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Ritik gajbhe

#sad_quotes कैफ़ी आज़मी, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मीर तक़ी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार, जौन एलिया, ज़ौक, फैज़ अहमद फ़ैज़, राहत इंदौरी.

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White कैफ़ी आज़मी, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मीर तक़ी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार, जौन एलिया, ज़ौक, फैज़ अहमद फ़ैज़, राहत इंदौरी.

©Ritik #sad_quotes कैफ़ी आज़मी, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मीर तक़ी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार, जौन एलिया, ज़ौक, फैज़ अहमद फ़ैज़, राहत इंदौरी.

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का

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न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज,
भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए।
दो वक्त की सिर्फ रोटी,
या थोड़ा सा अनाज चाहिए।

महल नहीं, एक छत काफी है,
आराम नहीं, बस राहत काफी है।
सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ,
खाली पेट को बस बरकत काफी है।

न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी,
बस इंसान की भूख मिट जाए।
जिंदगी की असली हकीकत यही,
कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज,
भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए।
दो वक्त की सिर्फ रोटी,
या थोड़ा सा अनाज चाहिए।

महल नहीं, एक छत का

theABHAYSINGH_BIPIN

#Sad_Status देख कर तुझको पहली बार, मेरे दिल पर शामत आई थी। मैं होश में कहाँ था उस वक़्त, जज़्बातों में लहर सी आई थी। सुध-बुध खोकर बैठा था

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White देख कर तुझको पहली बार,
मेरे दिल पर शामत आई थी।
मैं होश में कहाँ था उस वक़्त,
जज़्बातों में लहर सी आई थी।

सुध-बुध खोकर बैठा था मैं,
आँखों में चमक सी आई थी।
दुनिया की फिक्र किसको थी,
मेरी जान जाँ पर बन आई थी।

तेरे ही एहसासों में जीने का,
ये कैसी जुनून मुझपे छाई थी।
मैं, धड़कन और रूह ने मेरी,
दुनिया से नाता तोड़ आई थी।

मिलकर तुझसे ये एहसास हुआ,
तूने जिंदगी मेरी लौटाई थी।
डुबकर तुझमें ये एहसास हुआ,
मेरे दिल को सुकून सी आई थी।

तुम मुझसे दूर जाकर भी तुमने,
जीने का तरीका सिखलाई थी।
तुमसे बिछड़कर ये एहसास हुआ,
तेरी यादों में राहत सी आई थी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status 
देख कर तुझको पहली बार,
मेरे दिल पर शामत आई थी।
मैं होश में कहाँ था उस वक़्त,
जज़्बातों में लहर सी आई थी।

सुध-बुध खोकर बैठा था

M.K Meet

दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂

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दिल को पत्थर बनाने की कशमकश में हूं!
के वह बार-बार तोड़े,और मुझे दर्द भी न हो






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©M.K Meet दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं 
पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 
😂😂😂😂😂😂😂😂

theABHAYSINGH_BIPIN

#boat तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

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तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है।

अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी,
तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं।
बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर,
मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है।

उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा,
मेरे सूखे होठों को हंसी दी है।
पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा,
तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #boat 

तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्

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मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत',
तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए।

जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश,
उस रास्ते की हर धूल से अपनी आवाज़ कह दीजिए।
ग़म और दर्द अगर न मिले राहत का निशाँ,
तो हर एक क़दम से अपनी दुआ बना दीजिए।

मंज़िल नहीं मिली तो क्या, सफ़र तो है,
राहों की धूल से ही खुद को पहचान दीजिए।
रोशनी मिलेगी अंधेरे के हर कोने से,
वक़्त की चुप्प को अपनी हसरतों से सजा दीजिए।
हमसफ़र नहीं तो क्या, इरादे हैं आसमान जैसे,
हर घड़ी की राह को अपने ख्वाबों से बना दीजिए।

कभी अगर ठोकरें लगे, तो उन्हें दिल से लगा लीजिए,
वहीं छुपा है वो राज़, जो आपको मजबूत बना दीजिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत',
तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए।

जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश,
उस रास्

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों

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White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा?

जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से,
वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा?

जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू,
वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा?

जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी,
वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा?

जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर,
वो औरों को ख्वाब क्या देगा?

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे

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White 
अंधेरों में उजाले का खिलना, 
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी।

मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे,
हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी।

हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही,
अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 

अंधेरों में उजाले का खिलना, 
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर मे

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि

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White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते।
चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ,
जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते।
गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह,
जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते।
राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे,
ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते।
मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना,
 मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधि
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