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New 'फीकी चुनरी देह की' Quotes, Status, Photo, Video

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Jyoti Kailash

माता रानी की चुनरी #Society

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Jitendra Singh

फीकी चूंनरी देह की,फीका हर बंधेज,जिसने "रुह" को रंग दिया वो सच्चा "रंगरेज"

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  फीकी चूंनरी देह की,फीका हर बंधेज,जिसने "रुह" को रंग दिया वो सच्चा "रंगरेज"

EnlightenedSoul

देह की परते

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Akhil Arya

अब की होली , फीकी होली,

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तेरे इश्क़ में मैं कुछ इस्क़दर रंग जाऊ,

खोलूँ आंख तो सामने तुझे ही पाऊ,

लगा दे गुलाल तू कुछ इस्क़दर मेरे इन गालो पे,

उस गुलाल की खुशबू में महक मैं भी जाऊ।।।
 अब की होली ,
फीकी होली,

Meenu Pandey

चुनरी

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आओ श्याम मिल के फिर
ख्वाबों के सिरे जोड़ते हैं।
मैं हूँ तुम्हारी ही राधा
फिर प्रीत चुनरी ओढ़ते हैं।
मीनू पाण्डेय चुनरी

"मन की बात"

फूलों की रंगत भी फीकी.... #Shayari

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Parasram Arora

रूप की देह #alone #कविता

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किसका  पीछा क र रहा  है
ये  चाँद आवारा? 
किसको क्या पता?
कदाचित   चांद की ही  धवल स्निग्ध चांदनी ही उसे
सम्मोहित कर रही 
चांदनी का  पीछा  करने के लिए 
कुछ भी हो  रात्रि के अंतिम पहर तक तो
उसकी आकर्षक आभा लुप्त हो ही जाने वाली है
अद्भुदय lऔर उत्कर्ष का ये जिवंत दृश्य 
हम अक्सर हर  रोज़ देखते  हैँ 
लेकिन  अपने भीतर सदैव यही धारण  बनी रहती हैँ 
कि हम कभी नहीं मरेंगे. सदा अमर   रहेंगे 
और यह धारणा  अटूट बनी.रहती  हैँ
बुझा हुआअमावस्या का चाँद और उसकी लुप्त हो चुकी चांदनी भी तो यही  सन्देश देती हैँ क़ि
"रूप की  देह टिकती नहो  देर रात  तक "

©Parasram Arora रूप की देह 

#alone

Himshree verma

चुनरी प्रीतम के नाम की #Reels #insta #Thoughts

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Balram Singh Thakur

चमगादड़ी की देह,,, #apjabdulkalam

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गीतिका-चमगादड़ी की देह।
*********************************
                          १.
वर्तमानी   खेल  सारा, मानवी  करतूत  है,
मानवों की नेक काया, दानवों का  दूत  है।
कौन सी माटी लगी चमगादड़ी की देह  में,
कायनात   रौंद  डाली   चायनाई   लेह  में।।
                   (लेह-चटनी)  
                          २.           
धर्मयोगी ,कर्मभोगी ,सब यहॉं  मजबूर  हैं,
बाल,बूढ़े,नौजवाँ सब,मौत  से  ना  दूर  हैं।
दीन  हो  या हो धनी सब दायरे में  खो रहे,
राजनेता  लात   ताने  आशियाने  सो  रहे।।
                          ३.
राम को भूला वही तो आपदे में  पल  रहा,
छोड़ सीधी चाल धारी हासिये पे चल  रहा।
राम का जो नाम ले वो हौसलों से जी सके,
फ़ासलों को दूरकरके,हरदुखों को पी सके।।
                          ४.
बेकसी का हाल पाला,हर गली हर गाँव ने,
आपणी हालत बिगाड़ी,आदमी के  पाँव ने।
काट डाला आदमी को आदमी ने ही  पिया,
सोचता है ईश 'बल' ये पूत कैसा जन दिया।।
            (आपण-बाज़ार,अपनी)
'बल'बली हो या खली हो कोइ ना मजबूत है।
वर्तमानी   खेल   सारा   मानवी  करतूत  है।।
**********************************           
            सुखी  रहो, स्वस्थ  रहो।
            लेकिन थोड़े दूरस्थ रहो।।
**********************************
         ।।जै, जै राम,बल्लू-बलराम।।

©Balram Singh Thakur चमगादड़ी की देह,,,

#apjabdulkalam

Balram Singh Thakur

चमगादड़ी की देह,,, #apjabdulkalam

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  गीतिका-चमगादड़ी की देह।
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                          १.
वर्तमानी   खेल  सारा, मानवी  करतूत  है,
मानवों की नेक काया, दानवों का  दूत  है।
कौन सी माटी लगी चमगादड़ी की देह  में,
कायनात   रौंद  डाली   चायनाई   लेह  में।।
                   (लेह-चटनी)  
                          २.           
धर्मयोगी ,कर्मभोगी ,सब यहॉं  मजबूर  हैं,
बाल,बूढ़े,नौजवाँ सब,मौत  से  ना  दूर  हैं।
दीन  हो  या हो धनी सब दायरे में  खो रहे,
राजनेता  लात   ताने  आशियाने  सो  रहे।।
                          ३.
राम को भूला वही तो आपदे में  पल  रहा,
छोड़ सीधी चाल धारी हासिये पे चल  रहा।
राम का जो नाम ले वो हौसलों से जी सके,
फ़ासलों को दूरकरके,हरदुखों को पी सके।।
                          ४.
बेकसी का हाल पाला,हर गली हर गाँव ने,
आपणी हालत बिगाड़ी,आदमी के  पाँव ने।
काट डाला आदमी को आदमी ने ही  पिया,
सोचता है ईश 'बल' ये पूत कैसा जन दिया।।
            (आपण-बाज़ार,अपनी)
'बल'बली हो या खली हो कोइ ना मजबूत है।
वर्तमानी   खेल   सारा   मानवी  करतूत  है।।
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            सुखी  रहो, स्वस्थ  रहो।
            लेकिन थोड़े दूरस्थ रहो।।
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         ।।जै, जै राम,बल्लू-बलराम।।

©Balram Singh Thakur
  चमगादड़ी की देह,,,

#apjabdulkalam
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