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Bhairav
गलत जगह सम्मान दे दिया...🏆 व्यर्थ दे दिया प्यार...💞 हीरे की कीमत क्या जाने ...🤷♂️ कचरे के ठेकेदार...🧧 💐🤝🏻💐 राधे-राधे #व्यर्थ
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर आप अपनी माँ -पत्नी -बेटी -बहु और अन्य महिलाओं की ह्रदय से इज्जत करेंगें तो यकीन मानिये मंदिर में विराजमान /स्थापित माँ का आशीर्वाद स्वतः ही आपको प्राप्त हो जायेगा... और यदि आप सारे जप- तप- व्रत-पूजा पाठ कर रहे हैं लेकिन महिलाओं की इज्जत नहीं करते हैं तो यकीन मानिये सब व्यर्थ है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की उदासी यानी -अतीत में जीना.. तनाव् यानी भविष्य में जीना..और आनंद यानी वर्तमान में जीना.., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की उस इंसान से हमेशा दूरी बनाये रखें ,जिसे खुद की गलती नजर ही ना आती हो...., आखिर में एक ही बात समझ आई की कामयाबी के सफर में "धूप" का बड़ा महत्व होता हैं,क्योंकि ""छांव"" मिलते ही कदम" रुकने लगते है.....! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' व्यर्थ
Datta Dhondiram Daware
दूरवर शोधितो तुला, या ओसाड माळरानी... तुझ्याविना ऊदास माझी ही जिंदगानी... जगण्यात नाही कसला अर्थ... *सम्राट*च आयुष्य तुझ्याविना आहे व्यर्थ... *सम्राट दत्ता डावरे* ९७३००३७०५३ व्यर्थ #newplace
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
आ गई है,बहुत ज्यादा गरमी दिल में रखो,अब आप नरमी हर ख्वाब आपका पूरा होगा, नम्रता की पहने,पहले वर्दी दिमाग को रखो,आप ठंडा त्याग भी दो व्यर्थ की गरमी क्या,फ़लक और क्या जमीं जो होते है,सदैव धैर्य,धनी छोड़ते देते,व्यर्थ गहमागहमी फिर अंगारों पर होती नरमी जो दिमाग में रखते है,सर्दी भीतर रखते,जो कर्म गर्मी वो पाते फिर सफलता इतनी सागर में लहरे नही जितनी त्याग भी दो,व्यर्थ की गरमी स्नेह के साथ रहो,आप सभी प्रेम के लिये यह दुनिया बनी लड़ने के लिये नही ज़मीं बनी वो बनते है,खिली हुई कली जो विन्रमता की होते,जमीं चोर जेब मे जो सदा रखते है, सहनशीलता कोहिनूर चवन्नी वो नही रोते है,जीवन मे कभी त्याग भी दो व्यर्थ की गरमी जीवन मे न होगी कोई कमी जिंदगी में होगी,फिर रोशनी घटा दे आप व्यर्थ की चर्बी क्रोध की न सुलगाये अग्नि जो त्याग दे,गर व्यर्थ गरमी बनेगी स्वर्ग,फिर यह धरती शीतल बने और शीतल बोले फिर बरसेगी,सुधा वर्षा घनी दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" व्यर्थ की गरमी
Shashi Bhushan Mishra
बेमौसम बरसात कबतक? अमावस की रात कबतक? दूर अपनों से मुसाफ़िर, अजनबी से बात कबतक? स्वार्थ में अंधे हुए सब, बेवज़ह की घात कबतक? रह-ए-उल्फ़त में दिलों के खेल में शह-मात कबतक? परेशाँ हर कोई जग में, दर्द से निजात कबतक? मन मुनासिब राह चल तू, सहे हृदयाघात कबतक? स्वयं की पहचान करले, व्यर्थ पश्चाताप कबतक? ज्ञान दीपक जला 'गुंजन', अंधेरे की बिसात कबतक? --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #व्यर्थ पश्चाताप कबतक#
Prashant Mishra
ज़िंदगी के सभी संकलन व्यर्थ थे थी अशुद्धि बहुत व्याकरण व्यर्थ थे बिन तेरे मैंने जितने किये आजतक 'इश्क़' के वो सभी आंकलन व्यर्थ थे --प्रशान्त मिश्रा "आँकलन व्यर्थ थे"
Gaurav Pramod Deshpande
सांज वेळेला सुगंध मातीचा ,वारा ही धुंदला होता! एक क्षण असा ही होता न बोलता सारे कळायचे ! तर काही क्षणांना बोलणे ही व्यर्थ होते ! ❣️#Gaurav❣️ व्यर्थ ❣️ #lost