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Rajesh rajak
#Motivation सांझ हुई दिन ढल गया,बाघ ने घेरी गाय,, गाय बेचारी न मरे,बाघ न भूखा जाय। जीवन रूपी सांझ,यम रूपी बाघ,आत्मा रूपी गाय।
manisha
पूर्णिमा के चांद सा है तू हरदम इशक सी चांदनी बरसाता है हम मिलने को छत पे आते हैं तू बादलों में छिप जाता है इतने दिनों तरसाकर एक झलक दिखाता है कैसा आशिक है तू चंद पलों में ही सारे जग को रिझाता है चाँद रूपी आशिक
राम लला समरस्ता
आज रात हुई है, तो सबेरा भी जरूर होगा , आज आप कुछ दिन सलामत घर पर बसेरा करें तो एक दिन अपनी मुलाकात जरूर होगा ।। आज आफत आई है, तो आफत का किस्सा खत्म भी जरूर होगा है मानव रूपी चिड़िया अभी तू कुछ दिन रुक अपने ही घोसले में तू सुरछित रहा तो तेरे पर आसमान में उड़ने के लिए मशहूर होगा । *✍🏻अनिल कुमार मिसिर (हुड़दंग)* मानव रूपी चिड़िया
Shailesh "saral"
सब कहते हैं नर - रूपी पिशाच मुझे क्या नहीं बची अब मुझ में दया और सहनशीलता क्यों बन गया मैं ऐसा ,कौन है जिम्मेदार? परिस्थितियों का रोना हर बार की तरह क्या रो कर मैं इस बार भी बच पाऊंगा या फिर हो जाऊंगा दूर अपने आपसे लगने वाले नर से दूर संज्ञा- शून्य पिशाच की तरह जिसकी लाल आंखें सिर्फ चलती हैं सिर्फ स्वार्थ रूपी रोटियां तलती हैं और हो जाती हैं मौन ,बेबस औरों की सहानुभूतियों के लिए संज्ञा- शून्य समझ से परे ,असहिष्णु ।। शैलेश सरल ' नर -रूपी पिशाच
Arora PR
दिशा हीन पथ पर ये मन रूपी घोड़ा दौड़ता रहा....।................ नहीं डरा नहीं रुका चाबुक की मार से ..।..................................... विवेक की लगाम से भी नियंत्रित नहीं हुआ इसलिए अब ख़ो चुका है अपनी मंजिल और मार्ग इसके बावजूद ये घोड़ा न तो रुक रहा है न मुझेछोड़ रहा है छोड़ र ©Arora PR मन रूपी घोड़ा
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बहू को लक्ष्मी कहने वाले लोग किस कदर अक्सर उस लक्ष्मी को ठोकरों में रखते हैं ,उसको बेइज्जत करते हैं ,उस लक्ष्मी को आज भी बच्चा पैदा करने की मशीन समझते हैं वो भी ख़ास कर ...हाय रे बेदर्द और दोहरे चरित्र वाली दुनिया ... जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस जिंदगी में अनगिनत लोगबाग़ मिले पर याद नहीं आता की कोई भी ऐसा मिला हो जो बिना काम -स्वार्थ के मिला हो ...स्वार्थ की डोरी सबसे बड़ी ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की विवाह एक ऐसा मकान है जिसे पति पत्नी हर नए दिन के साथ प्रेम -प्यार -विश्वास -संस्कार -सहयोग -समर्पण -श्रद्धा रूपी सीमेंट -पेंट और सजावट से सजा कर घर बनाते हैं ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की जीवन में विवाह उत्सव में जाना एक तरह से किसी बोली लगने वाले बाजार की तरह है जहाँ अक्सर माँ बाप अपने बेटे की कीमत वसूल करते हैं और कई माँ बाप तो सब्जी मंडी से भी ज्यादा मोल भाव अपने बेटे रूपी सब्जी को बेचने के लिए करते हैं ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...!🌹सुप्रभात🙏 🔯🔱 विकास शर्मा "शिवाया"🔱 🌈🚩🔯 ⚛️🔯☸️🪔🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' बेटे रूपी सब्जी