Find the Latest Status about 'फीकी चुनरी देह की' from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, 'फीकी चुनरी देह की'.
Jitendra Singh
फीकी चूंनरी देह की,फीका हर बंधेज,जिसने "रुह" को रंग दिया वो सच्चा "रंगरेज"
Akhil Arya
तेरे इश्क़ में मैं कुछ इस्क़दर रंग जाऊ, खोलूँ आंख तो सामने तुझे ही पाऊ, लगा दे गुलाल तू कुछ इस्क़दर मेरे इन गालो पे, उस गुलाल की खुशबू में महक मैं भी जाऊ।।। अब की होली , फीकी होली,
Meenu Pandey
आओ श्याम मिल के फिर ख्वाबों के सिरे जोड़ते हैं। मैं हूँ तुम्हारी ही राधा फिर प्रीत चुनरी ओढ़ते हैं। मीनू पाण्डेय चुनरी
"मन की बात"
फूलों की रंगत भी फीकी सी लगती है, जब तेरे चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है, यूं ही खिलखिलाते रहना तुम, तुम्हारी हंसी से मेरी जिंदगी चहक उठती है। ©आकांक्षा फूलों की रंगत भी फीकी....
Parasram Arora
किसका पीछा क र रहा है ये चाँद आवारा? किसको क्या पता? कदाचित चांद की ही धवल स्निग्ध चांदनी ही उसे सम्मोहित कर रही चांदनी का पीछा करने के लिए कुछ भी हो रात्रि के अंतिम पहर तक तो उसकी आकर्षक आभा लुप्त हो ही जाने वाली है अद्भुदय lऔर उत्कर्ष का ये जिवंत दृश्य हम अक्सर हर रोज़ देखते हैँ लेकिन अपने भीतर सदैव यही धारण बनी रहती हैँ कि हम कभी नहीं मरेंगे. सदा अमर रहेंगे और यह धारणा अटूट बनी.रहती हैँ बुझा हुआअमावस्या का चाँद और उसकी लुप्त हो चुकी चांदनी भी तो यही सन्देश देती हैँ क़ि "रूप की देह टिकती नहो देर रात तक " ©Parasram Arora रूप की देह #alone
Himshree verma
लाल चुनरी ओढ़ राखी है मोहन तेरे नाम की पी की कहुं ये चुनरी को या प्रीतम की बात एक ही है क्योंकि मैंने अपने पी में प्रीतम देखा है ©Himshree verma चुनरी प्रीतम के नाम की #Reels #insta
Balram Singh Thakur
गीतिका-चमगादड़ी की देह। ********************************* १. वर्तमानी खेल सारा, मानवी करतूत है, मानवों की नेक काया, दानवों का दूत है। कौन सी माटी लगी चमगादड़ी की देह में, कायनात रौंद डाली चायनाई लेह में।। (लेह-चटनी) २. धर्मयोगी ,कर्मभोगी ,सब यहॉं मजबूर हैं, बाल,बूढ़े,नौजवाँ सब,मौत से ना दूर हैं। दीन हो या हो धनी सब दायरे में खो रहे, राजनेता लात ताने आशियाने सो रहे।। ३. राम को भूला वही तो आपदे में पल रहा, छोड़ सीधी चाल धारी हासिये पे चल रहा। राम का जो नाम ले वो हौसलों से जी सके, फ़ासलों को दूरकरके,हरदुखों को पी सके।। ४. बेकसी का हाल पाला,हर गली हर गाँव ने, आपणी हालत बिगाड़ी,आदमी के पाँव ने। काट डाला आदमी को आदमी ने ही पिया, सोचता है ईश 'बल' ये पूत कैसा जन दिया।। (आपण-बाज़ार,अपनी) 'बल'बली हो या खली हो कोइ ना मजबूत है। वर्तमानी खेल सारा मानवी करतूत है।। ********************************** सुखी रहो, स्वस्थ रहो। लेकिन थोड़े दूरस्थ रहो।। ********************************** ।।जै, जै राम,बल्लू-बलराम।। ©Balram Singh Thakur चमगादड़ी की देह,,, #apjabdulkalam
Balram Singh Thakur
गीतिका-चमगादड़ी की देह। ********************************* १. वर्तमानी खेल सारा, मानवी करतूत है, मानवों की नेक काया, दानवों का दूत है। कौन सी माटी लगी चमगादड़ी की देह में, कायनात रौंद डाली चायनाई लेह में।। (लेह-चटनी) २. धर्मयोगी ,कर्मभोगी ,सब यहॉं मजबूर हैं, बाल,बूढ़े,नौजवाँ सब,मौत से ना दूर हैं। दीन हो या हो धनी सब दायरे में खो रहे, राजनेता लात ताने आशियाने सो रहे।। ३. राम को भूला वही तो आपदे में पल रहा, छोड़ सीधी चाल धारी हासिये पे चल रहा। राम का जो नाम ले वो हौसलों से जी सके, फ़ासलों को दूरकरके,हरदुखों को पी सके।। ४. बेकसी का हाल पाला,हर गली हर गाँव ने, आपणी हालत बिगाड़ी,आदमी के पाँव ने। काट डाला आदमी को आदमी ने ही पिया, सोचता है ईश 'बल' ये पूत कैसा जन दिया।। (आपण-बाज़ार,अपनी) 'बल'बली हो या खली हो कोइ ना मजबूत है। वर्तमानी खेल सारा मानवी करतूत है।। ********************************** सुखी रहो, स्वस्थ रहो। लेकिन थोड़े दूरस्थ रहो।। ********************************** ।।जै, जै राम,बल्लू-बलराम।। ©Balram Singh Thakur चमगादड़ी की देह,,, #apjabdulkalam