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Shrikant D
जिंदगी भेल जैसी है कभी मीठे पल है तो खट्टे एहसास है ©Shrikant D जिंदगी एक भेल है
Rupam Jha
अपनो नै जं कखनो अप्पन रहतइ। त कहु आश कि लोक दोसर सँ करतई। जं अप्पन समांग हरदम खिशियैते रहतइ। त कहू आन कखनो मोजरो करतइ? ओना त दोसर सं बेसी उम्मीद नहिये करी... तयो जं एक मनुख दोसर क मदद नै करतइ। त कहू जे फेर इ जग कोना कय रहतइ? आत्मनिर्भरता बड निक गप होयत छैक, लेकिन ओकरा सदिखन रट लगेनियाहर; एक बेर समाजो क गौर सं देखू,... जतऽ परस्पर मेल- मिलान सँ सब काज सम्पन्न होएत
Unseen Eloquents
............................................. आजुक क्षण में , मैथिली भाषाक उत्कृष्ट साहित्य सँ परिचित व्यक्ति ,और उभरैत हुनकर व्यक्तित्व,अनेको कथा,कहानी,और प्रेमक राग ओहो विशेष भाषा हिंद
Rupam Jha
कतय हेरायल ढेंगा-पानी आ कतय चोरा-नुकी क खेल, कतय गेल ओ धप्पा-धुप्पी आ कतय हेरायल पोसम्पा क रेल, कबड्डीयो नै खेलै आब बच्चा,इ कोन कलजुग भेल, फोने म खेल ताकी लेलक ,छूटल नेना-भुटका क सँझुका मेल, कतय चली गेल माटिक चूल्हा परहक भोजन-भात, ओय भोज्य क वर्णन की करब,अहा!गजबे होय छल स्वाद, चिनबारक चूल्हा-चेकी बिला गेल,भेल गैस-सिलिंडरक साथ, विलुप्त भ गेल सबटा संस्कृति,उफ! कतेक नमहर छैक आधुनिकताक हाथ, डहि गेल सबटा खर क घर,बदैल गेल देहातक हालात, बड़का-बड़का इमारत बनि गेल,बढ़ि गेल सबहक आब बिसात, नै जैत अइछ आब कियो कलम-गाछी,नै रहल ओ पहुलका बात, बूढ़-पुराण सँ लय बच्चा-बुदरुक सब अपने मँ मग्न रहै छैथ,केने रहै छैथ सब क कात, कोनाक नेनाक हड्डी मजगूत हेतै,जँ नै वो अपन मैट पर लोड़ीयैत, नून-रोटी क जगह पिज़्ज़ा-बर्गर ल लेलकै,स्वास्थ्य पर होयत अछि वज्रनिपात, कंसारक चूड़ा-मुरही निपत्ता भेल,फास्ट-फूड लगौने अछि सब पर घात, खेती-पातीं चौपट भ गेल,बदैल गेल सबटा हालात, शहर बनेता गांव क सब मिल,नै जानी की छैन ग्रामीणक जज्बात, शहर बनबैक सपना त नहिये पुरतैन,धोता गाम सँ सेहो हाथ!! गामक वर्णन की करब गाम त होइते अछि अमूल्य(ओना प्रयास केने छी अयि स पहुलका पोस्ट म गांव क वर्णित करै क)मुदा आब बहुत तेजी सँ बहुत किछु बदैल रहल
shayar HR
गिला नहीं जिंदगी से कोई 'एच् यार' बस एक शाम और दे यारों वाली । (बचें क़िस्से कैप्शन में) फिर हो वो शाम यारों वाली, दिन भर की पंचायतों वाली कर के सारी गलतियों साथ में, फिर पेशी होना घरवालों वाली खेल में धो देना या धूल आना, फिर व
राघव_रमण (R.J)..
ज' कही हम मिथिला घुमब पिया घुमायब कोना अहां से त' कहु।। षड्दर्शन के टीका जतय सं निकलय वेद वेदांग के धुन जतय सं बहय ज' कही हम एकरा पढवै पिया पढायब कोना अहां से त' कहु।। टाट तिलकोर सीम भरल छल जतय चार पर सजमैन आ कदीमा फरल ज' कही हम ई सब खायब पिया खुआयब कोना अहां से त' कहु।। भोर पराती गावैत मैया उठल दिन नचारी सुनावैत देव पुजल ज' कही हम ई सब सीखब पिया सीखायब कोना अहां से त' कहु।। सब मिलि क रहैत छल एकहि आंगन माय बाबु के पूजैत चरण पावन ज' कही हम संगहि पूजब पिया पूजायब कोना अहां से त' कहु। आब बदलि गेल देखु अपन मिथिला संस्कार बदलल भेल अबला मातृभाषा अपन पूत बाजत पिया बजायब कोना अहां से त' कहु।। ज' कही हम मिथिला घुमब पिया घुमायब कोना अहां से त' कहु।। © राघव रमण 28/11/19 ज' कही हम मिथिला घुमब पिया घुमायब कोना अहां से त' कहु।। षड्दर्शन के टीका जतय सं निकलय वेद वेदांग के धुन जतय सं बहय ज' कही हम एकरा पढवै पिय
Ranjan Kashyap
हम एगो मैथिल छी हमरा स मैथिली में एक टा कहानी के लिखवाक अपेक्षा सब गोटे के हेतैन त हम आई मैथिली में लिख रहल छी। कृपया अनुशीर्षक में देखब। 104. आई दस साल बाद अप्पन गाम आबि रहल छी। मोन में अथाह प्रश्न अइछ अप्पन गाम के लऽ कऽ। आब गाम कतेक बदलि गेल हेतैक आओर कतेक रास नव लोक सब देखवा
JALAJ KUMAR RATHOUR
पार्ट-5 मैंने बोला "तो इसमे उदास होने की क्या बात है ये तो अच्छी बात हैं ", " तुम्हे याद है जब हम इंटर्नशिप पर थे तो हमने क्या प्लान किया था कि हमारी ब्रांच अलग है पर हम जॉब साथ में करेंगे याद है " अवनी ने कहा, मुझे याद आ गया वो दिन जब हम इंटर्नशिप के लिए भेल हरिद्वार में गए tथे,उस दिन हरिद्वार घाट पर मैं उसके करीब बैठा था आसमां में चाँद चांदनी के साथ अठखेलिया खेल रहा था, सितारे थे जो छिपछिप कर देख रहे थे चाँद को,इसी का प्रतिबिंब घाट के किनारे पर बहती माँ गंगा पर पड रहा था । जल की पवित्रता को शायद अवनी ने पढ कर मेरा हाथ थाम लिया था और वो बोल रही थी "स्वप्निल एक वादा करो मुझसे क्या तुम मेरे दोस्त की तरह यूँ ही मेरे हर सुख दुख मे मेरा साथ दोगे", उसकी आँखों मे हल्के आँसू आ गए थे, मैने उसको उस वक्त हँसाने के लिए कह दिया था। कि " यार टेंशन ना ले हम एक ही कम्पनी मे जॉब करेंगे " और उसके आँसू अपने हाथो से पोछकर उसको अपनी ह्रदयगति का आभास कराने लगा था। " अरे कहाँ खो गए जनाब स्वप्निल" अवनी ने फोन पर जोर से कहा , मैंने उससे बोला "कहीं नही , यार अवनी जिंदगी हमारे नही उपर वाले के प्लान के हिसाब से चलती है , और हाँ तुम कल प्लेसमेंट के लिए जाओगी जरूर "अवनी बोली "तुम साथ चलोगे एक्जाम हॉल तक " मैंने कहा "हाँ, ओके बाय गुड नाईट" "ओके गुड नाईट & हॉरर ड्रीम , हा हा, " अवनी ने कहा, इन बातों में जो प्यार था हम दोनों के बीच वो कौन सा प्यार है ? इसकी तलाश मुझे हर वक्त रहती थी। पर ना जाने क्यों कुछ लोग हमारी जिंदगी में ऐसे आ जाते हैं जिनके प्रति हमारा व्यवहार वृक्ष और नदी के समान हो जाता है। जिन्हे सिर्फ उनसे लाभांवित होने वाले व्यक्ति की मुस्कराहट में ही सुकूँ मिल जाता है ......... #जलज राठौर मैंने बोला "तो इसमे उदास होने की क्या बात है ये तो अच्छी बात हैं ", " तुम्हे याद है जब हम इंटर्नशिप पर थे तो हमने क्या प्लान किया था कि ह
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat कुछ देर बाद आवाज़ अाई। अधूरी कहानी को पुराने अंदाज निराले साथ ले आई। See caption #cinemagraph #deepthoughts #feelings #yqbaba #yqtales #yqhindi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat वो शाम आती है नब्ज़ दिल की थम सी जाती है,