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Awnish bhatt
चन्द्रिका के चेहरे पे ये अलकों की घटा पहरे देते हैं जब यू शरद के चाँद जब सुधावर्षन करते हो इस प्रेम रस को अंजुली लेकर पीते है। चंद्रिका
Pranjali Dande
'अर्जुन ने कर्ण का कोई नुकसान नहीं किया था, फिर भी वह दुश्मन बन गया... कभी-कभी आपकी गलती के कारण नहीं, बल्कि आपकी गरिमा के कारण, हुनर और सच बोलना लोगों को अपना दुश्मन बना लेता है।" ©Pranjali Dande #Hindi #हिंदी #स्वानुभव
नितिन "निहाल"
मां सरस्वती को समर्पित मेरी यह अति लघु काव्यांजलि... ©नितिन "निहाल" #नितिन_निहाल #कविता #स्वानुभव #हिंदी
Preeti Karn
दृष्टिगोचर हो रहा प्राची की प्राचीर पर उभरती सिंदूरी आभा से अभिसिंचित सुसज्जित मुखरित विंहसते मधुर स्वपन सम आकाश कुसुम हो रहा निरंतर निर्माण कोई। सुखद मन के द्वार पर प्रतीक्षित आंगतुक लिए मृदुल मुस्कान कोई। असंख्य मन के तारों में बजता अहर्निश समर्पण गान कोई। आबद्ध कर की प्रार्थना में आवाहित सृष्टि का कल्याण कोई। अनियंत्रित काल की इस भीड़ में दृष्टिगत हो रही पहचान कोई।। प्रीति #प्रातःकिरण #स्वानुभव #सूर्योदय #ऊर्जा #सकारात्मक #yqdidi#yqhindi#yqhindiquotes
Abeer Saifi
यूँ कहते तो हैं लोग के मैं बेहिस हूँ बहोत, मुख़ालिफ़ के चंद्रिका मेहसूस करता हूँ اا शिक़वा तो ये भी के करता बातें नहीं 'अबीर' , करता तो हूँ हीं मगर मख़्सूस करता हूँ اا बेहिस- जिसे एहसास न हो, मुख़ालिफ़- विपरीत, चंद्रिका- चांदनी मख़्सूस - खास, विशेष Collab on this picture. Image: clicked by me #leher#nigh
Abeer Saifi
यूँ कहते तो हैं लोग के मैं बेहिस हूँ बहोत, मुख़ालिफ़ के चंद्रिका मेहसूस करता हूँ اا शिक़वा तो ये भी के करता बातें नहीं 'अबीर' , करता तो हूँ हीं मगर मख़्सूस करता हूँ اا बेहिस- जिसे एहसास न हो, मुख़ालिफ़- विपरीत, चंद्रिका- चांदनी मख़्सूस - खास, विशेष Collab on this picture. Image: clicked by me #leher#nigh
नितिन कुमार 'हरित'
कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी, कभी उग्र तुम, कभी दामिनी। तुम चंद्रिका, तुम चंचला, तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।। कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम, क
yogesh atmaram ambawale
माझी कविता मी अशी लिहितो, लिहिताना प्रत्येकाच्या मनाचा विचार करतो. वाचतात जे त्यांना ती आपली वाटते, माझ्या कवितेत बहुतेकांस स्वतःचे भाव दिसते. माझी कविता मी अशी लिहितो, स्वतःचे अनुभव लिहितो कधी, तर कधी कुणाच्या मनातले लिहितो. प्रेमावर लिहिलेली कविता प्रत्येकास स्वतःची वाटते, तर विरहाची लिहिताच स्वानुभव लिहिले असेच सर्वांना वाटते. शुभ संध्या मित्रहो वाय क्यु टिम कडुन माझ्या सर्वं लेखक मित्र आणि मैत्रिणींना जागतिक काव्य दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा. आताचा विषय आहे माझी कवि
AK__Alfaaz..
वृक्षों के झुरमुट में.., सोती सुनहरी.., सिंदूरी शाम.., बहती शीतल पुरवईया.., कलरव करते पक्षी.., लौटते अपने धाम.., नित् नव.., सौंदर्य लिप्त.., प्रकृति का यह.., अनुपम संध्या प्रणाम.., अगले दिवस की आस में.., पुनि-पुनि ढ़लती.., चंचल चंद्रिका का.., यह सुंदरतम्.., अद्भुत रात्रि विश्राम.., कोयल की.., कूक को तरसे.., मन भरमाय जीवन.., जीवन को तरसे.., सोच यही मन.., केवल करवट बदले.., नवीन श्रृजन.., अरूणोदय होगा फिर.., रात्रि भयी है यह.., नही जीवन का.., कोई पूर्ण विराम.., कल.., मन की मृगतृष्णा यही है कि वह वर्तमान की छोड़कर ,,सदा भविष्य की चिंता मे ही डूबा रहता है.., वृक्षों के झुरमुट में.. सोती सुनहरी.. सिंदूरी शाम
स्मृति.... Monika