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Biswarupa dash
⭐star on shoulder pride🌈 in eyes👀 courage in heart❤ ready to kill🔪 ready to die💀 This is INDIAN POLICE SERVICE IPS 👮 ©Biswarupa dash #Success #ips
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read moreAkash Raj
वक्त ने साथ नही दिया तो क्या हुआ , अब ऊंची उड़ान भरने की बारी है। बाईक लेने की औकात नही तो क्या हुआ ips वाली कार पाने की तैयारी है। ©Akash Raj ips wali story
ips wali story #प्रेरक
read moreSiddharth Chaturvedi
मेरा नाम सिद्धार्थ चतुर्वेदी हैं, मैं उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित नरैनी नाम के एक छोटे से कस्बे से आता हूं। मैं आपको इस कहानी के माध्यम से बताऊंगा कि जब मैं 12वीं पास कर स्नातक करने आईपीएस अकैडमी इंदौर आया तो मेरे जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए। इस कहानी की शुरुआत मेरे इंदौर आने से होती है। कहानी की भूमिका में मैं आपको बता चुका हूं, मेरा नाम सिद्धार्थ चतुर्वेदी है। जब मैं इंदौर आता हूं, तब मेरे बुआ के लड़के बड़े भाई ईश्वर शर्मा जो कि आईपीएस अकादमी में लॉ डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने मुझे बतायाआईपीएस अकैडमी में फार्मेसी के लिए उत्तम सुविधाएं तथा योग शिक्षक मौजूद हैं। तुम चाहो तो यहीं से फार्मेसी कर सकते हो। मैंने भी आईपीएस का नाम काफी सुना था और मैंने अपना दाखिला आईपीएस अकैडमी में करा लिया। महाविद्यालय में जब मैं अध्ययन के लिए पहले दिन आया तो यहां के माहौल तथा वातावरण से काफी प्रभावित हुआ, मेरे साथ कुछ चुनौतियां भी थी। मैं हिंदी माध्यम से पढ़ कर आया था तथा अंग्रेजी बोलने में सक्षम नहीं था। मेरे साथ अध्ययन कर रहे ज्यादातर सहपाठी अंग्रेजी माध्यम से बढ़ कर आए थे मुझे डर था कि 4 वर्ष के इस सफर में मैं इनके साथ चल पाऊंगा या नहीं। मैं अंग्रेजी से इस प्रकार भयभीत था जैसे बकरी पानी से भयभीत होती है। पर वो कहते हैं ना कि, मन के हारे हार है, मन के जीते जीत ठान लो तो जीत है, मान लो तो हार। मेरे मन में संशय दो-चार दिन तक चलता रहा। ऐसा नहीं था कि सिर्फ मैं ही अंग्रेजी से तंग था। और भी हिंदी माध्यम से पढ़े मेरे साथी थे जिसमें से शिवम उज्जवल तरुण मोहन आदि साथी दुविधा में थे। तभी इसी संशय के बीच हमारे प्रिय शिक्षक उपेंद्र भदौरिया जो सरल स्वभाव तथा परम ज्ञानी महान व्यक्तित्व के धनी हमारी कक्षा में प्रवेश करते हैं। उनका कहना था मैं उन छात्रों के लिए नहीं आया जो बहुत प्रखर बुद्धि तथा पढ़ने में बहुत अच्छे हैं। मैं उनको पढ़ाने आया हूं जो पढ़ने में इतने अच्छे नहीं हैं तथा जिनको अंग्रेजी में समस्या है। उन्होंने अंग्रेजी का जिक्र इसलिए किया क्योंकि उनसे हमने इस विषय में चर्चा की थी। कि हम अंग्रेजी में लिखी फार्मेसी की किताबों को अच्छे से अध्ययन करने में सक्षम नहीं है। तब उन्होंने हमारा हौसला अफजाई करते हुए कहा मैं भी हिंदी माध्यम से पढ़ा हूं और आज तुम लोगों के बीच पढ़ा रहा हूं परेशान मत हो थोड़ा समय लगेगा फिर सब समझ में आने लगेगा। उनके कथन अनुसार हमें धीरे-धीरे फार्मेसी की किताबें समझ में आने लगी तथा बीच-बीच में उपेंद्र सर का सहयोग निरंतर मिलता रहा। इस सफर में अध्यापकों ने मार्गदर्शक के रुप में अपना आशीर्वाद बनाए रखा जिसमें से नितिन दुबे सर शिव सर अंकित जैन सर तथा अन्य शिक्षकों का हाथ मेरे सर पर सदा रखा रहा। मेरे जैसा विद्यार्थी जो ब्लड को ब्लूड पढ़ता था। आईपीएस में आकर इंग्लिश में आर्टिकल लिखने लगा।तथा टीआरडी जैसे मंच पर मेरी कविताएं सुनाई जाने लगी। मुझे हमेशा मंच में बोलने से झिझक होती थी, पर जब मैं आईपीएस में आया यहां के माहौल से प्रभावित होकर स्किट में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। आईपीएस में आने से मेरा ज्ञान तो बड़ा ही साथ ही मेरे व्यक्तित्व का भी विकास हुआ। ©Siddharth Chaturvedi # IPS #kahaani #story #Suicide