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Kanchan
New Year 2025 pad, pratishta, paisa, shukh, samriddhi, sampadaa, wo sab kuchh mile aap ko aap ka dil chaahta ho jaisa! happy new year🌅🙏 ©Kanchan #Newyear2025 naya saal mangalamay ho🌅🙏🌋
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read moreKumar Vimal
New Year 2024-25 kuch naye tarange, naye rang, naye shikhavo k saath ek aur naya saal aa raha naye ummeed, naye jazzbaat, nayi umang ke saath ©Kumar Vimal #NewYear2024-25 #Naye #Tarange #shikhave #naya #Saal #Nayi #ummeed #Umang #kumarvimal
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read moresumit shakya
Unsplash Sumit shakya ©sumit shakya #lovelife sad poetry hindi poetry urdu poetry sad
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read moreAarish
White ऐ मेरे हमनशीं चल कहीं और चल..., इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं..! बात होती गुलों तक तो सह लेते हम.., अब तो कांटों पर भी हक़ हमारा नहीं..! जाने किसकी लगन किसकी धुन में मगन.., जा रहे थे हमें मुड़ के देखा तक नहीं..., हमने आवाज़ पर उनको आवाज़ दी..., और वो कहते हैं हमको पुकारा नहीं..! ©Arish #love_shayari sad poetry urdu poetry sad sad urdu poetry
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read moreमलंग
कई दिन हुये, उस रास्ते से गुजरे जो तुम तक जाती थी। सुना है, रास्ते के पेड़ सूख गये, हाँ सूखना ही था उनको... मुहब्बत जो कि थी बहारों से, बहार चली गयी और रह गया पीछे ठूंठ। हम भी तो ऐसे ही हैं, ये घाट, ये गलियाँ सब बेकार... शहर बनारस अब रास नहीं आता। कुछ छूट गया या फिर छोड़ दिया, यह सवाल आजतक सवाल ही है.... घर के एक कोने में हमारा कमरा है जिसके रंग अब फीके हो चुके हैं। दिल थम सा गया है। शायद धड़कन मद्धम-सी हो रही है, तुम समझी नहीं... कुछ ठहर गया और हम बेपरवाह चलते रहे, न जाने कब अकेले हुये पता न चला। निदा फ़ाजली ने कहा था 'रोज जीता हुआ, रोज मरता हुआ; अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी', ससुरी किस्मत ने अपने दिल पर ले लिया। सांस चलना ही अगर जिन्दा रहना होता तो फिर मुहब्बत की जरूरत न थी.... शहर की आब-ओ-हवा बदल गयी पर हम अब भी वहीं हैं, तनहा, अकेले, एकदम अंधेरे में.... वहीं जहाँ तुम हमें छोड़ गयी। ❤️ 'सोच' ©मलंग #naya