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Babli BhatiBaisla
वक्त बेवक्त अंधेरों का जुल्म इतना बढ़ा है रौशनी को भी चिराग लेकर चलना पड़ा है बड़े दरख्तों के साए में भी कभी नन्हे पौधा पनपता है घनी छायादार परछाइयों में भी भला कोई दिखता है यह वरदान प्रकृति से केवल मां को ही मिला है आने वाला विराट कल भी गोदी में खेलता है बबली भाटी बैसला ् ©Babli BhatiBaisla विराट Priya महज़ Ruchi Rathore Sharma_N Sweety mehta
Dilshad Gauhar
Beautiful Moon Night किसको अब दर्द अपना सुनाएंगे हम ईद घर के बिना अब मनाएंगे हम शहर के भीड़ मे अब है तन्हाइयाँ हर तरफ लग रही अब है वीरानियाँ कैसे फरमाइशें अब बताएंगे हम ईद घर के बिना अब मनाएंगे हम याद घर की मुझे अब सताने लगी रोज हर दिन मुझे अब रुलाने लगी किस तरह से भूलाएंगे हम ईद घर के बिना अब मनाएंगे हम तुम वहां हो सनम और मै हुं यहाँ दूरियां मेरे और आपके दरमियां अब गले तुमको कैसे लगाएंगे हम ईद घर के बिना अब मनाएंगे हम ~दिलशाद गौहर ©Dilshad Gauhar किसको अब दर्द अपना सुनाएंगे हम ईद घर के बिना अब मनाएंगे हम Dilshad Gauhar #Dilshadgauhar #AsifHindustani #Eid Asif Hindustani Officia
narendra bhakuni
ANOOP PANDEY
मैं वही हूँ, वही हूँ, वही हूँ ,वही........ तुम भले यार बदले मैं ना बदला कभी दौर कोई भी आया नाही बिखरा कभी मैने जो भी कहा देख उस पर हूँ टिका मार्ग बदला ना मैने ना किया कुछ जुदा काश तू जानता दिल के अहसास को.. जो हैं नित साथ चलते उन ख्यालात को दूर- होकर भी तुझसे ना जुदा यार हूँ.... बात -दिल की कहूँ गर तो मैं आबाद हूँ प्रेम पाना हुआ यार कब को है सनम..... देख -दुनियां की थ्योरी अब मैं हैरान हूँ कोई -कल को मिला था किसी मोड़ पर कह रहा था बदलना ना कभी भी ओ तुम तुम हो जैसे रहो यार नित- वैसे ही सनम अजी तुममें देखा हैं जो वो मिला ना कहीं मेरा दिल जान कुर्बा यार तुझ पर है सभी बात -मैंने सुनी जो तो फिर हँसी गयी...... फिर सोचने मैं लगा यार ऐसा है क्या ??? सोचने जो चला तो छवि है मोहन दिखी.... इक वो ही तो हैं जिस पर नजर यह टिकी साथ -रहता हैं मेरे नित ही चले साथ वो.... अजी वो सांवरिया मेरा ,वो है कान्हा मेरा जिसको अर्पण किया मैंने खुद को सनम ©ANOOP PANDEY #मैं_वही_हूँ_वही_हूँ Sweety mehta Shilpa yadav
ANOOP PANDEY
दर्दों का अपना आलम है कब मिल जायें पता नहीं... कहने को तो सब ही अपने है कौन है अपना पता नहीं... अजी जुड़ता जिससे भी यारों अलग ही रूप दिखाता है ... सच -बोलूँ तो ऐ यार मेरे अब समझ ना हमको आता है.... देखता हूँ जो अजब- नजारा अजी दम ये घुटता जाता है... अजी होता क्यों ये साथ ओ मेरे इसका तो हमको पता नहीं.... इक तुम हो बेहतर मान लिया है मैं क्या हूँ? इसका पता नहीं..... अजी किये तो होंगें कुछ ओ गलत जो हमको है यारों पता नहीं.... अरे- तेरा क्या है?? यार बता अब सब ही यही धरा रह जाएगा... जो रहता नित नित साथ तेरे है वो फिर शून्य यार हो जाएगा..... ©ANOOP PANDEY #दर्दों_का_अपना_आलम Anshu writer Sweety mehta