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Arun Mahra
hanuman jayanti 2024 मन का ध्यान और शरीर का कर्म यदि किसी कार्य में पूरी तरह लगा दिया तो सफलता मिलने में कभी देर न होती है ©Arun Mahra भगवान सबको रक्षा करे मेरे प्यारे भोक्तों को
Nishank Pandey
White जानते हो.. "तुम्हें समझना था," खैर... तुम भी समझा रहे हो,, जानते हो.. "मैं अकेला था," खैर... तुम तो जा रहे हो,, ©Nishank Pandey #जानते हो...
malay_28
White कहीं तुम हो कहीं हम हैं मुहब्बत हो तो कैसे हो ख़ुदा अब दूर इंसां से इबादत हो तो कैसे हो ग़ुलामी दौड़ती खूँ में बग़ावत हो तो कैसे हो नहीं पहचान है अपनी अदावत हो तो कैसे हो बना पत्थर रहा करता नज़ाक़त हो तो कैसे हो ©malay_28 #कैसे हो
Rakesh Kumar Sah
हिमांशु Kulshreshtha
ग़र हो इजाज़त तो एक छोटी सी गुस्ताखी कर लें तुम जो आयीं ख्वाबों में तो तुम्हें बाहों में भर लें ©हिमांशु Kulshreshtha ग़र हो..
निशब्द
Nik JAT
वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT #प्यारे बाबा
bhim ka लाडला official
Poet Kuldeep Singh Ruhela
आओ मेरे प्यारे प्यारे शब्दों के जादूगरो चलो मिलके आज नई इबारत लिखते है मंच पर आए हैं सहरानपुर के कवि कुलदीप चलो मिलकर उनका हम स्वागत करते हैं ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #diary आओ मेरे प्यारे प्यारे शब्दों के जादूगरो चलो मिलके आज नई इबारत लिखते है मंच पर आए हैं सहरानपुर के कवि कुलदीप चलो मिलकर उनका हम स्वागत