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Ravikesh Kumar Singh
इंसान को अपने शरीर रूपी मंदिर का ख्याल खुद रखना होगा, अन्यथा आपका आत्मा अस्वस्थ हो जाएगा और आप तन और मन दोनों से बीमार हो जाएंगे, आज की भागदौड़ की जिंदगी में लोग अपने इस मंदिर की साफ-सफाई देखरेख सेवा भूल जाते हैं, और जब बीमार पड़ते हैं तो, उनके कमाए गए बेशुमार रुपए धन से भी वह शरीर फिर से वैसा तैयार नहीं हो पाता, जैसा परमात्मा ने हमें दिया है, इसलिए स्व प्रथम अपने स्वास्थ्य पर लोगों को ध्यान देनी चाहिए, तत्पश्चात किसी और कार्य को, क्योंकि हमारे इस परमात्मा का दिया हुआ तन में ही एक छोटा सा मन अर्थात परमात्मा विराजमान होते हैं,इनकी देखरेख बहुत ही महत्वपूर्ण है तभी जाकर अपने शरीर के द्वारा अपने आत्मा पर विजय प्राप्त कर, परमात्मा का साक्षात्कार कर पाएंगे । ।। जय शिव।। ©Ravikesh Kumar Singh #शरीर #रूपी #मंदिर #का #ख्याल
Poetry with Avdhesh Kanojia
यह कैसी उधेड़बुन है सबको लगी कैसी धुन है। क्यों रिश्ते रूपी अनाज को लगे दरार रूपी घुन हैं।। ✍️अवधेश कनौजिया© यह कैसी उधेड़बुन है सबको लगी कैसी धुन है। क्यों रिश्ते रूपी अनाज को लगे दरार रूपी घुन हैं।। ✍️अवधेश कनौजिया©
यह कैसी उधेड़बुन है सबको लगी कैसी धुन है। क्यों रिश्ते रूपी अनाज को लगे दरार रूपी घुन हैं।। ✍️अवधेश कनौजिया©
read moreCHANDRASEN KORI
मै रावण ही अच्छा हूँ... नीचे पूरी कवीता लिखी हुई है एक बार जरूर पढ़ें... 👇👇👇 मैं रावण ही अच्छा हूँ.... गर तुम राम बनकर सीता का ना सम्मान करो तब मैं रावन ही अच्छा हूँ.. तुम मार्यादा का ढोंग ओढ़कर महिला पर अत्याचार करो... तब मैं रावण ही अच्छा हूँ.. भेदभाव की भावना में तुम श्री राम का नाम भजो,
मैं रावण ही अच्छा हूँ.... गर तुम राम बनकर सीता का ना सम्मान करो तब मैं रावन ही अच्छा हूँ.. तुम मार्यादा का ढोंग ओढ़कर महिला पर अत्याचार करो... तब मैं रावण ही अच्छा हूँ.. भेदभाव की भावना में तुम श्री राम का नाम भजो,
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अंदर के रावण का अंत प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। अभिमान क्रोध व निरंकुशता होते पतन के द्वार हैं। इन असाधारण रोगों का बस एक प्रेम ही उपचार है। निष्ठुरता रूपी उलूक बैठा जो मन रूपी टहनी पे है। उड़ा देना है उसे भी ज्ञान दृष्टि पैनी से है। कर्म निंदित हैं जहर से इनसे डरना चाहिए। अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। वन्दनीया नारी है सो सम्मान का भी भान हो। हर नर में हर आभास हों व दूर सब अज्ञान हो। बन्धु भगिनी देवतुल्य से ये सभी के विचार हों। बृद्धजन पूजित रहें और सत्य कटु स्वीकार हों। सार्वभौम सौहार्द्र हो व स्वार्थ तजना चाहिए। अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। ✍️अवधेश कनौजिया© अंदर के रावण का अंत प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। अभिमान क्रोध व निरंकुशता
अंदर के रावण का अंत प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। अभिमान क्रोध व निरंकुशता
read moreKusum Sharma
शिक्षक वही होते हैं जो अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जायें #शिक्षक #ज्ञान #nojoto #writersofnojoto #writers #word #teacher #quote #life #lifequote #hindiquote #thoughts
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read moreNishh.
एक श्रेष्ठ शिक्षक स्वयं को संपूर्ण ज्ञान से पूर्ण कभी नहीं समझता। ज्ञान के अथाह भंडार की खोज में रहता है। कोरे मटके रूपी विद्यार्थी को ज्ञान रूपी अमृत से भरता है। जीवन के विभिन्न आयाम को भली भांति समझता और समझाता है। उन्नति और अवनति की सोच से परे शिक्षक देश का भविष्य उज्जवल बनाता है। #Nojoto #NojotoHindi #शिक्षक दिवस #Guru #Guru ka mahatv #GuruGyan #GuruWani
Saurabh Verma
हर कष्ट में, तुम याद आते, हम सबकी, डूबती नैया, पार लगाते, तुम्हारे दिए, हर एक उपदेश, हमे जीवन जीना सिखाते, हे प्रभु,तुम ही हो, हमारे पालनहार, हमारे अंधकार मय अज्ञान को, अपने रोशनी रूपी ज्ञान से, दूर कराते, घिर जाते अगर, निराशा से अगर हम, तुम आशा रूपी दीपक, मन मे जगाते, हे प्रभु न जाना हमसे दूर तुम, रहना सदा हृदय में तुम....✍️
Poetry with Avdhesh Kanojia
स्वतंत्रता ....….... स्वतंत्रता भिक्षा नहीं कोई माँगने से जो मिले। शौर्य ही वह मार्ग जिससे शत्रु का शासन हिले।। विकल्प अंतिम बाहुबल ही यही वीर का मित्र है। पराक्रम रूपी लेखनी से बनता मुक्ति का चित्र है।। स्वप्न भी दिखता जिसे है सदा विजय को वरने का। स्वतन्त्र वही रहा पाता है जिसमें साहस हो लड़ने का।। शत्रु समक्ष झुक जाएँ हम यह हमें नहीं स्वीकार है। शिराओं में जिसके शौर्य नहीं उनका जीवन बेकार है।। स्वतंत्रता के लिए बहानी पड़ती रक्त की धार है। नक्षत्र दिखा दें भरे दिवस में ऐसा हम करते प्रहार हैं।। शास्त्र ज्ञान भी भरा है हममें पर अब समय है शस्त्र का। प्रखर करना है बल हमें अब भुजदण्ड रूपी अस्त्र का।। है समय पहचानें सभी हम अपने अपने सामर्थ्य को। आओ जानें वास्तविक हम स्वतंत्रता के अर्थ को।। ✍️अवधेश कनौजिया© #Motivation
Naresh_ke_lafz
मैं ऑफिस से शाम को मंदिर रूपी घर जाता हूँ और मंदिर में सर्वप्रथम मां रूपी देवी के दर्शन करता हूँ जो रोजाना एक ही बात कहती है बेटा अपना ख्याल रखना और समय पर खाना खा लेना । king of Prince #माँ
Poetry with Avdhesh Kanojia
कोहरा जीवन का - - - - - - - - - - - नव उमंग की नव चेतन की सूर्य रश्मियाँ आएँ। अवरोध रूपी कोहरा जीवन का सदा के लिए छंट जाए।। है समीप वह गर्माहट जो निष्क्रियता को हटाए। पर इस कोहरे के कारण वह हमें नहीं दिख पाए।। जो स्थिति है मन मष्तिष्क की कैसे सबको बतलाएँ। नव उमंग की नव चेतन की सूर्य रश्मियाँ आएँ। अवरोध रूपी कोहरा जीवन का सदा के लिए छंट जाए।। छिपा हुआ है वह प्रकाश जो मार्ग हमें दिखलाए। इस जीवन की अपूर्णता में जो परिपूर्णता लाए।। आशाओं रूपी पादपों में नई कोपलें जगाए। नव उमंग की नव चेतन की सूर्य रश्मियाँ आएँ। अवरोध रूपी कोहरा जीवन का सदा के लिए छंट जाए।। जाने कब आएगी वह घड़ी जो मन को सबके भाए। कोहरे के इस आवरण में हम न कहीं खो जाएँ।। जीवन रूपी वातावरण की दृश्यता को बढ़ाए। नव उमंग की नव चेतन की सूर्य रश्मियाँ आएँ। अवरोध रूपी कोहरा जीवन का सदा के लिए छंट जाए।। ✍️अवधेश कनौजिया© #NojotoQuote कोहरा जीवन का
कोहरा जीवन का
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