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Yashpal Sharma &J.K
White शतरंज कि चालो का खोफ तो उनहे होता हैं, जो सियासत करते हैं, हम तो भगवान परशुराम के बंशज है ना हार की फिक्र और ना जीत का जिक्र। ©Yashpal Sharma &J.K #akshaya_tritiya_2024 शतरंज कि चालो का खोफ तो उनहे होता हैं, जो सियासत करते हैं, हम तो भगवान परशुराम के बंशज है ना हार की फिक्र और ना जीत का
Andy Mann
White ज़रा सा शोर-ए-बग़ावत उठा और उस के बा'द वज़ीर तख़्त पे बैठे थे और जेल में हम ©Andy Mann #सियासत Shilpa priya Dash vineetapanchal Khushiram Yadav KRISHNA poonam atrey Ravi Ranjan Kumar Kausik My Loquacious World sonu kumar babr
Kavi Himanshu Pandey
Sarfaraj idrishi
सियासत भी संभालेंगे, विरासत भी संभालेंगे ज़रा कुछ दिन ठहर जाओ हुकूमत भी संभालेंगे। Insaallah 👍 ©Sarfaraj idrishi सियासत भी संभालेंगे, विरासत भी संभालेंगे ज़रा कुछ दिन ठहर जाओ हुकूमत भी संभालेंगे।Sethi Ji sana naaz h m alam s Puneet Arora Sunny Dhanya bl
Sarfaraj idrishi
मुसलमान सियासत का वो यतीम बच्चा है जो चुनावों के वक़्त बड़े प्यार से गोद लिया जाता है और चुनावों के बाद वापस उसे यतीमखाने में छोड दिया जाता है ©Sarfaraj idrishi मुसलमान सियासत का वो यतीम बच्चा है जो चुनावों के वक़्त बड़े प्यार से गोद लिया जाता है
꧁ARSHU꧂ارشد
काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर , फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ ... ©꧁ARSHU꧂ارشد काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर , फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ ... Anshu writer Ritu Tyagi Anupriya Ishika Kalpana Ko
हिमांशु Kulshreshtha
सियासत अब झूठ, फ़रेब मक्कारी का पर्याय हो गई है भूखे पेट का ज़िक्र नहीं थाली और हाथ में क्या है ये चर्चा की बात हो रही है बात बेरोजगारी, बदहाली को मिटाने की नहीं विपक्ष को निपटाने की हो रही है विडम्बना है, जो सर्वज्ञ है, सार्वभौम और सनातन है उसे हाथ से पकड़ लाने की बेतुकी, बात हो रही है आख़िरी मौक़ा है देशवासियों के लिए जीत, अहंकार की कपट और छल की या लोकतंत्र और ज़न मन गण की होगी ©हिमांशु Kulshreshtha सियासत...
Deepak Ghazipuri
वो जिस सियासत की बात सुनकर चराग़-ए-उल्फ़त बुझा रहे हैं, वो ही सियासत तुम्हारे घर को वीराॅं न कर दे तो मुझसे कहना ©Deepak Ghazipuri #Politics #सियासत #चराग़_ए_उल्फ़त
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल जुर्म की जब हो हुकूमत तो वकालत कैसी पूछते लोग हैं फिर हमसे शिक़ायत कैसी दुनिया वाले जो करें प्रेम तो अच्छा लेकिन जब करें हम तो कहे लोग मुहब्बत कैसी दिल बदलते हैं यहां लोग लिबासों की तरह हमने बदला है अगर दिल तो क़यामत कैसी लोग यूं ही तो नहीं मरते हैं हम पर यारों ये ख़बर सारे ज़माने को है उल्फ़त कैसी झूठ से बच तो नहीं सकता कभी तू भी प्रखर बोलता सच हैं अगर तू तो सियासत कैसी ०१/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल जुर्म की जब हो हुकूमत तो वकालत कैसी पूछते लोग हैं फिर हमसे शिक़ायत कैसी