती,
कुछ आस्तीन के सांप,
कुछ मतलबी पीठ,
कुछ झूठे कंधे,
कुछ खीर में खटाई,
और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं के सौदागर,
सब दोस्त दोस्त नहीं होते!!!!

©BROKENBOY #Exploration 
कुछ शो पीस,
कुछ निराशा के मोती,
कुछ आस्तीन के सांप,
कुछ मतलबी पीठ,
कुछ झूठे कंधे,
कुछ खीर में खटाई,
और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं
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