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Stories related to ग़ज़ल गुलाम अली खान

Mahesh Patel

सहेली... गुलाम... लाला...

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सहेली........
 गुलाम कर दिया
 हमें इन आंखों ने..
वरना आज तक हम
 किसी के आगे झुके नहीं.. 
लाला......

©Mahesh Patel सहेली... गुलाम... लाला...

अनीश खान

#sad_quotes अनीश खान

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White अनीश खान24282021

©अनीश खान #sad_quotes अनीश खान

Narinder Jog

White अब  जो बाजार  में रखे हो तो हैरत क्या है। 
जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है। 

                                         राहत इंदौरी

©Narinder Jog #sad_shayari #Shayari #Love #शायरी #लव #ग़ज़ल #Poetry

Narinder Jog

White ये  चली  हैं  जो अंधियां, फ्रैबों  की   तेरे  अंदर।
आंधियों का रुख बदलने का हुनर  है मेरे अंदर।

ये  मत  सोच  लेना  के मैं  चुप करके  बैठ  गया,
अभी   है   चिंगारी   सच्चाई    की   मेरे   अंदर।
 
                                                नरेंद्र जोग

©Narinder Jog #sad_quotes #Shayari #Love #ग़ज़ल #शायरी

Chanchal Chaturvedi

green-leaves  सुनो मुझे तुम से पूछना है की....

तुमने बीज़ रूपी अधूरे 
नज़्मों की जो फ़सल अपने 
मन के काग़ज़ पर बोई हैं....

क्या मुझे मेरी परवाह के पानी, 
भरोसे की खाद और चाहतों की 
रौशनी से सींच कर हरी—भरी 
पूरी ग़ज़ल बनाने का हक़ दोगे क्या?

©Chanchal Chaturvedi #ग़ज़ल #Chanchal_mann #Dream #Shayari #Love #GreenLeaves

Parasram Arora

गुलाम

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White  मै गुलाम हैँ उस आदमी के 
सामने 
जो मुझे प्रेम करता हैँ
और वो आदमी. मेरा गुलाम हैँ 
जो मेरे सामने हैँ और जिसे मै प्रेम करता हूँ

©Parasram Arora  गुलाम

prashant farrukhabadi

sad_shayari SAD #ग़ज़ल

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White इश्क़ मुक़म्मल हो मैं ये वादा नहीं करता 
हद से ज्यादा मैं खुद से इरादा  नहीं करता ।

तू तो मुझको अपनी जान समझती है 
किस मुंह से कह दूं कि नाता नहीं रखता।

बड़ी फरेबी है दुनिया सारी खुद को समझा ले 
इश्क़ में रहकर कोइ शादी का वादा नहीं करता।

©prashant farrukhabadi #sad_shayari #SAD ##ग़ज़ल

Lalit Saxena

ग़ज़ल

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हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena ग़ज़ल

अनीश खान

7593647724 अनीस खान Anupriya

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Ravi_bhagat11

खान सर

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