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Stories related to गिरकर उठना उठकर गिरना

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सपने देखें, उन्हें पूरा होने दे, सपनों की दुनिया में खुद को खोने दे। जो रास्ते अभी तक अनदेखे थे, उन पर बच्चों को कदम रखने दे।

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सपने देखें, उन्हें पूरा होने दे,
सपनों की दुनिया में खुद को खोने दे।
जो रास्ते अभी तक अनदेखे थे,
उन पर बच्चों को कदम रखने दे।

उनकी आँखों में जो चमक है,
वो अंधेरों को भी रोशन कर देगी,
जो ख्वाब दिल में पल रहे हैं,
उन्हें हकीकत बनने दे।

छोटे कदम, मगर इरादे बड़े हैं,
जो हर मुश्किल को आसान बना देंगे,
इनकी मेहनत से नया आसमान सजेगा,
गिरकर ही ये नए रास्ते बना देंगे।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
सपने देखें, उन्हें पूरा होने दे,
सपनों की दुनिया में खुद को खोने दे।
जो रास्ते अभी तक अनदेखे थे,
उन पर बच्चों को कदम रखने दे।

theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter 
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे

बेजुबान शायर shivkumar

रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम। जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। मेरे दिल

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रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।

सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम 
उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।

सोच कर तुम्हें ही अपने साथ मे हम भी मुस्कुराते हैं..
पर क्या करें अभी इस चेहरे से यु नाराज हो तुम ।।🪷👀

©बेजुबान शायर shivkumar रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा, मैंने हंसकर जवाब दिया, बस थोड़ा और झुक जा। हार और जीत का फ़र्क समझ लिया मैंने, गिरकर भी उठने

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हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा,
मैंने हंसकर जवाब दिया, बस थोड़ा और झुक जा।

हार और जीत का फ़र्क समझ लिया मैंने,
गिरकर भी उठने का हुनर सीख लिया मैंने।

हवा के रुख़ से कभी डर नहीं लगता मुझे,
मेरी मंज़िल ने मेरे इरादों को आज़मा लिया है।

हर जख्म ने मेरे हौसले को और गहरा किया,
हर दर्द ने मेरी जीत का रास्ता दिखा दिया।

अब तूफ़ान भी मुझसे सहम कर गुजरते हैं,
मेरे इरादों से ज़माने के नक़्शे बदलते हैं।

जहाँ कांटे बिछाए गए थे मेरे रास्तों में,
वहीं मैंने अपने सपनों के फूल खिला दिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा,
मैंने हंसकर जवाब दिया, बस थोड़ा और झुक जा।

हार और जीत का फ़र्क समझ लिया मैंने,
गिरकर भी उठने

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

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तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

राहें कठिन हो, फिर भी रुकता नहीं ,
गिरते हुए भी खुद को सम्भालता हूँ,
 हार नहीं मानता कभी, 
हर हाल में जूझता ज़रूर हूँ।

हर चोट ने मेरी पहचान बनाई है,
जो गिरा, उसने उठने की कहानी सुनाई है।
राख से उगने की आदत है मुझमें,
जलकर भी खुद को जलाता ज़रूर हूँ।

मुश्किलें मुझसे हार मान जाती हैं,
मेरे इरादे हर मोड़ पर मुस्कुराते हैं।
ज़िंदगी के हर तुफ़ान को मैंने देखा है,
पर ख़ुद को हर बार आज़माता ज़रूर हूँ।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 


तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे

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अंधेरों में उजाले का खिलना, 
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी।

मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे,
हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी।

हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही,
अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 

अंधेरों में उजाले का खिलना, 
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर मे

नवनीत ठाकुर

#बेताब दिल को संभालना मुश्किल, फिर भी इस राह पर चलना ज़रूरी। कभी गिरकर, फिर उठते हम, दर्द में जीने की, एक वजह भी जरूरी। राहों में तूफ़ान ह

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बेताब दिल को संभालना मुश्किल,
फिर भी इस राह पर चलना ज़रूरी।

कभी गिरकर, फिर उठते हम,
दर्द में जीने की, एक वजह भी जरूरी।

राहों में तूफ़ान हों या अंधेरे,
खुद से लड़कर ही जीतना ज़रूरी।

हर मुश्किल को ताकत में बदलकर,
मंजिल तक पहुंचना ज़रूरी।

©नवनीत ठाकुर #बेताब दिल को संभालना मुश्किल,
फिर भी इस राह पर चलना ज़रूरी।

कभी गिरकर, फिर उठते हम,
दर्द में जीने की, एक वजह भी जरूरी।

राहों में तूफ़ान ह
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